- जाने माने संगीतकार वनराज भाटिया का निधन हो गया है
- वनराज भाटिया ने काफी समय से बीमार चल रहे थे
- 94 साल की उम्र में वनराज भाटिया ने ली आखिरी सांस
Veteran Music Composer Vanraj Bhatia dies: हिंंदी सिनेमा के जाने माने संगीतकार वनराज भाटिया का निधन हो गया है। उन्होंने 60 के दशक में कई मशहूर ऐड फिल्मों का संगीत देते हुए अपने संगीतमय करियर की शुरुआत की थी। वनराज भाटिया ने काफी समय से बीमार चल रहे थे और आज सुबह 94 साल की उम्र में मुंबई के नेपियनसी रोड स्थित घर में उन्होंने तकरीबन 8.30 बजे अंतिम सांस ली।
70 और 80 के दशक की समानांतर फिल्मों में सुमधुर संगीत देने के लिए वनराज भाटिया मशहूर रहे। एक समय सिनेमा जगत में उनका ऊंचा नाम था और उनके द्वारा संगीतबद्ध किए गए गाने खूब पसंद किए जाते हैं। वनराज भाटिया के निधन से बॉलीवुड में शोक की लहर फैल गई है। सोशल मीडिया पर कई सितारों ने उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की है। करियर की ऊंचाइयों को छूने वाले वनराज भाटिया ने जीवन के अंतिम वर्ष आर्थिक संकट भी देखा। गायकों, गीतकारों और संगीतकार के हितों का ख्याल रखनेवाली इंडियन परफॉर्मिंग राइट्स सोसायटी (आईपीआरेस) की ओर से भी उनकी आर्थिक मदद की गई थी।
1974 में रिलीज हुई श्याम बेनेगल निर्देशित फिल्म 'अंकुर' बतौर संगीतकार वनराज भाटिया की पहली फिल्म थी। इसके बाद उन्होंने 'मंथन', '36 चौरंगीलेन', 'निशांत', 'भूमिका', 'कलयुग', 'जुनून', 'मंडी', 'हिप हिप हुर्रे', 'आघात' 'मोहन जोशी हाजिर हो' 'पेस्टनजी', 'खामोश', 'जाने भी दो यारों' जैसी फिल्मों में बतौर संगीतकार काम किया। कई फिल्मों में वनराज भाटिया ने पार्श्व संगीत दिया भी था। 'अजूबा', 'दामिनी' और 'परदेस' जैसी मुख्यधाराओं की फिल्मों से भी वह जुड़े रहे।
31 मई 1927 को पैदा हुए वनराज भाटिया को फिल्म Tamas (1988) के लिए बेस्ट म्यूजिक डायरेक्शन का नेशनल अवॉर्ड भी मिला था। इसके बाद उन्हें 1989 में संगीत नाटक अदादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। साल 2012 में भारत सरकार ने उन्हें चौथे सबसे प्रतिष्ठित नागरिक सम्मान 'पद्मश्री' से सम्मानित किया था।