- पंकज ने टीवी सीरियल 'ना हौसला हारेंगे हम' के साथ किया था डेब्यू
- फिल्मी बैकग्राउंड से नहीं होने के बावजूद बना रहे जगह
- बोले- ओटीटी की दुनिया ने नए कलाकारों के लिए खोले मौके
Pankaj Jaiswal speaks on his struggle in Bollywood: सिनेमा जगत की दुनिया इतनी चमकीली है कि हर किसी के लिए वहां पहुंचकर अपने लिए जगह बनाना आसान नहीं। कुछ लोग जो मेहनत करते हैं और टिके रहते हैं, वही सफल हो पाते हैं। खासतौर पर उन लोगों के लिए जो फिल्मी बैकग्राउंड से नहीं है या जिनके पास कोई फिल्मी कनेक्शन नहीं हैं, वो केवल हुनर के दम पर ही कामयाबी का स्वाद चखते हैं। आज हम बात कर रहे हैं पंकज जायसवाल की जो उन बाहरी लोगों में से हैं जिन्होंने बंबई जाकर संघर्ष किया और अपनी जगह बनाई।
पंकज जायसवाल का सपना था कि वो ऐसा सिनेमा बनाएं जिसे दुनिया देखे और प्रेरित हो। इसलिए मनोरंजन की दुनिया में उनका आगाज संघर्ष से भरा रहा। उन्होंने कई प्रयास किए जो लोगों के सामने नहीं आ पाए। फिर साल 2016 में 'ना हौसला हारेंगे हम' नाम के टीवी सीरियल के साथ उन्होंने शुरुआत की। इसके अलावा पंकज जायसवाल ने संजय मिश्रा की 'अम्मा की बोली' के साथ एक फिल्म निर्माता के तौर पर अपनी पारी का आगाज किया। पंकज साल 2018 में आई मशहूर निर्देशक प्रकाश झा की वेबसीरीज सारे जहां से अच्छा के साथ भी जुड़े। हरियाणा की माटी पर आधारित प्रसिद्ध वेब सिरीज ‘सारे जहां से अच्छा’ के चार एपिसोड आ चुके हैं और अब जल्द इसका नया सीजन आएगा।
उनका फोकस अब ओटीटी पर है क्योंकि कोरोना काल में ओटीटी ने कलाकारों के सामने मौके खोले हैं। पंकज ने टाइम्स नाऊ नवभारत को बताया कि बचपन के शौक को वह करियर की तरह अपनाना चाहते थे। इसी बात ने उन्हें बंबई जाने पर मजूबर किया। वह कहते हैं, 'बचपन से मुझे फिल्में देखना पसंद था। फिल्म देखने के साथ ही फिल्म निर्माण की बारीकियां जानने को मैं उत्सुक रहता था। मेरी रुचि बढ़ती गई। मैंने ज्यादा कुछ तय नहीं किया था। बस सोच लिया कि फिल्मों में काम करना है और फिल्में बनाना है।
OTT रियल सिनेमा है
पंकज जायसवाल ने ओटीटी को लेकर कहा कि पहले का सिनेमा उतना रियल नहीं लगता था। आज लोग चाहते हैं कि सिनेमा उनके आसपास की घटनाएं, सच्ची घटनाओं को दिखाए। आज यही सब पसंद किया जा रहा है। भारत में बीते 2-3 साल से ओटीटी का बूम आया और रियल सिनेमा, रियल कहानियां दिखाई जाने लगीं। अब उन कहानियों की डिमांड है जो रियलिटी के करीब हैं।
ओटीटी ने की भाई भतीजावाद पर चोट
पंकज जायसवाल ने कहा कि OTT ने भाई भतीजावाद पर चोट की है और नए कलाकारों के लिए संभावनाएं खोली हैं। खूब सारे ओटीटी प्लेटफॉर्म आ गए हैं और अब कलाकार अपना टैलेंट दिखा रहे हैं। सिनेमा में कुछ फैमिली हावी थीं और सालों तक संघर्ष के बाद भी नए सितारों को मौका नहीं मिलता था। अब तस्वीर बदल रही है।