- महाभारत में भीष्म पितामह बने मुकेश खन्ना ने कहा कि उन्हें रामानंद सागर की रामायण पसंद नहीं थी
- मुकेश खन्ना को लगता था कि यह काफी स्लो है, जबकि उन्हें महाभारत देखना पसंद था
- उन्होंने कहा कि फिर से प्रसारित होने के बाद उन्होंने रामायण देखी तो उन्हें पसंद आई
कोरोना वायरस ने पूरी दुनिया में तबाही मचाई हुई है और इसके चलते अब तक करीब 75 हजार लोगों की मौत हो चुकी है। भारत में भी इसके मामले लगातार बढ़ते जा रहे हैं और इसपर काबू पाया जा सके इसके लिए देश में 21 दिन का लॉकडाउन है। इस समय आम नागरिक से लेकर सेलेब्स तक अपने घरों में ही हैं।
लॉकडाउन के दौरान दूरदर्शन पर एक बार फिर से महाभारत, रामायण, देख भाई देख जैसे सीरियल को प्रसारित किया जा रहा है जो कि दर्शकों को उनके पुराने दिनों की याद दिला रहा है। इस बीच एक्टर मुकेश खन्ना ने एक वेबसाइट से बात की और कहा कि उन्होंने रामानंद सागर की रामायण कभी नहीं देखी थी क्योंकि वो बहुत धीमी (स्लो पेस) है। लेकिन इसके फिर से प्रसारित किए जाने के बाद से उनका विचार बदल गया और वो इसके बड़े फैन हो गए हैं।
मुकेश खन्ना ने इंटरव्यू में कहा, 'मैं यह बताना चाहूंगा कि मुझे कभी टीवी शो रामायण पसंद नहीं था। वो ऐसा था कि अगर मैं बीजेपी से हूं तो रामायण कांग्रेस थी। जब भी मैं रामायण देखता था तो मुझे लगता था कि रामानंद सागर ने इतना स्लो शो क्यों बनाया। मैं महाभारत देखा करता था क्योंकि उसकी कहानी जल्दी आगे बढ़ती थी। हाल ही में मैंने रामायण देखना शुरू किया और तो जिस तरह से यह बनाई गई है वो मुझे बहुत पसंद आया। हर सीन के बाद इसमें एक चौपाई थी। उसे देखना बहुत अच्छा लग रहा था और कुछ सीन देखते हुए तो मेरी आंखों में आंसू आ गए। मैंने रामायण देखना शुरू कर दिया है और यह मुझे अच्छी लगती है। '
'राम' समेत सभी एक्टर्स की तारीफ की
मुकेश खन्ना ने रामायण में राम का रोल निभाने वाले एक्टर अरुण गोविल की तारीफ की और कहा कि उन्होंने बहुत अच्छा काम किया है, उन्होंने एक स्माइल पकड़ी और अंत तक उसे नहीं छोड़ा और असल जिंदगी में लोग उन्हें भगवान की तरह पूजते थे। सीता भी दिव्य और निर्मल लग रही थीं। भरत, जनक और दशरथ समेत पूरी कास्ट ने बेहतरीन काम किया है।
क्या मायण और महाभारत के एक्टर्स के बीच था मतभेद?
मुकेश खन्ना ने कहा कि रामायण और महाभारत दोनों के अपने दर्शक थे। महाभारत तब शुरू हुआ था जब रामायण खत्म हो गया था। उन्होंने कहा, 'पहले मैं हमेशा शिकायत करता था कि रामायण को बहुत ज्यादा खींचा गया है। लेकिन अब जब मैं दोबारा इसे देख रहा हूं तो मुझे दोनों के बीच का फर्क समझ आ गया है। रामायण इमोशनल सबजेक्ट है जबकि महाभारत बिलकुल अलग है। रामानंद सागर ने रामायण में हर छोटी जानकारी दी और भाव दिखाए। जैसे कि दर्पण कैसे किया जाता है उसकी पूरी जानकारी उन्होंने दी। अब मैं दोनों को साथ में देख रहा हूं। '