- पश्चिमी यूपी में किसान आंदोलन का कितना असर हुआ यह चुनाव परिणामों में दिखेगा।
- आवारा पशुओं की परेशानी भी चुनाव में बड़ा मुद्दा रहा, जिस पर भाजपा बैकफुट पर नजर आई।
- मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बुलडोजर बयान के जरिए माफिया और बाहुबलियों पर निशाना साधा है।
UP Assembly Election 2022: उत्तर प्रदेश की 403 सीटों पर सात चरणों में हुए चुनाव आज संपन्न हो गए। और अब 10 तारीख को ईवीएम के पिटारे से पता चलेगा, कि अबकी यूपी में किसकी सरकार बनने वाली है। सबसे बड़ा सवाल यही है कि क्या उत्तर प्रदेश में 37 साल बाद योगी आदित्यनाथ रिकॉर्ड बनाने वाले हैं। यानी वह नारायण दत्त तिवारी के बाद ऐसे पहले मुख्यमंत्री बनेंगे कि जो लगातार दूसरी बार सत्ता में आएंगे। या फिर समाजवादी पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव , बसपा प्रमुख मायावती, कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी की किस्मत का ताला खुलेगा।
लेकिन उत्तर प्रदेश का चुनाव इस बार कई मायने में खास है। इस बार चुनाव में ऐसे मुद्दे छाए रहे, जो पहली बार राज्य में चुनाव का मुद्धा बने। लेकिन यह इतने असरदार थे कि इस बार चुनाव परिणााम पर यह फैक्टर हावी रहेंगे।
किसान आंदोलन
उत्तर प्रदेश के चुनाव में पहले दो चरण में जो मुद्दा सबसे ज्यादा हावी रहा, वह किसानों की नाराजगी रही। केंद्र सरकार द्वारा तीन कृषि कानूनों को साल 2020 में लागू होने के बाद से पश्चिमी उत्तर प्रदेश में किसान आंदोलन का सबसे अहम असर रहा है। इसकी वजह से पश्चिमी उत्तर प्रदेश की करीब 120 सीटों पर इसका असर दिखा। इसकी वजह से 2014 से साइडलाइन में चल रहे राष्ट्रीय लोक दल को बड़ी ऊर्जा मिली है। ऐसे में सपा-रालोद की ताकत का भी यह चुनाव टेस्ट होगा।
आवारा पशुओं से परेशानी
इस बार यूपी के चुनाव में ग्रामीण इलाकों में आवारा पशुओं का मुद्दा बेहद हावी रहा है। किसान छुट्टे जानवरों की वजह से फसल नुकसान होने से परेशान दिखे। इस वजह से बीच चुनाव प्रचार के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भी कहना पड़ा कि 10 मार्च के बाद सरकार बनते ही इस समस्या का हल निकाला जाएगा। ऐसे में साफ है कि भाजपा भी यह समझ रही है कि इस बार वोटिंग में आवारा पशुओं का मुद्दा छाया रहा है।
बुलडोजर
उत्तर प्रदेश की 403 सीटों पर जो मुद्दा सबसे ज्यादा छाया रहा, वह योगी आदित्यनाथ का बुलडोजर बयान रहा। जिसका वह अमूमन अपनी सभी चुनावी रैलियों में जिक्र करते रहे। बुलडोजर के जरिए योगी आदित्यनाथ और पूरी भाजपा यह दावे करती रही कि उनके सख्त प्रशासन से मुख्तार अंसारी, अतीक अहमद जैसे बाहुबली भी जेल पहुंच गए। और उनकी सरकार न केवल माफियाओं की जमीन पर बुलडोजर बल्कि जब दोबारा उनकी सरकार आएगी तो फिर बुलडोजर चलेगा।
कानून व्यवस्था
आम तौर पर 2022 के चुनाव के पहले पिछले 30 साल में उत्तर प्रदेश की सबसे ज्यादा चर्चा बदहाल कानून व्यवस्था को लेकर होती रही है। लेकिन यह पहली तीन दशक में यह पहला विधानसभा चुनाव है जिसमें कोई सरकार इस दावे के साथ वोटरों की बीच गई कि उसने प्रदेश की कानून व्यवस्था सुधारी है। हालांकि उनके दावों का मतदाताओं पर क्या असर हुआ यह तो 10 मार्च 2022 को ही पता चलेगा।
लाभार्थी वर्ग
2022 के चुनावों में लाभार्थी वर्ग भी बेहद चर्चा में रहा। भाजपा इसके जरिए यह दावे करते रहे कि सरकार की कल्याणकारी योजनाओं का लोगों को बिना भ्रष्टाचार के फायदा मिला है। वह फ्री-राशन, प्रधानमंत्री आवास योजना, ई-श्रम कार्ड के जरिए मिलने वाली सहायता राशि, महिलाओं की योजनाओं के जरिए दोबारा सत्ता में वापसी कर रही है।