दो दिनों में उत्तर प्रदेश में योगी आदित्यनाथ की सरकार के दो बड़े मंत्रियों ने अखिलेश यादव की साइकिल की सवारी पकड़ ली है। स्वामी प्रसाद मौर्या के बाद दारा सिंह चौहान ने ना सिर्फ बीजेपी का साथ छोड़ा बल्कि योगी सरकार को दलित, गरीब, पिछड़ा विरोधी बताते हुए वो समाजवादी पार्टी में शामिल हो गए। स्वामी प्रसाद मौर्या और दारा सिंह चौहान का बीजेपी छोड़ने का फैसला पार्टी को परेशान कर सकता है।
टाइम्स नाउ नवभारत की एडिटर इन चीफ नाविका कुमार ने स्वामी प्रसाद मौर्य से बात की। उनसे पूछा गया कि अब चुनाव से ठीक पहले क्या बात हो गई कि मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया, 5 साल कोई तकलीफ नहीं थी। इस पर स्वामी प्रसाद मौर्य ने कहा कि मैंने सोचा था कि योगी आदित्यनाथ के मन में दलितों और पिछड़ों के लिए पीड़ा होगी, ये सोचकर भारतीय जनता पार्टी (BJP) में शामिल हो गया। यहां चेहरा बदला, लेकिन चरित्र नहीं बदला। मैंने मंत्री रहते हुए हर मंच पर अपनी बात रखी, इस्तीफा देने के बाद मैं मीडिया में अपनी बात रख रहा हूं।
उन्होंने कहा कि 5 साल बीजेपी में रहने के बाद पता चला कि हाथी के दांत खाने के कुछ और दिखाने के कुछ हैं। परिस्थितियों वश पार्टी छोड़ने का फैसला लेना पड़ता है। कई बार बात रखने के बाद मेरी बात अनसुनी की गई। हमारी वजह से बीजेपी का 14 साल का वनवास खत्म हुआ था। हमारे लाखों लोगों के समर्थन से बीजेपी की पूर्ण बहुमत की सरकार बनी। आज साथ छोड़ दिया है, भाजपा का सूपड़ा साफ हो जाएगा। बड़े-बड़े नेताओं को चुनौती देता हूं कि उनकी हैसियत हो तो अपनी पार्टी की साख बचा लें। हम संघर्ष से लड़कर आए हैं।
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