- कथक के सरताज पंडित बिरजू महाराज का 83 साल की उम्र में निधन।
- पंडित बिरजू महाराज जाने माने कथक नर्तक थे।
- जानें पंडित बिरजू महाराज ने किन बॉलीवुड गानों को किया था।
कथक के सरताज पंडित बिरजू महाराज का आज यानी 17 जनवरी को 83 साल की उम्र में निधन हो गया। जानकारी के मुताबिक उन्हें हार्ट अटैक आया था, जिसके बाद उन्हें अस्पताल ले जाया गया लेकिन तब तक उनका निधन हो गया था। जानकारी के मुताबिक कुछ दिन पहले बिरजू महाराज की किडनी की बीमारी के बारे में पता चला था जिसके बाद से वो डायलिसिस पर थे। कथक के सम्राट कहे जाने वाले बिरजू महाराज के निधन से बॉलीवुड शोक में है।
बिरजू महाराज ने बॉलीवड में कई गाने कोरियोग्राफ किए हैं और उन्होंने एवरग्रीन एक्ट्रेस रेखा से लेकर माधुरी दीक्षित तक को डांस सिखाया था। आज हम आपको बता रहे हैं उन बॉलीवुड गानों के बारे में जिन्हें बिरजू महाराज ने कोरियोग्राफ किया था।
देवदास
बिरजा महाराज ने साल 2002 में रिलीज हुई फिल्म देवदास के आइकॉनिक गाने 'काहे छेड़ छेड़ मोहे' को कोरियोग्राफ किया था। इस फिल्म में शाहरुख खान, माधुरी दीक्षित और ऐश्वर्या राय बच्चन अहम रोल में थीं।
उमराव जान
साल 1981 में रेखा की फिल्म उमराव जान रिलीज हुई थी जिसे काफी पसंद किया गया था। बिरजू महाराज ने इस फिल्म के कई गानों को कोरियोग्राफ किया था।
डेढ़ इशकिया
पंडित बिरजू महाराज ने साल 2014 में रिलीज माधुरी दीक्षित की फिल्म डेढ़ इशकिया में एक बार फिर एक्ट्रेस संग काम किया था। इस फिल्म के गाने 'जगावे सारी रैना' को पंडित जी ने कोरियोग्राफ किया था।
गदर: एक प्रेम कथा
साल 2001 में सनी देओल और अमीषा पटेल स्टारर फिल्म गदर: एक प्रेम कथा रिलीज हुई थी, जो सुपरहिट साबित हुई। इस फिल्म के गाने 'आन मिलो सजना' को पंडित बिरजू महाराज ने कोरियोग्राफ किया था।
बाजीराव मस्तानी
पंडित बिरजू महाराज ने एक्ट्रेस दीपिका पादुकोण के साथ भी काम किया था। उन्होंने साल 2015 में रिलीज हुई फिल्म बाजीराव मस्तानी के गाने 'मोहे रंग दो लाल' के लिए एक्ट्रेस को कथक सिखाया था।
फिल्म 'शतरंज के खिलाड़ी' के लिए कंपोज किए दो गाने
बिरजू महाराज ने सत्यजीत रे की फिल्म 'शतरंज के खिलाड़ी' में दो गानों को कंपोज किया था।
कौन थे पंडित बिरजू महाराज
बता दें कि पंडित बिरजू महाराज का जन्म 04 फरवरी 1938 को हुआ था। उनका असली नाम बृजमोहन मिश्रा था। वह कथक नर्तकियों के महाराज परिवार के वंशज थे। उनके दो चाचा, शंभू महाराज और लच्छू महाराज और उनके पिता अचन महाराज भी कथक नर्तक थे। उनके चाचा ने ही उन्हें कथक सिखाया था। वो केवल 9 साल के थे तब उनके पिता का निधन हो गया था। वो कथक नर्तक के साथ- साथ मशहूर गायक भी थे।