Bollywood Throwback: बॉलीवुड में समानांतर सिनेमा के स्तंभ माने जाने वाले एक्टर ओमपुरी बचपन से शाकाहारी थे लेकिन एक्टिंग सीखने जब वह दिल्ली के NSD आए तो यहां उनका मिलना हुआ अपने एक सहपाठी से जोकि दिग्गज अभिनेता से। पहली बार उसी ने ओमपुरी को नॉनवेज खिलाया था। उनके यह सहपाठी थे नसीरुद्दीन शाह। ओम पुरी और नसीरुद्दीन शाह की दोस्ती बॉलीवुड के सबसी चर्चित दोस्ती में से एक है।
200 से अधिक फिल्मों में काम करने और हर फिल्म में बिना किसी ऑडिशन के रोल पाने वाले ओमपुरी कभी एक्टर नहीं बनना चाहते थे। वह पटरियों पर ट्रेन दौड़ाना चाहते थे। ओमपुरी का परिवार बेहद साधारण था। वो परिवार की जरूरतों को पूरा करने के लिए ढाबे पर नौकरी करने लगे, जहां उन पर चोरी का आरोप लगा दिया गया और उन्हें नौकरी छोड़नी पड़ी। बचपन में ओमपुरी जहां रहते थे, उसके पीछे रेलवे का यार्ड था।
वो रात में घर से जाकर यार्ड में जाकर किसी ट्रेन में सोने चले जाते थे। उन्हें ट्रेनों से काफी लगाव था और वो ट्रेन ड्राइवर बनना चाहते थे। लेकिन इसके बाद वो अपनी ननिहाल पटियाला चले गए और यहीं से उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा पूरी की। यहां उन्होंने स्कूल में आयोजित नाटकों में हिस्सा लिया और उनका रुझान अभिनय की तरफ हो गया।
ओमपुरी ने खालसा कॉलेज में आगे की पढ़ाई के लिए एडमिशन लिया और एक वकील के यहां मुंशी की नौकरी करने लगे। इसके बाद वह पंजाब कला मंच नामक नाट्य संस्था से जुड़ गए। लगभग तीन वर्ष तक पंजाब कला मंच से जुड़े रहने के बाद ओमपुरी ने दिल्ली में राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय में दाखिला ले लिया। यहां ओम पुरी की मुलाकात हुई नसीर साहब से।
दब्बू किस्म के थे ओमपुरी
ऑल इंडिया रेडियो के एक शो में ओम पुरी ने बात करते हुए खुद बताया कि वह काफी दब्बू किस्म के थे और क्लास में काफी शांत रहते थे। एक बार एनएसडी में एक नाटक होना था। उस नाटक में लीड रोल डायरेक्शन की क्लास के एक छात्र को दिया गया। इसके बाद ओमपुरी ने क्लास टीचर से शिकायत की कि हम एक्टिंग से हैं तो लीड रोल हमें मिलना चाहिए था। वह टीचर काफी रुतबेदार माने जाते थे और उनके आगे कोई जुबान नहीं खोलता था।
ऐसे हुई थी ओम और नसीर की दोस्ती
टीचर ने उनकी बात सुनी और मानी। इसके बाद क्लास के सारे बच्चे चले गए। ओम पुरी जब जाने लगे तो सामने नसीर आए और उन्होंने एक बात कही- मुझे पता था तू एक दिन बोलेगा। यहां से ओम पुरी और नसीर की दोस्ती हुई। ओमपुरी ने बताया था कि नसीर ने ही उन्हें पहली बार नॉन वेज खिलाया था। एक दिन उन्होंने शोरबा परोसा, फिर एक दिन चिकन का एक पीस और फिर तो कारवां शुरू हो गया।
ओमपुरी ने बचाई थी नसीर की जान
नसीर ने अपनी ऑटोबायोग्राफी में जिक्र किया है कि कैसे ओम पुरी ने उनकी जान बचाई थी। साल 1977 में नसीर भूमिका की शूटिंग कर रहे थे। शूटिंग के दौरान नसीरुद्दीन और ओमपुरी किसी ढाबे पर खाना खा रहे थे। वहां अचानक उनका एक दोस्त जसपाल पहुंचा। जसपाल ने ओम पुरी को हेलो कहा। वह पीछे रखी कुर्सी में बैठने के लिए मेरे बगल से गुजरा। इसके बाद अचानक मुझे महसूस हुआ कि मेरी पीठ पर किसी ने नोंकदार चीज से वार किया है। तभी ओम पुरी चिल्ला उठे। ओम पुरी ने जसपाल को पकड़ा। इस दौरान नसीर दर्द से कराह रहे थे। ओम पुरी नसीर को तुरंत हॉस्पिटल ले गए। वहां पर उनकी जान बची।