- कोश्यारी के OSD से लेकर से उत्तराखंड के मुख्यमंत्री तक का सफर, जानिए कौन हैं पुष्कर सिंह धामी
- पुष्कर सिंह धामी ने अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद से की थी छात्र राजनीति की शुरूआत
- पिथौरागढ़ के दूरस्थ इलाके से ताल्लुक रखने वाले धामी ने खटीमा को बनाया अपनी कर्मभूमि
Pushkar Singh Dhami: पिछले साल 3 जुलाई को जैसे ही पुष्कर सिंह धामी को उत्तराखंड का नया सीएम चुना गया तो हर कोई हैरान था। दरअसल तीरथ सिंह रावत के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देने के बाद मीडिया में कई नाम सीएम की दौड़ में आगे बताए जा रहे थे लेकिन पुष्कर सिंह धामी का नाम उसमें शामिल नहीं था। जैसे ही पुष्कर सिंह धामी के नाम का ऐलान हुआ तो सारे कयास धरे के धरे रह गए। इसके बाद धामी ने जैसे ही राज्य की बागडोर संभाली तो वो दफ्तर में कम जनता के बीच ज्यादा देखे गए।
कौन हैं पुष्कर सिंह सिंह धामी
16 सितंबर, 1975 को पुष्कर सिंह धामी का जन्म पिथौरागढ़ जिले के कनालीछीना गांव में हुआ जो बॉर्डर एरिया में आता है। सैन्य परिवार में जन्मे धामी के पिता सेना से सेवानिवृत्त हैं। धामी छात्र जीवन से ही भाजपा के छात्र आनुसांगिक संगठन अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद या ABVP से जुड़ गए। विद्यार्थी परिषद में रहते हुए भी उन्होंने लखनऊ में विद्यार्थियों के बीच अच्छी पैठ बनाई थी। छात्र राजनीति में अच्छी पकड़ के बाद 2004 में उत्तराखंड का भारतीय युवा मोर्चा का प्रदेश अध्यक्ष नियुक्त किया गया। इस दौरान उन्होंने अपने कौशल से युवाओं को बड़ी संख्या में अपने साथ जोड़ा और युवाओं के बीच काफी लोकप्रिय हो गए।
Uttarakhand New CM: बीजेपी ने पुष्कर सिंह धामी को ही उत्तराखंड का सीएम क्यों बनाया?
रह चुके हैं कोश्यारी के ओएसडी
मध्य प्रदेश के मौजूदा मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान तब भाजपा के राष्ट्रीय महामंत्री थे, उन्होंने और केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने तब धामी के बारे में भविष्यवाणी कर दी थी कि वो आगे चलकर राजनीति में बड़ा मुकाम हासिल करेंगे। इसके बाद अपने कार्यक्रमों और राजनैतिक कौशल की बदौलत वह जल्द ही राजनाथ सिंह जैसे राष्ट्रीय नेताओं के चेहते भी बन गए। संघ में भी उनका अपना स्थान बन गया। भाजयुमो अध्यक्ष रहने से पहले 2002 में वह उत्तराखंड के दूसरे मुख्यमंत्री भगत सिंह कोश्यारी के ओएसडी भी रहे।
बने विधायक
इसके बाद धामी ने तराई से सटे खटीमा को अपनी कर्मभूमि बनाया और 2012 में भाजपा ने उन्हें पहली बार टिकट दिया और उन्होंने शानदार जीत हासिल करते हुए अपने निकटतम प्रतिद्वंदी कांग्रेस के देवेंद्र चंद्र को 5394 वोट से शिकस्त दी। इसके बाद 2017 में भाजपा ने उन्हें टिकट दिया और धामी ने अपने निकटतम प्रतिद्वंदी कांग्रेस के भुवन कापड़ी को 2709 मतों से हरा दिया।
बिना मंत्री बने ही सीधे बने मुख्यमंत्री
पुष्कर सिंह धामी का नाम उन गिने चुने नेताओं में शामिल हो चुका है जो मंत्री बने बिना ही विधायक से सीधे मुख्यमंत्री बने हैं। कोरोना काल के दौरान भी जब तमाम नेता जमीन पर नजर नहीं आ रहे थे तो पुष्कर सिंह धामी अपने विधानसभा क्षेत्र में काफी एक्टिव थे।
क्या हैं चुनौतियां
पुष्कर सिंह धामी ने जब मुख्यमंत्री का पद संभाला तो उनके सामने कई चुनौतियां थी और अपने पहले के दो मुख्यमंत्रियों को हटाए जाने के बाद कांग्रेस लगातार बीजेपी पर हमलावर रही। लेकिन धामी ने कम समय में काफी हद तक डैमेज कंट्रोल किया और आज उनकी छवि जनता में एक निर्विवाद चेहरे के रूप में है। फिलहाल उनके लिए चुनौतियां कम नहीं हैं वो भी तब जब उनके प्रतिद्वंदी और कांग्रेस के सीएम चेहरे के प्रमुख दावेदार हरीश रावत भी तराई यानि लालकुंआ से मैदान में हैं। ऐसे में यदि बीजेपी चुनाव जीतती है और धामी सीएम बनते हैं तो यह उत्तराखंड की राजनीति में पहला अवसर होगा जब कोई शख्स लगातार दूसरी बार सीएम बनेगा।