- जलभराव की स्थिति से निपटने की जिम्मेदारी अब पुलिस इंस्पेक्टर पर
- जलभराव वाले सभी प्वाइंट पर तैनात होंगे इंस्पेक्टर व ड्यूटी मजिस्ट्रेट
- राष्ट्रीय राजमार्ग पर जलभराव वाली जगहों पर बन रहे रेन वाटर हार्वेस्टिग सिस्टम
Faridabad Waterlogging: फरीदाबाद को जलभराव की समस्या से छुटकारा दिलाने में अभी तक नगर निगम के अधिकारी व कर्मचारी मशक्कत करते नजर आते थे, लेकिन इस मानसून सीजन में जलभराव शहरवासियों को जलभराव वाली जगह पर थ्री स्टार इंस्पेक्टर भी इन कर्मचारियों के साथ मशक्कत करते नजर आएंगे। दरअसल, प्रशासन ने जलभराव से निपटने के लिए इस बार पुलिस को भी जिम्मेदारी सौंपी है। इसके लिए संबंधित थानों के एसएचओ से लेकर पुलिस लाइन में मौजूद इंस्पेक्टरों की ड्यूटी लगाई गई है।
बता दें कि, वर्षा के बाद शहर में होने वाले जलभराव और इससे लगने वाले जाम से प्रशासन की हर बार किरकिरी हाती है। प्रशासन की तरफ से दावे किए जाते हैं कि, इस बार जलभराव नहीं होगा, लेकिन बारिश होने के बाद फिर से वही स्थिति बन जाती है। पिछले दिनों हुई जोरदार बारिश ने एक बार फिर से प्रशासन को उसकी तैयारियों का आईना दिखाया, जिसके बाद डीसी जितेंद्र यादव ने सभी अधिकारियों के साथ बैठक कर यह प्लान तैयार किया है।
25 प्वाइंट पर लगी इंस्पेक्टर और ड्यूटी मजिस्ट्रेट की ड्यूटी
मानसून को आने में अब कुछ ही दिन बचा है। इसको लेकर प्रशासने ने अपनी तैयारियां भी तेज कर दी हैं। इस बार मानसून में जलभराव की स्थिति न हो और अगर हो तो उससे तत्काल निपटा जा सके, इसके लिए कई प्लान बनाए गए हैं। अधिकारियों का दावा है कि राष्ट्रीय राजमार्ग सहित शहर में 25 ऐसे स्थान चिह्नित किए गए हैं, जहां जलभराव की समस्या सबसे ज्यादा होती है और यहां पर इससे भयंकर जाम लगता है। इन जगह पर इसके कारणों की पड़ताल कर उसे दुरूस्त किया जा रहा है। इसके अलावा इन सभी 25 प्वाइंटों पर पुलिस विभाग के 25 इंस्पेक्टर रैंक के अधिकारी व प्रशासन द्वारा नियुक्त ड्यूटी मजिस्ट्रेट जलभराव से निपटने व जाम खुलवाने की जिम्मेदारी संभालेंगे। इसके साथ नगर निगम व अन्य विभाग के कर्मचारी भी मौजूद रहेंगे। इन जगहों पर जहां पुलिस इंस्पेक्टर यातायात सुचारू रूप से चलाने की कोशिश करेंगे, वहीं ड्यूटी मजिस्ट्रेट जलभराव को खत्म करवाएंगे। वहीं राष्ट्रीय राजमार्ग पर जहां-जहां जलभराव होता है, वहां रेन वाटर हार्वेस्टिग सिस्टम बनाए जा रहे हैं। कई जगह बनाए भी जा चुके हैं। इनके माध्यम से वर्षा का पानी जमीन के नीचे पहुंच जाएगा।