आयुष्मान खुराना बॉलीवुड में सर्वश्रेष्ठ कंटेंट वाले सिनेमा का चेहरा बनकर उभरे हैं। उन्होंने बैक टू बैक 5 हिट फिल्में दी हैं। बेशक उनकी सक्सेस हैरान करने वाली है क्योंकि जैसी कहानियों का चयन उन्होंने किया और उससे जैसी सफलता पाई, वह कम ही कलाकारों को नसीब होती है। खास बात ये है कि उन्होंने ऐसी कहानियों कसे चुना जिन्होंने अपनी बेहतरीन विषय वस्तु के कारण राष्ट्रीय स्तर पर चर्चा को भी बढ़ावा दिया है। आयुष्मान खुराना की चार फिल्मों - विक्की डोनर, दम लगा के हईशा, अंधाधुन और बधाई हो ने राष्ट्रीय पुरस्कार हासिल किए हैं। इनमें से अंधाधुन के लिए उनको सर्वश्रेष्ठ अभिनेता का राष्ट्रीय पुरस्कार भी मिला है।
इन अवॉर्ड्स को लेकर आयुष्मान खुराना खुद को भाग्यशाली मानते हैं। लेकिन सवाल ये है कि वह आखिर फिल्मों की कहानियों का चयन किस आधार पर करते हैं? इस पर उनका कहना है, 'मैं अच्छी कहानियों की तलाश में रहता हूं। कहानियां जो हमें आगे ले जाती हैं, हमारा मनोरंजन करती हैं और बातचीत को शुरू करती हैं। मुझे ऐसी कहानियां पसंद हैं, जिनसे लोग खुद का जुड़ाव महसूस कर सकें, जो प्रेरणादायक हों और हमें विचारशील बनाती हों। मैंने सक्रिय रूप से इस तरह की अद्भुत स्क्रिप्ट की तलाश की है और अपने करियर में अब तक इन शानदार रत्नों में से कुछ को पाने को लेकर मैं काफी भाग्यशाली रहा हूं।'
आयुष्मान का कहना है कि वह हमेशा एक अनूठी कहानी की तलाश में रहते हैं। ऐसे में राष्ट्रीय पुरस्कार, बेहतरीन स्क्रिप्ट की उनकी समझ के लिए एक बहुत बड़ा सत्यापन है, क्योंकि वह केवल उन फिल्मों का चयन करते हैं जिन्हें वह खुद सिनेमाघरों में देखना पसंद करेंगे। आयुष्मान कहते हैं, 'मैं उन कहानियों की तलाश करता हूं जो अद्वितीय हैं और अनिवार्य व अविश्वसनीय रूप से आम आदमी के बारे में हैं। एक अभिनेता के रूप में, मैं सही पटकथा चुनने में गहराई से विचार करता हूं, क्योंकि आज कहानी और फिल्मों की पसंद ही मायने रखती है।' वे कहते हैं कि मुझे लगता है कि मैं जीवन में आज एक ऐसे मुकाम पर हूं, जहां मैं बेहतरीन प्रोजेक्ट कर सकता हूं, क्योंकि दर्शकों को मुझसे अच्छी फिल्मों की उम्मीद है।
वैसे आयुष्मान की आने वाली चार फिल्में भी हटकर हैं और आगे भी राष्ट्रीय पुरस्कार पाने की उनकी दावेदारी को मजबूत करती हैं। इनमें जल्द रिलीज होने वाली फिल्म ड्रीम गर्ल शामिल है, जिसमें उन्हें एक ऐसे व्यक्ति की तरह दिखाया गया है, जिसके पास महिला की आवाज में बात करने की विशेष क्षमता है। दूसरी फिल्म बाला का कॉन्सेप्ट पुरुषों में समय से पहले गंजेपन से संबंधित है तो गुलाबो सिताबो में वे अमिताभ बच्चन के साथ स्क्रीन साझा करते हुए नजर आएंगे। इनके अलावा आनंद राय के शुभ मंगल सावधान 2 में वे भारत में समलैंगिक संबंधों के संवेदनशील मुद्दे पर मुखर दिखाई देंगे।