- हिंदी भाषा को लेकर हुए विवाद में कंगना रनौत भी कूद गई हैं।
- कंगना रनौत ने कहा कि संस्कृत देश की राष्ट्रभाषा होनी चाहिए।
- कंगना के मुताबिक संस्कृत से ही सभी भाषाओं का जन्म हुआ है।
Kangana Ranaut on Ajay vs Kiccha Sudeep controversy: हिंदी भाषा पर अजय देवगन और किच्चा सुदीप के बीच पिछले दिनों ट्विटर वॉर छिड़ गया था। हालांकि, कुछ देर बाद दोनों के बीच सारी गलत फहमी दूर हो गई थी। हालांकि, इसके बाद भी इस मुद्दे ने काफी तूल पकड़ लिया था। अब कंगना रनौत भी इस विवाद में कूद गई हैं। कंगना ने इस मुद्दे पर अपनी राय रखते हुए कहा है कि संस्कृत को भारत की राष्ट्रभाषा होना चाहिए।
कंगना रनौत ने अपनी अपकमिंग फिल्म धाकड़ के ट्रेलर लॉन्च इवेंट के दौरान कहा कि, 'यदि आप लोग मुझे दो मिनट का वक्त देंगे तो मैं इस विवाद पर अपनी राय रखना चाहती हूं। तमिल भाषा, हिंदी से भी पुरानी है। इससे भी पुरानी भाषा संस्कृत है। यदि आप मेरा रिएक्शन इस विवाद पर मांगेंगे तो मुझे लगता है संस्कृत हमारी राष्ट्रीय भाषा होनी चाहिए। संस्कृत हर भाषा की जननी है। तमिल, कन्नड़, गुजराती और हिंदी भी संस्कृत भाषा से ही आए हैं। साउथ वाले अपनी भाषा और संस्कृति पर गर्व करते हैं। ऐसा करना हर किसी का जन्मसिद्ध अधिकार है। मैं पहाड़ी हूं इस पर मुझे गर्व है।'
देश को चाहिए एक धागा
कंगना आगे कहती हैं, 'देश को जोड़ने के लिए एक धागा चाहिए। वह धागा हिंदी है। हिंदी को नकारते हैं तो हिंदी ही नहीं दिल्ली जो सरकार का केंद्र है, उसे नकारते हैं। इस चीज की कई सारी परतें हैं। जब आप इस पर बात करना चाहते हैं तो आपको इन लेयर के बारे में पता होना चाहिए। आप विदेश में जाते हैं तो वहां के लोगों को अपनी भाषा पर बेहद गर्व होता है। भाग्य से या दुर्भाग्य से देश और विदेश में ये धागा अंग्रेजी है। आज भी हम अपने देश के अंदर बातचीत के लिए अंग्रेजी भाषा का इस्तेमाल कर रहे हैं। अब हिंदी, संस्कृत, तमिल क्या लिंक होना चाहिए। ये हमें तय करना है।'
अजय देवगन ने कही सही बात
कंगना रनौत ने आखिर में कहा, 'आज के दिन में संविधान में हिंदी राष्ट्रभाषा है। ऐसे में अजय देवगन जी ने जो कहा कि हिंदी राष्ट्रभाषा है वह गलत नहीं कहा। अगर कोई कहता है कि कन्नड़ या तमिल हिंदी से पुरानी भाषा है तो वह भी गलत नहीं कह रहे हैं। '
बकौल कंगना, 'संस्कृत ऐसी भाषा है, जिससे सभी भाषाएं आई हैं तो संस्कृत क्यों राष्ट्रीय भाषा नहीं होनी चाहिए?' आपको बता दें कि हिंदी राष्ट्रभाषा नहीं बल्कि राजभाषा है। सरकारी दफ्तर में कामकाज के लिए हिंदी भाषा को 14 सितंबर 1949 में राजभाषा का दर्जा मिला है।