मुंबई: रेखा को फिल्म जगत की एक आकर्षक पहेली माना जाता रहा है, जिसे कई लोगों ने समझने की कोशिश की। रेखा की जीवनी लिखने वाले यासिर उस्मान बताते हैं कि कैसे रहस्यमय अभिनेत्री अपनी जिंदगी में टूट गईं और उसके बाद उनका हमेशा के लिए बदला हुआ रूप देखने को मिला।
रेखा की फिल्म जगत में विशेष छवि रही है और उनके जीवन में गोपनीयता के साथ रहस्य की बू आती है। वह बहुत कम ही मीडिया से बात करती हैं। पिछले तीन दशकों से, रेखा का शायद ही कोई इंटरव्यू रहा है जहां उन्होंने बिना किसी संकोच के अपनी भावनाओं या विचारों को व्यक्त किया हो। लेकिन क्या हमेशा ऐसा ही होता था?
टीओआई की रिपोर्ट के अनुसार अभिनेत्री की जीवनी 'रेखा: द अनटोल्ड स्टोरी' के लेखक यासिर उस्मान बताते हैं, 'मैं पुरानी कुछ सनसनीखेज मैगजीन कवर स्टोरी और रेखा के कुछ साक्षात्कारों को पढ़कर दंग रह गया। 1970-80 के दशक में हर साल अभिनेत्री ने सैकड़ों इंटरव्यू दिए। दिलचस्प और चौंकाने वाले इंटरव्यू। फिर अचानक ऐसा क्या हुआ कि 80 के दशक के बाद उन्होंने ज्यादातर मौकों पर चुप ही रहने का फैसला किया।'
इस सवाल का जवाब साल 1990 में है। लेकिन इससे पहले कि हम 1990 की घटना के बारे में बात करें, हमें पता होना चाहिए कि फिल्म उद्योग और फिल्म मीडिया में सहकर्मियों द्वारा लंबे समय तक उन पर शातिर हमले और भद्दी टिप्पणियों की गईं। उनके रंग से लेकर कई बड़े कलाकारों ने तक अपमानजनक बातें बोलीं।
फिर भी, इन सब बातों और टिप्पणियों के बावजूद रेखा बॉलीवुड की शीर्ष महिला स्टार बनकर राष्ट्रीय पुरस्कार जीतने में कामयाब रहीं।
जब लगा सबसे बड़ा झटका!
इसके बाद अभिनेत्री की जिंदगी में सबसे बड़ा झटका तब आया जब शादी के कुछ ही महीनों के बाद रेखा के पति और दिल्ली में व्यापारी मुकेश अग्रवाल ने आत्महत्या कर ली। फिर तो हद ही हो गई रेखा को विच यानी डायन की संज्ञा तक दी गई। मुकेश के परिवार, मीडिया और बॉलीवुड में उनके सहयोगियों ने बिना किसी आधार के पति की मौत के लिए रेखा को दोषी ठहराया। कुछ ने तो यहां तक कह दिया- 'वो डायन अपने पति को खा गई।'
जीवनी के लेखक कहते हैं फिल्म पत्रिकाओं में सुर्खियां थीं: 'द ब्लैक विडो' और 'कैसे रेखा ने मुकेश को आत्महत्या की ओर धकेला।' उस समय उनकी फिल्म 'शेषनाग' का बहिष्कार किया गया और पोस्टर पर उनका चेहरा काला करने की बात सामने आई।
धमाकेदार वापसी लेकिन बदल चुकी थीं रेखा:
इस घटनाक्रम ने रेखा को गहरी उदारी और शून्यता में धकेल दिया। वह महीनों तक प्रेस से नहीं मिली या बात नहीं की। और फिर उन्होने सुपर हिट फिल्म (फूल बनें अंगारे) के साथ अगले साल एक शानदार वापसी की। लेकिन यह स्पष्ट तौर पर दिख रहा था कि वह कुछ बदल गई हैं। अब वह मुखर और सनसनीखेज संवाद करने वाली रेखा नहीं थी बल्कि अकेले शांत रहने को प्राथमिकता देती थीं।
'रेखा से रिया तक... कुछ खास नहीं बदला'
यासिर कहते हैं, 'आत्महत्या से सुशांत सिंह राजपूत की मौत के बाद उनकी प्रेमिका रिया चक्रवर्ती भी कुछ इसी तरह के संकट से गुजरी हैं। महीनों तक चलने वाले उसके मीडिया ट्रायल में रिया को एक वैश्या, एक ड्रग पेडलर और पैसों के पीछे भागने वाली लड़की बनाया गया, जिसने कथित तौर पर सुशांत को मौत के घाट उतार दिया। रेखा से रिया तक की कहानी देखकर लगता है महिलाओं को लेकर समाज, मीडिया और फिल्म जगत का रवैया कुछ खास नहीं बदला है।'
गौरतलब है कि रेखा पर अपने विचार देने वाले यासर उस्मान तीन प्रशंसित फिल्म आत्मकथाओं: रेखा: द अनटोल्ड स्टोरी; राजेश खन्ना: द अनटोल्ड स्टोरी ऑफ़ इंडियाज फर्स्ट सुपरस्टार और अभिनेता संजय दत्त की जीवनी के लेखक हैं।