- अपने जमाने के खूबसूरत हीरोज में शुमार थे देव आनंद
- उनकी पहली मोहब्बत थीं एक्ट्रेस सुरैया लेकिन यह प्यार जीवन भर का साथ नहीं बन सका
- देव आनंद ने कल्पना कार्तिक से शादी की थी जिनकी पांचों फिल्मों में वही हीरो थे
प्रदीप कुमार तिवारी/ नई दिल्ली : देव आनंद दौर के बेहतरीन एक्टर्स में से एक थे। इसके अलावा वो उस जमाने के लोगों के लिए फ़ैशन आइकन भी थे। यही नहीं, देव आनंद की दीवानगी लोगों के सिर चढ़ कर बोलती थी। देव आनंद के काले कोट वाला किस्सा किसे नहीं पता है। लेकिन इस काले कोट के अलावा एक और किस्सा है, जिसने देव आनंद को खूब चर्चा में रखा और वो है उनका कल्पना कार्तिक से शादी करना।
पहला प्यार नहीं मिलने पर टूट गए थे देव
देव आनंद का पहला प्यार थीं अभिनेत्री सुरैया। लेकिन दोनों के बीच धर्म की दीवार आड़े आ गई। देव आनंद दिलो जान से सुरैया को चाहते थे। लेकिन सुरैया का परिवार इस रिश्ते को नहीं स्वीकार पाया। सुरैया से बिछड़ने के बाद देव बुरी तरह टूट गए थे। और इसके बाद उनकी जिंदगी में आई थीं कल्पना कार्तिक।
कल्पना कार्तिक को बनाया अपना जीवन साथी
साल 1954 में देव आनंद ने अपनी फिल्म की अभिनेत्री मोना सिंह यानी कल्पना कार्तिक से शादी कर ली। कल्पना क्रिश्चियन थीं। उन्होंने केवल 5 फिल्मों में काम किया था। लेकिन हैरानी की बात ये है कि इन पांच फिल्मों में उनके हीरो देव ही थे। कल्पना ने शिमला से पढ़ाई की थी और मिस शिमला ब्यूटी कॉन्टेस्ट का खिताब जीता था।
कौन हैं कल्पना कार्तिक
कल्पना पर जब देव साहब के बड़े भाई चेतन आनंद की नज़र पड़ी तो उन्होंने उनके परिवार से बात की और कल्पना को मुंबई भेजने के लिए राजी कर लिया। ये समय था 1951 का जब चेतन आनंद फिल्म 'बाजी' बना रहे थे। उन्होंने मोना सिंह यानी कल्पना को लीड एक्ट्रेस के तौर पर साइन कर लिया। इस फिल्म में कल्पना ने डॉक्टर का किरदार निभाया था। वास्तव में चेतन ने ही उनका नाम बदलकर कल्पना कार्तिक रखा था।
फिल्म 'बाजी' के बाद कल्पना ने चार और फिल्में की थीं। इन फिल्मों के नाम थे- आंधियां (1952), हाउस नंबर 44 (1954), टैक्सी ड्राइवर (1954) और नौ दे ग्यारह (1957)। इन फिल्मों में कल्पना के हीरो देव आनंद ही थे।
लंच ब्रेक में की थी शादी
इस फिल्मी सफर के दौरान देव आनंद और कल्पना ने तय किया कि वे शादी करेंगे। फिल्म टैक्सी ड्राइवर की शूटिंग के दौरान देव आनंद और कल्पना ने लंच ब्रेक से निकलकर शादी कर ली। देव आनंद ने इसके लिए रजिस्टरार को पहले ही सेट पर बुला रखा था। इसके बाद कल्पना ने एक ही फिल्म की शूटिंग की और फिर वह पूरी तरह परिवार की जिम्मेदारियों को संभालने में जुट गईं। कल्पना का फिल्मी करियर छोटा जरूर था लेकिन उस छोटे से करियर के जरिए वह जिंदगी भर के अपने सफर को माइने दे पाने में कामयाब रहीं।
(लेखक टाइम्स नाउ में सीनियर रिपोर्टर हैं )