- चेतन भगत जीते हैं रीयल 'की एंड का' लाइफ
- रोमांटिक लव स्टोरीज लिखने से हुए फेमस
- उनकी कई किताबों पर बन चुकी है हिट फिल्म
Chetan Bhagat Life Story: एक पिता का घर पर रहकर बच्चे पालना और मम्मी का जॉब पर बाहर जाना, यह कॉन्सेप्ट आज भी हमारे 'मॉर्डन' समाज में आसानी से अपनाया नहीं जा सका है। हालांकि, कई लोगों ने समाज की परवाह न करते हुए इस धारणा के विपरीत जाने का फैसला लिया और बन गए कुछ खास। इन्हीं में से एक हैं मशहूर राइटर चेतन भगत। चेतन भगत ने न सिर्फ घर पर रहकर बच्चों को संभाला है बल्कि एक वर्किंग वाइफ होने की वजह से घरेलू जिम्मेदारियों को भी अपने कधे पर उठाया। देखा जाए तो बॉलीवुड फिल्म 'की एंड का' के असली 'का' चेतन भगत ही हैं।
ये भी पढ़ें: चेतन भगत ने किया खुलासा- 'छेड़खानी के आरोपों से अंदर तक टूट गए थे सुशांत सिंह राजपूत'
फिल्मों जैसी प्यारी कहानी
बॉलीवुड फिल्म 'की एंड का' में जैसे करीना कपूर के बाहर जाने के बाद अर्जुन कपूर घर को संभालते हैं, कुछ ऐसी ही जिंदगी मशहूर लेखक चेतन भगत की भी रही। जिंदगी ऐसी होने का मतलब फिल्म जैसी कहानी नहीं बल्कि उनकी हाउस होल्ड हसबैंड की जिम्मेदारियां, जो वे बखूबी संभालते हैं। एक लेखक होने के नाते चेतन भगत का काफी समय अपने घर में ही बीतता है और कहीं न कहीं उन्हें अपने बच्चों के साथ अच्छा समय बिताने का मौका मिल जाता है। इस दौरान वे बच्चों को पिता के साथ-साथ उन्हें मां की तरह संभालते भी हैं। साथ ही उनकी हर छोटी-बड़ी जरूरतों का पूरा ध्यान रखते हैं।
जब नौकरी को लेकर बच्चे पूछते थे ये सवाल
चेतन भगत खुद इस मामले में कहते हैं कि जब वे अच्छी नौकरी कर रहे थे तो उन्हें लगा कि लिखना चाहिए। इसलिए उन्होंने अपनी नौकरी छोड़ी और घर पर बैठकर काम करना शुरू कर दिया। पत्नी के वर्किंग होने की वजह जब उन्होंने घर पर रहने का ऑप्शन चुना तो काफी जिम्मेदारियां भी उनके जिम्मे आईं। चेतन के इस फैसले से परिवार के लोग और रिश्तेदार, दोस्तों को हैरानी भी काफी हुई। इतना ही नहीं, चेतन के बच्चे उनसे सवाल कर देते थे कि वे दूसरे बच्चों के पापा की तरह ऑफिस क्यों नहीं जाते हैं। जिसपर चेतन मजाक में उनसे कह देते कि कभी सुपरमैन को ऑफिस जाते हुए देखा है।
ये भी पढ़ें: चेतन भगत का बड़ा आरोप, 'विधु विनोद चोपड़ा ने मुझे पहुंचा दिया था आत्महत्या के करीब'
आज लोगों को समझ आया क्या होता है वर्क फ्रॉम होम
चेतन कहते हैं कि जब उन्होंने घर पर बैठकर लिखना शुरू किया था तो उस समय स्टे एट होम फादर का कॉन्सेप्ट नहीं था। उस समय एक मर्द का घर पर बैठना काफी अजीब माना जाता था। चेतन अपने अनुभव को लेकर बताते हैं कि घर पर पिता का रहना, अपने आप में लॉकडाउन जैसा है। हालांकि पहले लोगों को लगता था कि घर पर बैठकर कैसे काम और घर संभाला जाता होगा लेकिन आज देखिए, लोगों को वर्क फ्रॉम होम का कॉन्सेप्ट समझ आ रहा है।