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Shabaash Mithu movie review: 'शाबाश मिट्ठू' में तापसी पन्नू की शानदार पारी, 'गिरकर उठना उठकर चलना' सिखाती है फिल्म

Updated Jul 15, 2022 | 08:52 IST
Critic Rating:

Shabaash Mithu movie review and Rating in Hindi: बॉलीवुड अदाकारा तापसी पन्नू की फिल्म शाबाश मिट्ठू रिलीज हो चुकी है। यह फिल्म भारतीय महिला क्रिकेट टीम की पूर्व कप्तान मिताली राज की बायोपिक है।

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Shabaash Mithu movie review and Rating in Hindi
मुख्य बातें
  • बॉलीवुड अदाकारा तापसी पन्नू की फिल्म शाबाश मिट्ठू रिलीज हो चुकी है।
  • यह फिल्म भारतीय महिला क्रिकेट टीम की पूर्व कप्तान मिताली राज की बायोपिक है।
  • जानें कैसी है तापसी पन्नू की फिल्म 'शाबाश मिट्ठू'

Shabaash Mithu movie review and Rating in Hindi: बॉलीवुड अदाकारा तापसी पन्नू की फिल्म शाबाश मिट्ठू रिलीज हो चुकी है। यह फिल्म भारतीय महिला क्रिकेट टीम की पूर्व कप्तान मिताली राज की बायोपिक है। इस फिल्म में मिताली के बचपन से लेकर क्रिकेटर बनने तक के सफर और मुश्किलों को बेहतरीन तरीके से दिखाया गया है।श्रीजीत मुखर्जी के निर्देशन में बनी इस फिल्म में तापसी पन्नू मिताली राज के किरदार में हैं तो वहीं मुमताज सोरकार महिला क्रिकेटर झूलन गोस्वामी की भूमिका निभा रही हैं।

जब जब खेल सितारों पर फिल्में बनी हैं तो वह अधिकतर सफल हुई हैं। खेल भावना से ओतप्रोत इस फिल्म का दर्शकों को बेसब्री से इंतजार था। मिताली राज का अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में 23 साल का करियर रहा है। उन्होंने कई रिकॉर्ड तोड़ते हुए एकदिवसीय मैच में 10,000 से अधिक रन बनाए हैं। पुरुष प्रधान खेल में अपनी जगह बनाने वाली मिताली राज का संघर्ष सिनेमाघरों में दर्शक देख रहे हैं। 

ऐसी है कहानी 

यह फिल्म तापसी पन्नू उर्फ मिट्ठू की कहानी है जिसे क्रिकेट में अपना करियर बनाने के लिए अपने मां-बाप से लेकर चयनकर्ताओं तक से लड़ना पड़ता है। जब वह छोटी थी तो गेंद-बल्ले के इस खेल को खेलना चाहती थी लेकिन क्रिकेट को पुरुषों का खेल समझा जाता था और उसका मजाक बनाया जाता है। एक कोच ने मदद की तो वह अपने सपने को पूरा करने की तरफ कदम बढ़ाती है लेकिन क्रिकेट एकेडमी में भी उसे दूसरी फीमेल क्रिकेटर्स परेशान करती हैं। मजाक बर्दाश्त कर, परेशानियों को झेलकर, अपना खून बहाकर जब वह मैदान में उतरती है तो हर गेंद का माकूल जवाब अपने बल्ले से देती है।

वह अपनों के खिलाफ डटकर खड़ी रहती हैं और समाज से लोहा लेती है। शाबाश मिट्ठू केवल एक महिला क्रिकेटर के निजी संघर्ष और सफलता की कहानी नहीं, बल्कि उन सभी महिलाओं के संघर्ष और सफलता की कहानी है जो अपने पैरों में बंधी बेड़ियां तोड़ना चाहती हैं। ये फिल्म बताती है कि कोई भी खेल महिला या पुरुष का नहीं होता, बल्कि सामर्थ्य का होता है, हौसले का होता है। 

फिल्म में एक सीन है जिसमें महिला क्रिकेट का मजाक बनाया गया है। महिला टीम को पुरुष क्रिकेटर्स की जर्सी मिलती हैं। तापसी जब इस बात को उठाती हैं कि उनकी पहचान है उन्हें खुद के नाम वाली टीशर्ट चाहिए तो क्रिकेट बोर्ड के अधिकारी के चपरासी को बुलाकर पूछते हैं कि महिला टीम की चार खिलाड़ियों के नाम बताओ, फिर कहते हैं एक का नाम तो बता दे लेकिन वो नहीं बता पाता है। इसके बाद अधिकारी तंज कहते हैं- पता चल गई पहचान। यह फिल्म आज के स्वर्णिम काल की उस नींव तक ले जाती है, जिसमें मिताली जैसी खिलाड़ियों का खून पसीना लगा है।  

पर्दे पर तापसी का काम बहुत कमाल का है। जहां जैसे भाव और तेवर की जरूरत थी, तापसी ने बखूबी वही दिखाए हैं।श्रीजीत मुखर्जी का निर्देशन उत्तम दर्जे का है। उन्होंने इस फिल्म में हर तरह के रस डाले हैं। अमित त्रिवेदी का संगीत, स्वानंद किरकिरे, कौशर मुनीर और राघव एम कुमार के गीत जोश से भरे हैं। कोच संपत के किरदार में विजय राज ने कमाल का काम किया है। वह ना केवल अपने रोल में जमे हैं, बल्कि मिलाती के करियर को बुलंदी पर ले जाने में उनके किरदार का अहम योगदान दिखता है।

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