- पश्चिमी यूपी में गन्ना मूल्य का भुगतान हमेशा से बड़ा मुद्दा रहा है
- पश्चिमी यूपी के गन्ना किसानों को सपा सरकार ने 39,738 करोड़ का भुगतान किया था
- योगी सरकार ने अपने कार्यकाल में वेस्ट के किसानों को 95,650 करोड़ का भुगतान किया
Uttar Pradesh Election 2022: उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनावों की रणभेरी बज चुकी है और सभी राजनैतिक पार्टियों ने चुनावी महाभारत में उतरने के लिए कमर कस ली। हर किसी के अपने दावे और वादे हैं। वर्तमान में राज्य में भारतीय जनता पार्टी की सरकार है। 2017 में बीजेपी ने 325 सीटें लेकर राज्य में सरकार बनाई थी। बीजेपी बीते पांच साल में किए कामों को लेकर जनता के बीच जा रही है और 2017 के बाद बदली तस्वीर दिखाने की कोशिश कर रही है। 'फर्क साफ है' दिखाकर भाजपा मतदाताओं का विश्वास जीतने की कोशिश में है।
10 फरवरी को पहले चरण का मतदान होना है और इसमें अधिकांश सीटें पश्चिमी उत्तर प्रदेश की हैं। पश्चिमी उत्तर प्रदेश इस बार भाजपा के लिए अधिक मायने रखता है क्योंकि किसान आंदोलन का सर्वाधिक प्रभाव इसी क्षेत्र में है। पश्चिमी यूपी में 14 जिले हैं, जिनमें 71 विधानसभा सीटें पड़ती है। 2017 के चुनाव में वेस्ट यूपी में भाजपा का परचम लहराया था। यहां की 71 सीटों में से 52 बीजेपी ने जीती थीं और तभी बीजेपी की संख्या 313 तक पहुंच पाई थी। इस क्षेत्र को गन्ना उत्पादन के लिए भी जाना जाता है। अधिकांश जिलों में गन्ने की पैदावार होती है और हर सरकार में गन्ना मूल्य भुगतान अहम मुद्दा रहा है।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने प्रदेश में गन्ना किसानों के भुगतान को लेकर पिछली कई सरकारों से चली आ रही परिपाटी को बदलने की कोशिश की और आंकड़ों पर नजर डालें तो फर्क साफ दिखता नजर आता है। पश्चिमी यूपी में सपा सरकार से दोगुने से ज्यादा योगी सरकार ने गन्ना मूल्य का भुगतान किया। पिछले पौने पांच साल में चीनी मिलें भी अपडेट हुईं हैं। देश में गन्ना और चीनी उत्पादन में प्रदेश न सिर्फ पहले पायदान पर है। अब तक सरकार की ओर से प्रदेश में गन्ना किसानों को करीब डेढ़ लाख करोड़ से ज्यादा का भुगतान किया है। पश्चिमी यूपी के सहानपुर, मेरठ, मुरादाबाद और बरेली मंडल में पिछली सरकार ने वर्ष 2012-17 के बीच करीब 39,738 करोड़ रुपए का भुगतान किया था। जबकि योगी सरकार ने 2017 से 29 दिसंबर 2021 तक 95,650 करोड़ रुपए का भुगतान किया।
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योगी सरकार ने पश्चिमी यूपी में 2017 से 2021 दिसंबर तक सबसे ज्यादा मुरादाबाद मंडल में 30,645.67 करोड़ रुपए का भुगतान किया है। जबकि सपा सरकार में 18,521.03 करोड़ का ही भुगतान हुआ था। इसी तरह सहारनपुर मंडल में 25,564.02 करोड़ रुपए का भुगतान किया है। जबकि सपा सरकार में 14,628.09 करोड़ रुपए का भुगतान किया गया था। योगी सरकार ने तीसरे नंबर पर मेरठ मंडल में 22,455.73 करोड़ रुपए का भुगतान किया है। जबकि सपा सरकार ने 13,324.50 करोड़ रुपए का भुगतान किया गया था।
योगी सरकार ने पूरे प्रदेश में पेराई सत्र 2021-22 में 4,907.98 करोड़, 2020-21 में 30,547.23 करोड़, पेराई सत्र 2019-20 में 35,898.85 करोड़, 2018-19 में 33,048.06 करोड़ और 2017-18 के 35,444.06 करोड़ रुपए का भुगतान किया है। साथ ही पिछले पेराई सत्रों का 10,661.38 करोड़ सहित अब तक कुल 1,50,508 करोड़ का गन्ना मूल्य भुगतान कराया है, जो वर्ष 2012 से 2017 के बीच गन्ना मूल्य भुगतान के मुकाबले 55,293 करोड़ और वर्ष 2007 से 2012 के बीच गन्ना मूल्य भुगतान के मुकाबले 98,377 करोड़ अधिक है।
पश्चिमी यूपी का मंडलवार भुगतान
मंडल 2012-17 2017 से 29 दिसंबर 2021 तक
सहारनपुर 14,628.09 25,564.02
मेरठ 13,324.50 22,455.73
मुरादाबाद 18,521.03 30,645.67
बरेली 9,934.80 16,985.24
कुल 39738.42 95650.66
(नोट- धनराशि करोड़ में है)
पश्चिमी यूपी में किसान आंदोलन की हवा कमजोर करने के लिए सीएम योगी आदित्यनाथ पहले ही गन्ने का समर्थन मूल्य पहले ही बढ़ा चुके हैं और अब 50 सालों में पहली बार किसानों को हुए रिकॉर्ड गन्ना मूल्य भुगतान की बात बताने बीजेपी के कार्यकर्ता डोर टू डोर कैंपेन करेंगे। इतना ही नहीं, बीजेपी ने चुनाव की दृष्टि से लाभार्थी संपर्क अभियान शुरू किया है। योगी सरकार की योजनाओं का लाभ ले चुके लाभार्थियों का डाटा भाजपा कार्यकर्ताओं के पास है और बीजेपी ने लाभार्थी संपर्क अभियान के तहत लाभार्थियों से मिलना और उन्हें बीजेपी सरकार के फायदे गिनाना शुरू कर दिया है। गांव गांव ये अभियान चलेगा। हालांकि देखना होगा कि बीजेपी इसका कितना फायदा उठा पाएगी।
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चालू कराईं बंद मिलें, गन्ने का रकबा एक लाख हेक्टेयर बढ़ा
जानकारों का मानना है कि योगी आदित्यनाथ ने अपने कार्यकाल में गन्ना उत्पादन और चीनी उत्पादन पर काफी फोकस किया जिसकी बदौलत गन्ने की फसल का रकबा प्रदेश में करीब एक लाख हेक्टेयर से अधिक बढ़ गया। उत्तर प्रदेश के गन्ना मंत्री सुरेश राणा ने बताया कि 2020 में राज्य में 26.79 लाख हेक्टेयर में गन्ना बोया गया था। 2012 में यह रकबा बढ़कर लगभग 27.75 लाख हेक्टेयर हो गया है। सुरेश राणा कहते हैं पिछली सरकारों में एक के बाद एक बंद होती चीनी मिलों को योगी सरकार ने न सिर्फ दोबारा शुरू कराया गया बल्कि यूपी को देश में गन्ना एवं चीनी उत्पादन में नंबर वन बना दिया। राज्य सरकार ने तीन पेराई सत्रों एवं वर्तमान पेराई सत्र 2020-21 समेत यूपी में कुल 4,289 लाख टन से अधिक गन्ने की पेराई कर 475.69 लाख टन चीनी का रिकॉर्ड उत्पादन किया है। वर्ष 2017-18 से 31 मार्च, 2021 तक 54 डिस्टिलरीज के माध्यम से प्रदेश में कुल 280.54 करोड़ लीटर एथनॉल का उत्पादन हुआ है जो कि एक रिकार्ड है। समाजवादी पार्टी की सरकार में 2012 से 2017 तक 10 मिले बंद हुईं, जिससे गन्ना किसानों के सामने बड़ा संकट खड़ा हो गया था।