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Laal Kaptaan Review: बदले की धीमी कहानी है लाल कप्तान, नागा साधु के रूप में खूब जमे सैफ अली खान

Updated Oct 18, 2019 | 13:08 IST | टाइम्स नाउ डिजिटल
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Lal Kaptaan Movie Review in Hindi: सैफ अली खान की फिल्म लाल कप्तान को देखने जाने से पहले आप भी इसका रिव्यू पढ़ लें।

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तस्वीर साभार:&nbspTwitter
Laal Kaptaan movie review
मुख्य बातें
  • लाल कप्तान में सैफ अली खान नागा साधू बने हैं
  • फिल्म में सैफ की एक्टिंग बहुत जबरदस्त रही
  • कहानी की धीमी रफ्तार इसकी सबसे बड़ी कमी है

इस शुक्रवार को सैफ अली खान की फिल्म लाल कप्तान रिलीज हुई। इस फिल्म में वे नागा साधु का किरदार निभा रहे हैं, जो बदला लेने के लिए राजस्थान के जंगलों में घूमता रहता है। फिल्म के ट्रेलर्स ने लाल कप्तान को लेकर दर्शकों की उत्सुकता और बढ़ा दी। सैफ ने इससे पहले कभी ऐसा किरदार नहीं निभाया था। अगर आप भी लाल कप्तान को देखने का प्लान बना रहे हैं तो जाने से पहले पढ़ लें इसका रिव्यू।

कहानी
लाल कप्तान 17वीं शताब्दी में आधारित बदले की कहानी है। जब मुगल और अन्य राज परिवार अपनी सत्ता खोने लगते हैं और भारत में ब्रिटिश राज की शुरुआत होने लगती है। इसमें नागा साधु बने सैफ रहमत खान के शिकार के लिए निकलते हैं, ताकि वे उससे 20 साल पुराना बदला ले सकें।

डायरेक्शन और स्क्रीनप्ले
फिल्म के डायरेक्टर नवदीप सिंह इससे पहले कई शानदार फिल्में दे चुके हैं, इसकी कहानी भी काफी अच्छी है। लेकिन फिल्म में काफी सारी कमियां भी हैं। फिल्म को काफी लंबा कर दिया है। इसमें उतनी गहराई नहीं लगी कि इसे इतने वक्त तक घसीटा जाए। इसके एडिटिंग में काफी सुधार किया जा सकता था और फिल्म करीब आधे घंटे छोटी की जा सकती थी। क्योंकि ये बेहद धीरे चलती है, जिससे आपको बोरियत होने लगेगी।

कहानी में ज्यादा गहराई न होने और अच्छी एडिटिंग की कमी का असर इसके स्क्रीनप्ले पर भी पड़ा है। ये नवदीप की शूट करने के मामले में सबसे कठिन फिल्म है, लेकिन एग्सीक्यूशन के मामले में ये काफी कमजोर रही। 

एक्टिंग
हालांकि इन सभी कमियों के बावजूद सैफ की एक्टिंग देखने लायक थी। पिछले कुछ सालों से सैफ अपनी फिल्मों के साथ एक्सपेरिमेंट करने लगे हैं और अलग तरह के रोल चुन रहे हैं। फिल्म में उनको नागा साधु के रूप में वे बिल्कुल परफेक्ट लगेंगे। लुक से लेकर बॉडी लैग्वेंज तक, सैफ ने लाल कप्तान के लिए जबरदस्त मेहनत की है और ये मेहनत पर्दे पर साफ नजर भी आ रही है।

फिल्म में दीपक डोबरियाल ने भी एक दिलचस्प किरदार निभाया है। वे भी अपने कैरेक्टर में पूरी तरह ढले हुए नजर आए। इसमें उनके किरदार को थोड़ा मजाकिया टच दिया गया है, जो उन पर जम रहा है। रहमत खान के रूप में मानव विज भी ठीक-ठाक लगे। वे लीड विलेन थे, ऐसे में उनके किरदार को थोड़ा स्थापित किया जा सकता था। जोया हसन और सिमोन सिंह ने अपने किरदारों को अच्छी तरह निभाया। सपोर्टिंग कास्ट का काम भी ठीक रहा।

सिनेमेटोग्राफी और बैकग्राउंड स्कोर
लाल कप्तान की सिनेमेटोग्राफी बेहद जबरदस्त थी और इसका बैकग्राउंड स्कोर आपको पूरी तरह से बांधे रखता है। फिल्म में एक्शन भी अच्छा है, लेकिन फिर भी कुछ कमी-सी रही।

कुल मिलाकर लाल कप्तान थोड़ी और बेहतर हो सकती है। फिल्म का लंबा होना इसकी एक बड़ी कमी है, लेकिन सैफ की जबरदस्त एक्टिंग, सॉलिड सिनेमेटोग्राफी, बैकग्राउंड स्कोर के लिए फिल्म को देखा जा सकता है। अगर आपको रेगुलर मसाला फिल्मों से हटकर कुछ देखने की चाह है तो लाल कप्तान आपको पसंद आ सकती है।

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