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Naseeruddin Shah Birthday: क्लासमेट ने नसीरुद्दीन शाह की पीठ पर भोंक दिया था चाकू, ओम पुरी ने ऐसे बचाई थी जान

Updated Jul 20, 2020 | 06:15 IST

Naseeruddin Shah Birthday: बॉलीवुड एक्टर नसीरुद्दीन शाह आज अपना बर्थडे सेलिब्रेट कर रहे हैं। नसीरुद्दीन शाह और ओम पुरी एक वक्त बेहद अच्छे दोस्त थे। ओम पुरी ने एक वक्त नसीर की जान भी बचाई थी।

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Naseeruddin Shah, Om Puri
मुख्य बातें
  • नसीरुद्दीन शाह आज अपना बर्थडे मना रहे हैं।
  • नसीरुद्दीन शाह और ओम पुरी की दोस्ती बॉलीवुड में काफी मशहूर थी।
  • ओम पुरी ने एक वक्त नसीरुद्दीन शाह की जान बचाई थी।

मुंबई. नसीरुद्दीन शाह आज अपना 70वां बर्थडे मना रहे हैं। 100 से ज्यादा फिल्मों में काम कर चुके नसीरुद्धीन शाह ने 45 साल पहले अपने करियर की शुरुआत की थी। नसीर का जन्म  मेरठ के रहने वाले अली मोहम्मद शाह के परिवार में हुआ था। उनके पिता सरकारी विभाग में बड़े अधिकारी थे। उनके पिता चाहते थे कि वह सरकारी अधिकारी या फिर डॉक्टर बनें।

नसीरुद्दीन शाह ने दिल्ली स्थित नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा से की थी। यही पर उनकी मुलाकात ओम पुरी से हुई थी। ओम पुरी ने बाद में नसीर की जान तक बचाई थी। उन्होंने अपनी ऑटोबायोग्राफी ‘एंड देन वन डेः ए मेमॉइर’ में इस घटना का जिक्र किया है।  

साल 1977 में नसीर फिल्म भूमिका की शूटिंग कर रहे थे। शूटिंग से ब्रेक के दौरान नसीरुद्दीन और ओम पुरी किसी ढाबे पर खाना खा रहे थे। वहां अचानक उनका एक दोस्त जसपाल पहुंचा। जसपाल ने ओम पुरी को हेलो कहा। 

पीठ पर भोंका था चाकू 
नसीरुद्दीन ने अपनी बायोग्राफी में लिखा- 'जसपाल की आंखें मुझ पर टिक गईं। वह पीछे रखी कुर्सी में बैठने के लिए मेरे बगल से गुजरा। इसके बाद अचानक मुझे महसूस हुआ कि मेरी पीठ पर किसी ने नोंकदार चीज से वार किया है।'

बकौल नसीर- 'उस वक्त मुझे पता नहीं चला। लेकिन तभी ओम पुरी चिल्ला उठे। ओम पुरी ने जसपाल को पकड़ा। इस दौरान नसीर दर्द से कराह रहे थे।' ओम पुरी नसीर को तुरंत हॉस्पिटल ले गए। वहां पर उनकी जान बची। 

मानसिक बीमारी से जूझ रहा था जसपाल 
नसीर के मुताबिक जसपाल को मनोवैज्ञानिक बीमारी थी। जसपाल को इस बात से दिक्कत थी कि नसीरुद्दीन शाह को काम मिल रहा है लेकिन, उसे काम नहीं मिल रहा है। इसी कारण उसने नसीर को चाकू मारा था।

नसीर को पहला ब्रेक फिल्म निशांत से डायरेक्टर श्याम बेनेगल ने दिया। हालांकि, उन्हें पहचान साल 1976 में आई फिल्म भूमिका और मंथन से मिली थी। दुग्ध क्रांति पर बनी फिल्म मंथन के लिए पांच लाख किसानों ने अपनी दिहाड़ी मजदूरी से दो-दो रुपए दिए थे। 
 

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