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जब 500 सैनिकों की महार रेजीमेंट ने 28000 की पेशवा सेना को दी थी मात, अर्जुन रामपाल ला रहे हैं शौर्यगाथा

Updated Dec 10, 2020 | 19:03 IST

Arjun Rampal in The Battle of Bhima Koregaon: बॉलीवुड एक्‍टर अर्जुन रामपाल 1818 में हुए भीमा कोरेगांव के युद्ध पर फ‍िल्‍म लेकर आ रहे हैं।

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Arjun Rampal in The Battle of Bhima Koregaon
मुख्य बातें
  • भीमा कोरेगांव के युद्ध पर फ‍िल्‍म लेकर आ रहे हैं अर्जुन रामपाल
  • सोशल मीडिया पर शेयर किया फर्स्‍ट लुक, अगले साल होगी र‍िलीज
  • इस फ‍िल्‍म में अर्जुन रामपाल महार योद्धा का रोल निभाएंगे

Arjun Rampal in The Battle of Bhima Koregaon: बॉलीवुड एक्‍टर अर्जुन रामपाल 1818 में हुए भीमा कोरेगांव के युद्ध पर फ‍िल्‍म लेकर आ रहे हैं। इस शौर्यगाथा पर बनने वाली फ‍िल्‍म द बेटल ऑफ भीमा कोरेगांव का फर्स्‍ट लुक अर्जुन रामपाल ने सोशल मीडिया पर साझा कर दिया है। रमेश थेटे इस फ‍िल्‍म का निर्माण कर रहे हैं और यह साल 2021 में दर्शकों के बीच पहुंचेगी। 

एक जनवरी 1818 को ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी और मराठा साम्राज्य के पेशवा गुट के बीच कोरेगांव भीमा में युद्ध हुआ। फिल्म 'द बैटल ऑफ भीमा कोरेगांव' 18वीं सदी में पेशवा बाजीराव द्वितीय और महार योद्धाओं के बीच लड़े गए युद्ध की कहानी है। इस युद्ध को लगभग पांच सौ महार योद्धाओं ने हजारों की सेना को हराकर जीत लिया था। फ‍िल्‍म में अर्जुन रामपाल महार योद्धा का रोल निभाएंगे। 

बाजीराव द्वितीय के नेतृत्व में 28 हजार मराठाओं को पुणे पर आक्रमण करना था। रास्ते में उनका सामना ब्रिटिश ईस्ट इण्डिया कम्पनी की सैन्य शक्ति को मजबूत करने पुणे जा रही एक 800 सैनिकों की टुकड़ी से हो गया। पेशवा की सेना में 20,000 घुड़सवार और 8,000 पैदल सेना शामिल थीं।

पेशवा ने कोरेगांव में तैनात इस कंपनी बल पर हमला करने के लिए 2 हजार सैनिक भेजे। कप्तान फ्रांसिस स्टौण्टन के नेतृत्व में पेशवा शासक बाजीराव द्वितीय की 28,000 हजार की सेना को महज 12 घंटे चले युद्ध में पराजित कर दिया। कोरेगांव के मैदान में जिन महार सैनिकों ने लड़ते हुए वीरगति प्राप्त की, उनके सम्मान में सन 1822 ई. में भीमा नदी के किनारे काले पत्थरों के रणस्तंभ का निर्माण किया गया। 

भारतीय मूल के कंपनी सैनिकों में मुख्य रूप से बॉम्बे नेटिव इन्फैंट्री से संबंधित महार रेजिमेंट के करीब 500 महार सैनिक शामिल थे और इसलिए महारो के वंशज इस युद्ध को अपने इतिहास का एक वीरतापूर्ण प्रकरण मानते हैं। इस युद्ध में 834 कम्पनी सैनिकों में से 275 लोग मारे गए। ब्रिटिश अनुमानों के अनुसार, पेशवा के लगभग 500 से 600 सैनिक युद्ध में मारे गए या घायल हुए।

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