- गोरखपुर शहर से योगी आदित्यनाथ को चंद्रशेखर आजाद और शुभावती शुक्ला प्रमुख रूप से टक्कर दे रहे हैं।
- गोरखपुर, अंबेडकरनगर, बलरामपुर, सिद्धार्थनगर, बस्ती, संतकबीर नगर, महाराजगंज,कुशीनगर, देवरिया और बलिया की 57 विधानसभा सीटों पर वोटिंग होगी।
- अखिलेश यादव ने भाजपा को टक्कर देने के लिए ब्राह्मण दांव चला है।
नई दिल्ली: उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव की सबसे बड़ी लड़ाई अब होने वाली है। क्योंकि 3 मार्च को जब छठे चरण के वोट डाले जाएंगे तो यह न केवल पूर्वांचल में लड़ाई का आगाज होगा बल्कि योगी आदित्यनाथ के गढ़ में समाजवादी प्रमुख अखिलेश यादव का भी इम्तिहान होगा। छठे चरण में 10 जिलों की 57 सीटों पर वोटिंग होगी। यह चरण इसलिए सबसे बड़ी लड़इया हो गया हैं क्योंकि एक तो खुद योगी आदित्यनाथ चुनावी मैदान में है। वहीं अखिलेश यादव ने इस इलाके के कई ब्राह्मण नेताओं को सपा में शामिल कर लड़ाई को और रोचक बना दिया है। इसके अलावा बसपा और कांग्रेस भी कई समीकरण बदल सकती हैं।
इन जिलों में होगी वोटिंग
छठे चरण में यूपी के गोरखपुर, अंबेडकरनगर, बलरामपुर, सिद्धार्थनगर, बस्ती, संतकबीर नगर, महाराजगंज,कुशीनगर, देवरिया और बलिया की 57 विधानसभा सीटों पर वोटिंग होगी। इस चरण में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की चुनावी किस्मत का भी फैसला होगा । जो गोरखपुर सदर विधानसभा सीट से उम्मीदवार हैं। पिछली बार भाजपा को 57 में से 46 सीटों पर जीत मिली थी।
योगी के खिलाफ चंद्रशेखर और शुभावती शुक्ला
गोरखपुर सदर सीट से योगी आदित्यनाथ को टक्कर देने के लिए समाजवादी पार्टी ने पूर्व भाजपा नेता स्वर्गीय उपेंद्र शुक्ला की पत्नी शुभावती शुक्ला को मैदान में उतारा है। जबकि आजाद समाज पार्टी प्रमुख चंद्रशेखर आजाद खुद मैदान में हैं। यह सीट भाजपा का गढ़ है। इस सीट पर 1989 से 2017 तक 7 बार भाजपा का कब्जा रहा, जबकि एक बार हिंदू महासभा के टिकट पर निवर्तमान भाजपा विधायक राधा मोहन दास अग्रवाल चुनाव जीते थे। उस वक्त राधा मोहन दास अग्रवाल का समर्थन योगी आदित्यनाथ ने ही किया था। गोरखपुर सदर सीट पर करीब 4.50 लाख वोटर हैं। जिसमें कायस्थ, ब्राहम्ण, मुस्लिम का सबसे ज्यादा असर है। इसके अलावा निषाद, क्षत्रिय और दलित वोट भी निर्णायक भूमिका निभाता है।
योगी के सामने साख का सवाल
असल में जब खुद मुख्यमंत्री गोरखपुर सदर से चुनाव लड़ रहे हैं। तो पार्टी को उनसे केवल अपनी सीट जीतने की उम्मीद नहीं है। बल्कि पार्टी उनसे यह उम्मीद कर रही होगी कि वह 2017 से बेहतर प्रदर्शन करके दिखाए। ऐसे में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के ऊपर 46 सीटों से ज्यादा आंकड़ा पहुंचाने का दबाव रहेगा। खास तौर पर जब बलरामपुर, सिद्धार्थनगर, बस्ती, संतकबीर नगर, महाराजगंज,कुशीनगर, देवरिया ऐसे जिले हैं जहां योगी के साथ-साथ मठ का भी प्रभाव है।
अखिलेश कितने मजबूत
अखिलेश यादव ने पूर्वांचल के लिए खास तौर से ओम प्रकाश राजभर की सुभासपा और कृष्णा पटेल के अगुआई वाले अपना दल से गठबंधन कर रखा है। हालांकि छठे चरण में जिन 10 जिलों में चुनाव हो रहे हैं, उसमें राजभर और कृष्णा पटेल के दलों का वैसा प्रभाव नहीं है, जैसा कि सातवें चरण की सीटों पर रहेगा। ऐसे में अखिलेश यादव के लिए बेहतर प्रदर्शन करना आसान नहीं होगा।
गोरखपुर में जातिगत समीकरण साधकर ही 2018 के उप चुनाव में समाजावदी पार्टी, बसपा और निषाद पार्टी ने मिलकर गोरखपुर से भाजपा उम्मीदवार उपेंद्र शुक्ला को हरा दिया था। लेकिन इस बार निषाद पार्टी भाजपा के साथ है।
अखिलेश ने चला है ब्राह्मण दांव
इस क्षेत्र में भाजपा को पटखनी देने के लिए अखिलेश ने ब्राह्मण दांव को सबसे बड़ा हथियार बनाया है। इसीलिए उन्होंने योगी आदित्यनाथ के खिलाफ शुभावती शुक्ला को उतारकर ब्राह्मण-ठाकुर का दांव चलने की कोशिश की है।
इसके अलावा गोरखपुर के प्रमुख ब्राह्मण नेता और बाहुबली हरिशंकर तिवारी के पुत्र विनय शंकर तिवारी, भीष्मशंकर तिवारी और उनके भांजे गणेश शंकर पांडेय को सपा में दिसंबर में शामिल किया था। इनके अलावा संतकबीर नगर से भाजपा के विधायक जय चौबे भी समाजवादी पार्टी में शामिल हुए थे। अखिलेश को उम्मीद इन ब्राह्मण नेताओं के जरिए है। उन्हें लगता है कि ये नेता छठे चरण में ब्राह्मण समाज का बड़ा वोट हासिल कर सकेंगे।
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