भारतीय सिनेमा के 'एल्विस प्रेस्ली' माने जाने वाले एक्टर शम्मी कपूर की 21 अक्टूबर को 89वीं बर्थ एनिवर्सरी है। कपूर खानदान के वह पहले ऐसे बच्चे थे जिनकी डिलीवरी अस्पताल में हुई थी। 21 अक्टूबर 1931 के दिन शम्मी कपूर का जन्म मुंबई में हुआ था, उनके पिता पृथ्वीराज कपूर ने उस समय शम्मी कपूर का नाम 'शमशेर राज कपूर' रखा था। बाद में वह शमशेर राज कपूर से शम्मी कपूर हो गए। बॉलीवुड इंडस्ट्री में शम्मी कपूर ने पूरे 5 दशक तक अपना दबदबा कायम रखा था और इस लंबे काल में उन्होंने करीब 200 फिल्मों में काम किया था। 'रंगीन रातें', 'उजाला', 'मुजरिम', 'दिल दे कर देखो', 'जंगली', 'कश्मीर की कली', 'राजकुमार' जैसी कई फिल्में उनके करियर की शानदार फिल्मों में से एक हैं।
उनके जन्मदिन पर चलिए जानते हैं उनके जीवन की कुछ ऐसी रोचक बातें जिन्हें आपने पहले कभी नहीं सुना होगा। (Shammi Kapoor Unknown Facts)
डर के बीच पैदा हुए थे शम्मी कपूर
पृथ्वीराज कपूर और उनकी धर्मपत्नी रामसरनी मेहरा कपूर बहुत डरे हुए थे जब शम्मी गर्भ में थे। दंपत्ति के डरने की वजह यह थी कि राज कपूर के बाद उनके दो बच्चों की मौत हो गई थी। हालांकि, दोनों ने हिम्मत से काम लिया और शम्मी कपूर को मुंबई के एक अस्पताल में जन्म दिया। शम्मी के पैदा होने के बाद उन्हें बड़े लाड प्यार से पाला गया था।
बचपन से ही एक्टर रहे थे शम्मी कपूर
इस बात को ठुकराया नहीं जा सकता कि शम्मी कपूर बॉलीवुड इंडस्ट्री के एक लाजवाब कलाकार थे, उनके प्रतिभाओं को बल देने का काम पृथ्वी थिएटर ने किया था जहां वह बचपन में थिएटर आर्टिस्ट थे। 1948 में शम्मी कपूर को उनका पहला जॉब मिला था जहां पर वह एक जूनियर आर्टिस्ट का काम कर रहे थे और उनको उस काम के लिए 150 रुपए प्रति माह तनखाह मिलती थी।
भाई के वजह से छोड़ना पड़ा था स्कूल
पृथ्वीराज के दोनों बेटे राज कपूर और शशि कपूर बहुत टैलेंटेड थे। शम्मी कपूर का यह किस्सा बहुत मशहूर है कि अपने भाई के चलते उनको भी स्कूल छोड़ना पड़ा था। दरअसल हुआ यह था कि राज कपूर को 'शकुंतला नाटक' में एक बड़ा किरदार मिला था जिसकी रिहर्सल के लिए उन्हें बुलाया गया था। लेकिन स्कूल से छुट्टी ना मिलने पर उन्होंने अपने प्रिंसिपल से लड़ाई कर ली थी और वह स्कूल छोड़ कर आ गए थे। अपने भाई के लड़ने का नतीजा शम्मी को भुगतना पड़ा और उन्हें भी वह स्कूल छोड़ना पड़ा था।
50 रुपए में करते थे थिएटर का काम
शम्मी कपूर के जिंदगी का यह बहुत खास किस्सा है जब उनके पिता पृथ्वीराज कपूर ने उनका सहारा बनकर उन्हें काम दिलाया था। शम्मी कपूर जब कॉलेज स्टूडेंट हुआ करते थे तब एक दिन वह अपने कॉलेज को छोड़कर घर आ गए थे। वह थोड़े निराश और खोए-खोए से थे तब उनके पिता पृथ्वीराज कपूर ने उनके मन की बात समझते हुए उन्हें कहा था - कोई बात नहीं पुत्तर और उन्हें थिएटर ज्वाइन करने का मौका दिया था।
नहीं मिली स्टारकिड वाली लॉन्चिंग
वह जमाना था जब शम्मी कपूर अपने पिता के थिएटर में एक मजदूर की तरह काम किया करते थे और उनसे अपनी तनख्वाह लिया करते थे। पृथ्वीराज कपूर का उस समय बॉलीवुड इंडस्ट्री में एक अच्छा खासा दबदबा था, अगर वह चाहते तो उनके बेटे को एक शानदार लॉन्चिंग मिल सकती थी, लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया। पृथ्वीराज कपूर ने अपने बेटे शम्मी कपूर को खुद ही उनके पैरों पर खड़ा करने का निर्णय लिया था। शम्मी कपूर ने खुद मेहनत किया और अपने पिता के निर्णय को सही साबित किया। स्टारकिड वाली लॉन्चिंग ना मिलने का एक और कारण था कि बतौर चाइल्ड आर्टिस्ट उन्होंने अपने फिल्मी करियर की शुरुआत अपने बचपन से ही कर दी थी।
'जीवन ज्योति' से बड़े पर्दे पर की शुरुआत
1953 में रिलीज हुई फिल्म जीवन ज्योति से शम्मी कपूर ने अपने बॉलीवुड करियर की शुरुआत की थी, इस फिल्म में उनकी को-एक्ट्रेस चांद उस्मान थीं। इस फिल्म को महेश कौल ने निर्देशित किया था और ऐसा कहा जाता है कि इस फिल्म को करने के लिए शम्मी कपूर को 11,111 रुपए मेहनताना मिला था।
लड़कियों से थी खास दोस्ती
यूं तो शम्मी कपूर के कई दोस्त थे लेकिन उनकी दोस्ती लड़कियों से बहुत ज्यादा थी। इस बात से उनके घरवाले अनजान नहीं थे। ऐसा कहा जाता है कि अपने फिल्म ब्रह्मचारी की को-स्टार मुमताज के साथ उनका गहरा संबंध था लेकिन वो ज्यादा दिनों तक नहीं टिका। उनकी जिंदगी का एक और किस्सा है, जब वह एक विदेशी बेली डांसर को डेट किया करते थे लेकिन कुछ समय बाद शम्मी का उनसे भी ब्रेकअप हो गया था। उनके बचपन का एक अनसूना किस्सा है कि नूतन उनकी चाइल्डहुड गर्लफ्रेंड थीं। इन दोनों नन्हे कलाकारों ने 1953 में रिलीज हुई फिल्म 'लैला मजनू' में साथ काम किया था। उस समय नूतन मात्र 3 साल की थीं और शम्मी उस समय 6 साल के थे, तब से लेकर अंत तक उन दोनों की एक अच्छी दोस्ती थी।
गीता बाली थीं उनकी पहली पत्नी
शम्मी कपूर की पहली पत्नी एक्ट्रेस गीता बली थीं जिनके साथ उनके दो बच्चे हुए थे कंचन और मिक्की। लेकिन 1960 में स्मॉल पॉक्स के कारण गीता बली का देहांत हो गया था। अपने प्यार की मौत से शम्मी कपूर को बहुत गहरा झटका लगा था जिसके बाद वह गुमसुम से रहने लगे थे। उनके हेल्थ पर भी बहुत बुरा प्रभाव पड़ा था जिसके वजह से वह बहुत मोटे हो गए थे और उनका करियर भी बहुत प्रभावित हुआ था। अपने घर वालों के कहने पर शम्मी कपूर ने भावनगर की रानी नीला देवी से दूसरी शादी कर ली थी।
लिपस्टिक से भरी मांग
फिल्म 'कॉफी हाउस' से गीता और शम्मी की मुलाकात हुई थी जिसके बाद शम्मी उनसे बेइंतहा प्यार करने लगे थे। ऐसा कहा जाता है कि शम्मी कपूर गीता से हर एक दिन यह सवाल पूछा करते थे कि 'तुम मुझसे प्यार करती हो?' और हर बार गीता का एक ही जवाब होता था 'ना'। शम्मी कपूर के जिंदगी का एक ऐसा खास पल था जब गीता ने उन्हें 'हां' कह दिया था और उनसे उसी समय शादी करने की बात कही थी। गीता की बात सुनकर शम्मी कपूर हैरान रह गए थे। गीता, जॉनी वॉकर के किस्से से बहुत प्रभावित थीं। वह दोनों जॉनी वॉकर के पास गए और जॉनी वॉकर ने उन्हें मंदिर में जाकर शादी करने का सुझाव दिया। इस सुझाव को अपनाते हुए वह दोनों मंदिर पहुंचे लेकिन मजे की बात ही यह है कि शादी करने के लिए शम्मी कपूर को सिंदूर चाहिए था जो दोनों में से किसी के पास नहीं था। गीता ने अपनी सूझबूझ दिखाई और अपने बैग से लिपस्टिक निकालकर शम्मी कपूर को थमा दी। शम्मी कपूर उत्साहित थे और उन्होंने लिपस्टिक से ही गीता की मांग भर दी थी।
शम्मी कपूर के साथ हुए थे कई हादसे
एक्टर्स के जिंदगी में हमेशा खतरों का साया रहता है, शम्मी कपूर को भी शूटिंग के दौरान या जिंदगी में कई हादसों का सामना करना पड़ा था। 'राजकुमार' फिल्म की शूटिंग करते समय एक हाथी ने उनके पैर को जख्मी कर दिया था जिसके बाद शम्मी कपूर को कुछ समय तक काम ना करने की सलाह दी गई थी। उस समय उनके पैर की हड्डी टूट गई थी। फिल्म 'बदतमीज' के दौरान भी वह जख्मी हुए थे, उनकी दो पसलियां टूट गई थीं।
अमिताभ बच्चन के साथ कुछ खास यादें
'सिलसिला' फिल्म का सुपर हिट गाना 'नीला आसमां सो गया' के साथ कुछ ऐसी यादें जुड़ी हैं जिन्हें बहुत से लोगों ने नहीं सुना होगा। यह कहा जाता है कि इस गाने के अंतरे को शम्मी कपूर ने खुद कंपोज किया था। ऐसा करने में उनका साथ 'बिग बी' यानी 'अमिताभ बच्चन' ने दिया था। उन दोनों की एक खास यादें है कि दोनों ने मिलकर इस ट्यून को बनाया था। शम्मी कपूर इस धुन को गुनगुनाते थे वहीं दिग्गज कलाकार अमिताभ बच्चन अपने गिटार पर इस धुन को बजाते थे।
'जंगली' उनकी पहचान
शम्मी कपूर कितने बेहतरीन कलाकार थे यह तो उनकी हर एक फिल्म में झलकता है। लेकिन 1961 में रिलीज हुई उनकी फिल्म 'जंगली' ने शम्मी कपूर की पहचान बदल दी थी। यह उनके करियर की सबसे शानदार फिल्म थी जिसने उन्हें रातोंरात सुपरस्टार बना दिया था। इस फिल्म को करने के बाद यह कहा जाता है कि शम्मी कपूर जितनी भी फिल्मों में नजर आए, वह सब हिट हुईं।
डांस और शम्मी कपूर
शम्मी कपूर को ऐसे ही बॉलीवुड इंडस्ट्री का 'एल्विस प्रेस्ली' नहीं कहा जाता। इस उपाधि के मिलने के पीछे एक बहुत रोचक कहानी है। शम्मी कपूर ने बॉलीवुड इंडस्ट्री को एक खास तोहफा दिया था जिसने हीरोज का डेफिनेशन चेंज कर दिया था। यह कहा जाता है कि शम्मी कपूर अपनी फिल्मों में अपने तरीके से ही डांस करते थे, और वह इंटरनेशनल स्टार एल्विस प्रेस्ली से बहुत प्रभावित थे। उनकी वजह से बॉलीवुड इंडस्ट्री में लीड एक्टर्स का डांस करने का चलन शुरू हुआ था।
1988 में लिया कंप्यूटर का ज्ञान
शम्मी कपूर को कुछ नया सीखने का शौक हमेशा से था। इसी के चलते 1988 में उन्होंने कंप्यूटर का ज्ञान लिया। शम्मी कपूर एक ऐसे एक्टर और भारतीय थे जो कुछ चंद लोगों में गिने जाते थे इंटरनेट के इस्तेमाल के लिए। उस समय भारत में इंटरनेट का उतना चलन नहीं था लेकिन फिर भी शम्मी कपूर ने कंप्यूटर का ज्ञान लिया और वह इंटरनेट का इस्तेमाल करना भी जानते थे।
96 और 4 का आंकड़ा
शम्मी कपूर अपने नेम, फेम और मनी के लिए अपनी जिंदगी से जुड़े हर एक व्यक्ति का शुक्रिया करते थे जिन्होंने उनका हर एक मोड़ पर साथ दिया था। उनका मानना था कि उनके शानदार एक्टिंग करियर का 96 प्रतिशत हिस्सा उनकी मजदूरी को जाता है जो वह थिएटर में करते थे और 4 प्रतिशत हिस्सा उनके गुड लुक्स को जाता है क्योंकि इसके बगैर शायद उन्हें काम नहीं मिलता।