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बॉलीवुड में ग्रुपिज्म पर बोले आफताब शिवदासानी, 'करण जौहर मेरे रिश्तेदार हैं, मगर कभी भी...'

Updated Jul 22, 2020 | 22:04 IST

Aftab Shivdasani on groupism in Bollywood: मशहूर बॉलीवुड एक्टर आफताब शिवदासानी ने इंडस्ट्री में ग्रुपिज्म पर खुलकर अपनी बात रखी है।

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तस्वीर साभार:&nbspInstagram
आफताब शिवदासानी
मुख्य बातें
  • आफताब शिवदासानी पहली बार 1987 में 'मिस्टर इंडिया' में नजर आए थे
  • आफताब शिवदासानी अब तक दर्जनों फिल्मों में काम कर चुके हैं
  • वह कई वर्षों के अपने करियर में कभी किसी कैंप का हिस्सा नहीं रहे

एक्टर आफताब शिवदासानी ने अपने फिल्म करियर की शुरआत बतौर चाइल्ड आर्टिस्ट की। उन्होंने बचपन में 'मिस्टर इंडिया' और 'शहंशाह' जैसी फिल्मों में किया। इसके बाद वह मुख्य भूमिका में साल 1999 में 'मस्त' फिल्म में नजर आए। उन्होंने 'मस्ती', 'आवारा पागल दीवाना', 'हंगामा' समेत कई फिल्मों में अपनी अदाकारी का जादू दिखाया। वह मल्टीस्टारर कॉमेडी फिल्मों में अपनी खास जगह बनाने में कामयाब रहे। 

कई सारी फिल्में करने और पिछले तीन दशक से इंडस्ट्री का हिस्सा होने के बावजूद आफताब कभी भी एक प्रोडक्शन हाउस के साथ जुड़े नहीं रहे। वह न ही किसी 'कैंप' का हिस्सा बने। आफताब ने बॉलीवुड में ग्रुपिज्म यानी खेमेबाजी को लेकर अपनी बात रखी है। उन्होंने बताया कि उनके सभी से अच्छे ताल्लुकात थे। साथ ही आफताब ने कहा कि फिल्ममेकर और प्रॉड्यूसर करण जौहर उनके रिश्तेदार हैं, मगर फिर भी वह कभी एक कैंप से नहीं जुड़े। 

ईटाइम्स के साथ बातचीत में आफताब शिवदासानी से जब बॉलीवुड में कैम्पस और ग्रुप्स के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा, 'इस ग्रुपिज्म को 2000 के शुरुआती दिनों में कैम्पिज्म बोला जाता था। तब लोग कहते थे कि वो शख्स वाईआरएफ, भट्ट या अन्य कैंप्स से जुड़ा है। मुझे कभी भी इसका हिस्सा नहीं रहा। मैंने सभी प्रॉड्यूसर के साथ काम किया। मैं सभी के साथ फ्रेंडली था, लेकिन कभी भी करीब नहीं गया। इसलिए जब भी उनके पास मेरे लिए रोल होता तो वे मुझे बुलाते थे। मैं उनसे मिलने जाता था।'

आफताब ने आगे कहा, 'मैंने 9 फिल्में विक्रम भट्ट के साथ कीं, 5 या 6 फिल्में राम गोपाल वर्मा के साथ कीं, लेकिन मैं कभी भी उनके कैंप का हिस्सा नहीं था। यह मूल रूप से है आपके आचरण की बात है और मैं सभी के साथ फ्रेंडली था। करण जौहर मेरे दूर के रिश्तेदार हैं, लेकिन मैं कभी किसी के करीब नहीं गया। मैं सभी के साथ सभ्य, अच्छे और दोस्ताना तरीके से रहा हूं, इसलिए मेरा कोई दुश्मन नहीं है। मैं कभी भी जानबूझकर एक कैंप या एक ग्रुप में नहीं गया। यही कारण है कि मैंने खुद को इस ग्रुपिज्म बनाम कैम्पिज्म की विचारधारा के दायरे से दूर रखा।'

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