- अरावली क्षेत्र में अब ड्रोन से नहीं होगा बीजारोपण
- वन विभाग मॉनसून में करेगा 10 हजार पौधारोपण
- पथरीली जमीन और कम बारिश बने प्लान बदलने का कारण
फरीदाबाद के अंदर पड़ने वाली अरावली क्षेत्र को हरा-भरा बनाए रखने के लिए वन विभाग ने अपने प्लान में बड़ा बदलाव किया है। अब इस पहाड़ी क्षेत्र में ड्रोन से बीजारोपण नहीं किया जाएगा। इसकी जगह अब सीधे वन विभाग द्वारा पौधारोपण किया जाएगा। इस मॉनसून सीजन में यहां पर वन विभाग द्वारा 10 हजार पौधे लगाए जाएंगे। पौधारोपण के बाद दो साल तक इन पौधों का ध्यान भी रखा जाएगा।
बता दें कि, इस पहाड़ी क्षेत्र में हरियाली लाने के लिए अभी तक ड्रोन के माध्यम से ढाक, नीम, शीशम, पीपल, बड़, व जामुन आदि का बीजारोपण किया गया था, जिनका परिणाम उत्साहजनक नहीं रहा। इसलिए अब वन विभाग ड्रोन से बीजारोपण के बजाए अरावली में जुलाई में पौधारोपण शुरू करेगा।
कम बारिश और पथरीली जमीन बनी असफलता का कारण
वन अधिारियों के अनुसार, ड्रोन से बीजारोपण योजना को सफलता न मिलने का मुख्य कारण कम इलाके में बीजारोपण करना, बीजारोपण मिट्टी के बजाए पत्थर वाले इलाके में करना और कम बारिश बड़ी वजह रही। इसलिए अधिकांश बीजारोपित नहीं हो सके। वन अधिकारियों के अनुसार, कुछ बीज अवश्य ही रोपित हुए और पौधे बने। लेकिन वन विभाग ने अभी इसका कोई डॉक्यूमेंटेशन नहीं कराया ताकि पता चल सके कि, कितने नए पौधे अरावली में उग सकें है। फिर भी वनकर्मियों की पहली नजर से देखे तो फरीदाबाद में ड्रोन से किए गए बीजारोपण के बेहतर परिणाम सामने नहीं आए।
अरावली में इस वर्ष 10 हजार पौधे लगाने की योजना
वन विभाग अधिकारियों के अनुसार, इस वर्ष अरावली में करीब 10 हजार पौधे लगाने की योजना है। यह कार्य जुलाई में मॉनसून के समय किया जाएगा। प्रयास रहेगा कि, अधिकांश पौधे पेड़ बने। इसलिए इस बार पौधों की संख्या को कम करके इनके संरक्षण पर ज्यादा ध्यान दिया जाएगा। अरावली में लगाए जाने वाले ये दस हजार पौधे वन विभाग की पौधारोपण की वार्षिक योजना में शामिल होंगे।
वर्ष 2019 में शुरू हुआ था अरावली में ड्रोन से बीजारोपण
वन विभाग ने अरावली क्षेत्र को हरा-भरा बनाने के लिए वर्ष 2019 में ड्रोन के माध्यम से बीजारोपण की शुरुआत की थी। विभाग द्वारा बीजों को पहले रात भर भिगोकर रखा गया था, ताकि थोड़ी सी मिट्टी के मिलते ही बीज जड़ सके। इसके बाद सुबह ड्रोन में भरकर इन्हें अरावली की पहाड़ियों में छिड़काव किया जाता था। लेकिन अधिकांश बीजरोपित नहीं हो सके। इसलिए विभाग ने अपने योजना में बदलाव किया है।