- घर में बदलाव या फिर विस्तार करने वालों हाउस टैक्स की मार
- करीब 2 लाख लोगों पर बढ़ेगा टैक्स का भार
- घर का 25 से लेकर 100 फीसदी विस्तार करने वालों के लिए परेशानी
Ghaziabad News: गाजियाबाद के अंदर अपने मकान को बढ़ाने या फिर बदलाव करने वालों को हाउस टैक्स की ज्यादा मार पड़ने वाली है। नगर निगम उन लोगों पर ज्यादा हाउस टैक्स लगाएगा जिन्होंने अपने घर में 25 से लेकर 100 फीसदी तक बदलाव या फिर विस्तार किया है। इस तरह से घरों का विस्तार करने को लेकर हाल ही में गाजियाबाद नगर निगम ने जीआईएस (जियोग्राफिकल इंफार्मेशन सिस्टम) ने सर्वे किया है। इस सर्वे में निगम ने ऐसे घरों और व्यावसायिक भवनों को चिह्नित किया है, जिन्होंने 25 से लेकर 100 फीसदी तक विस्तार किया है।
अब नगर निगम ने घरों और भवन की नई नपाई के आधार पर मालिकों से हाउस टैक्स वसूलने का फैसला किया है। इतना ही नहीं निगम की ओर से मालिकों को नए हाउस टैक्स के बिल भी भेजने शुरू कर दिए हैं। अपने घरों और भवनों का विस्तार करने वाले करीब 2 लाख लोग हैं, जिन पर अब टैक्स का भार बढ़ने वाला है।
15 साल में बड़े स्तर पर मकानों और भवनों का विस्तार
गौरतलब है कि गाजियाबाद नगर निगम में हाउस टैक्स निर्धारण के लिए सेल्फ असेसमेंट प्रणाली को लागू किया हुआ है। इस प्रणाली के जरिए एक फार्म भरकर भवन के मालिक अपने घरों की नपाई की जानकारी नगर निगम के संपत्ति कर विभाग को देते हैं। हालांकि निगम के अधिकारी बताई गई भवनों की नपाई का निरीक्षण नहीं करते और भवन मालिक की सूचना के आधार पर ही हाउस टैक्स का निर्धारित कर देते हैं, लेकिन बीते 15 साल से नगर निगम ने अपने स्तर पर भवनों के विस्तार या फिर बदलाव को लेकर नपाई का कोई सर्वे नहीं कराया गया है। जबकि जीआईएस सर्वे में पता चला है कि बीते 15 साल में बड़े स्तर पर मकानों और भवनों का विस्तार हुआ है।
घरों के विस्तार को तीन श्रेणियों में बांटा
इसके बाद अब नगर निगम भवनों के विस्तार के अनुपात के आधार पर हाउस टैक्स बढाएगा। निगम में टैक्स लगाने के लिए भवनों और घरों के विस्तार को तीन श्रेणियों में बांटा है। पहली श्रेणी में 25 फीसदी का बदलाव करने वाले मालिकों को शामिल किया है। दूसरी श्रेणी में 25 से 50 फीसदी तक का बदलाव करने वाले शामिल हैं, वहीं तीसरी श्रेणी में 50 से ज्यादा मकानों का विस्तार करने वालों को शामिल किया गया है। नगर निगम ने नई नपाई के आधार पर इन भवनों पर हाउस टैक्स लगाकर डिमांड नोटिस भेजे हैं। साथ ही अगर किसी भवन मालिक को आपत्ति है तो उसे अपनी बात रखने के लिए निगम ने 30 दिन की मोहलत भी दी है।