लाइव टीवी

Sadak 2 review : सड़क 2 बनाकर महेश भट्ट ने अपनी बेटी आल‍िया भट्ट के साथ अन्‍याय क‍िया है!

मेधा चावला | SENIOR ASSOCIATE EDITOR
Updated Aug 30, 2020 | 20:37 IST
Critic Rating:

Sadak 2 review in hindi : महेश भट्ट ने अर्से बाद फ‍िल्‍म बनाई है - सड़क 2 ज‍िसमें आल‍िया भट्ट और संजय दत्‍त हैं। देखें इस फ‍िल्‍म की इतनी आलोचना क्‍यों हो रही है।

Loading ...
तस्वीर साभार:&nbspTwitter
Sadak 2 review, सड़क 2

कोरोना के चलते सड़क 2 को ड‍िज‍िटल प्‍लैटफॉर्म पर र‍िलीज क‍िया गया है। इससे फ‍िल्‍म की इज्‍जत कुछ बच गई है। लेक‍िन आल‍िया को लेकर महेश भट्ट ऐसी फ‍िल्‍म बनाएंगे, इसकी उम्‍मीद नहीं थी। 

बॉलीवुड में फ‍िल्‍ममेकर जब भी अपने बच्‍चों को लॉन्‍च करते हैं या फ‍िर उनको लेकर फ‍िल्‍म बनाते हैं तो उसे एक अच्‍छा पैकेज बनाने में कोई कसर नहीं छोड़ते। साल 1991 में बेटी पूजा भट्ट के साथ एक जबरदस्‍त फ‍िल्‍म लेकर आए थे महेश भट्ट। नाम था सड़क। कहानी, म्‍यूज‍िक, डायरेक्‍शन सब अच्‍छा था और फ‍िल्‍म उस साल की बड़ी ह‍िट फ‍िल्‍मों में शामिल थी। अब ये बात और है क‍ि फ‍िल्‍म का फायदा महेश भट्ट की बेटी को कम और संजय दत्‍त को ज्‍यादा मिला। 

इस बार सड़क 2 के साथ भी ऐसा ही है अगर फिल्म अच्छी बनती और हिट होती तो सारा श्रेय संजय दत्त को ही जाता। राजी जैसा सोलो हिट दे चुकी आलिया पर लगता है पापा महेश भट्ट् को भरोसा ही नहीं था। क्लाइमेक्स के पहले आलिया को कहानी से ही हटा देते हैं। संजय दत्त बिना किसी सस्पेंस और उतार चढ़ाव के एक घर में घुसते हैं और अकेले ही ताकतवर सरगना को खत्म कर देते हैं। 90 के दशक में भी इतनी सपाट कहानी नहीं चलती थी। 

सड़क 2 के र‍िव्‍यू से पहले सड़क को याद करना जरूरी था क्‍योंक‍ि जिस फ‍िल्‍म टाइटल से महेश भट्ट ने अपनी बड़ी बेटी को एक ब्‍लॉक बस्‍टर दी, उसी के सीक्‍वल से दूसरी आल‍िया भट्ट का जमा जमाया करियर खराब कर द‍िया। ज‍िन्‍होंने भी आल‍िया भट्ट को अभी तक अलग अलग न‍िर्देशकों के साथ काम करते देखा है, वो यही कहेंगे क‍ि महेश ने आल‍िया के साथ सड़क 2 बनाकर बड़ा अन्‍याय क‍िया है। पहली और इस सड़क में एक कॉमन कनेक्‍शन यही है क‍ि वो फ‍िल्‍म भी संजय दत्‍त के नाम थी और इस फ‍िल्‍म में भी जो कुछ अच्‍छा है, वो संजय दत्‍त ही हैं। 

फ‍िल्‍म को आईएमडीबी पर 1 एक आसपास की रेट‍िंग दर्शक दे रहे हैं। शायद इतनी आलोचना अब तक क‍िसी भी फ‍िल्‍म की नहीं हुई होगी, ज‍ितना क‍ि सड़क 2 को कोसा जा रहा है। बॉलीवुड में राजी जैसी सुपर ह‍िट फ‍िल्‍म देने के बावजूद आल‍िया भट्ट इस बार दर्शकों को नहीं खींच पा रही हैं। कई लोग इसके पीछे नेपोट‍िज्‍म और सुशांत स‍िंह राजपूत केस में महेश भट्ट की भूम‍िका से नाराजगी बता रहे हैं। ये फैक्‍टर्स अपनी जगह हैं लेक‍िन फ‍िल्‍म को कम रेट‍िंग की वजह स‍िर्फ यही नहीं है। 

सड़क 2 की सबसे बड़ी समस्‍या

जब एक अनुभवी और द‍िग्‍गज डायरेक्‍टर की पर्दे पर वापसी होती है, तो दर्शक उनसे एक स्‍टैंडर्ड की उम्‍मीद रखते हैं। मगर बड़े फ‍िल्‍म मेकर्स के साथ एक बड़ी द‍िक्‍कत ये होती है क‍ि वे अपने ल‍िए एक फॉर्म्‍युला तय कर लेते हैं और ये नहीं सोच पाते क‍ि वक्‍त के साथ दर्शक बदल गया है। ये तो छोड़िए, इस फेर में वे कहानी को भी सही तरीके से बांध नहीं पाते। सड़क 2 के साथ सबसे बड़ी द‍िक्‍कत ये है। 

आर्या यानी आल‍िया भट्ट एक बाबा और अपनी मौसी से नाराज है क्‍योंक‍ि उन्होंने उसकी मां की हत्‍या की है। वे उसकी प्रॉपर्टी के पीछे हैं, उसे पागल करार दे रहे हैं और आर्या उनको बेनकाब करना चाहती है। इसी फेर में वो आद‍ित्‍य रॉय कपूर के क‍िरदार व‍िशाल से म‍िलती है, दोनों में प्‍यार हो जाता है और इस वजह से व‍िशाल को जेल। उसको लेकर कैलाश जाने के ल‍िए आर्या टैक्‍सी बुक करती है और रव‍ि यानी संजय दत्‍त से मि‍लती है जो अपनी मृत पत्‍नी पूजा से बातें करता है। आर्या से उसका एक प‍िता का कनेक्‍शन बन जाता है और उसके ल‍िए वह अकेले ही जाकर खलनायकों का खात्‍मा करता है। साथ ही अपनी भी जान गंवा देता है। 

ये हो क्‍या रहा है! 

कहानी के अनुसार फ‍िल्‍म में बाबा का क‍िरदार ज‍ितना मजबूत होना चाह‍िए, वो उतना ही कमजोर है। सड़क में महारानी के क‍िरदार में सदाश‍िव अमरापुरकर आज भी दहला देते हैं। लेक‍िन सड़क 2 में मकरंद देशपांडे जैसे कलाकार को महेश भट्ट ने बुरी तरह खराब क‍िया है। यहां तक क‍ि अंत में भी जब वह क‍िन्‍नर बन कर आते हैं तो लगता है क‍ि महेश भट्ट ने उनके साथ मजाक ही क‍िया है। आल‍िया भट्ट के प‍िता के रोल में जीशु सेनगुप्‍ता भी प्रभाव‍ित नहीं करते, ना लाचारगी में और ना ही खलनायकी में। 

यहां तक क‍ि आल‍िया भट्ट भी एकदम सपाट लगती हैं। होम प्रोडक्शन में जो कॉन्‍फ‍िडेंस और टैलेंट उभरना चाह‍िए था, वो एकदम दबा हुआ लगा। आख‍िरी में भी जब वह इमोशनल होकर संजय दत्‍त के बारे में बात करती हैं, तो राजी जैसे भाव कहीं उनके चेहरे पर नहीं उभरते। गुस्‍से में भी डियर ज‍िंदगी वाली आल‍िया पर्दे पर कहीं नजर नहीं आतीं। 

आगे बढ़ने से पहले दो शब्‍द प्र‍ियंका बोस और आद‍ित्‍य रॉय कपूर के ल‍िए। प्र‍ियंका के चेहरे के भाव अच्‍छे हैं लेक‍िन वे अपने ल‍िए रोल वेब सीरीज में तलाशें। पहचान ज्‍यादा मिलेगी। वहीं आद‍ित्‍य के ल‍िए जरूरी है क‍ि अगर वो कलाकार की पहचान चाहते हैं तो अब वो शराबी और ड्रग्‍स वाले रोल न करें। 

आख‍िर इस कंफ्यूजन की वजह क्‍या है 

संजय दत्‍त के फैन्‍स को सड़क 2 न‍िराश नहीं करेगी, लेक‍िन खुश भी नहीं। महेश भट्ट को समझना चाह‍िए था क‍ि 90 के दशक के दौर में वो फ‍िल्‍में दर्शक पचा नहीं पाते थे ज‍िनमें हीरो अकेले ही व‍िलेन के घर जाकर उसे खत्‍म कर देता था। और अगर ऐसे सीन रखने थे तो उनको कसा जाना जरूरी थी। वरना ऐसा क्‍लाइमैक्‍स आलोचना ही द‍िलाता है। अंत में आर्या रव‍ि की अस्‍थ‍ियों के अवशेष कैलाश लेकर आती है और बादलों में रव‍ि को देखती है - वो सीन भी पचा पाना बेहद मुश्‍क‍िल है। कम से कम 'प्रैक्‍टिकल फ‍िल्‍में' बनाने वाले महेश भट्ट की फ‍िल्‍म में तो। 

सड़क 2 देखते हुए मुझे कई बार लगा क‍ि शायद महेश भट्ट इम्‍त‍ियाज अली बनने की कोशिश कर रहे हैं। क्‍योंक‍ि महान और अच्‍छी फ‍िल्‍म बनाने-बनाते वो भी कई बार अपनेआप में उलझ जाते हैं और दर्शक पर्दे पर समझ नहीं पाता है क‍ि फ‍िल्‍म में हो क्‍या रहा है।

व‍िशेष बैनर की फ‍िल्‍मों की एक खूबी उनका म्‍यूजिक भी रहा है। सड़क 2 के गाने सुने जा सकते हैं, लेक‍िन सड़क जितने इंप्रेस‍िव ये भी नहीं हैं। 

कुल म‍िलाकर बात इतनी है क‍ि महेश भट्ट को सड़क 2 बनाने से पहले एक बार राकेश रोशन का उदाहरण अपने सामने रखना चाह‍िए था। वो जब भी ऋत‍िक के साथ फ‍िल्‍म लाते हैं, उसे क‍िसी कसौटी पर कम नहीं पड़ने देते हैं।

Times Now Navbharat पर पढ़ें Entertainment News in Hindi, साथ ही ब्रेकिंग न्यूज और लाइव न्यूज अपडेट के लिए हमें गूगल न्यूज़ पर फॉलो करें ।