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Rajya Sabha: राज्यसभा के 12 सांसद निलंबित, कांग्रेस के 6, TMC-शिवसेना के 2-2 सांसद

Updated Nov 29, 2021 | 16:13 IST

संसद के पिछले सत्र में अनुशासनहीनता के आरोप में राज्यसभा के 12 सांसदों को निलंबित कर दिया गया है। ये सभी सांसद आज से शुरू हुए शीतकालीन सत्र के लिए निलंबित रहेंगे।

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शिवसेना सांसद प्रियंका चतुर्वेदी
मुख्य बातें
  • राज्यसभा में विपक्षी दलों के 12 सदस्यों को शेष सत्र के लिए निलंबित किया गया
  • पिछले मानसून सत्र के दौरान अशोभनीय आचरण करने के लिए ये कार्रवाई की गई
  • संसद का शीतकालीन सत्र आज आरंभ हुआ। यह 23 दिसंबर तक प्रस्तावित है

नई दिल्ली: सदन में हंगामे को लेकर राज्यसभा के 12 सांसदों को निलंबित कर दिया गया है। शीतकालीन सत्र के पहले दिन ही इन 12 सांसदों को पूरे सत्र के लिए निलंबित किया गया है। कांग्रेस के 6, शिवसेना-टीएमसी के 2-2 और एक सीपीएम और एक सीपीआई सांसद को निलंबित किया गया है। विभिन्न मुद्दों पर विपक्ष की नारेबाजी के बीच राज्यसभा की कार्यवाही को दिन भर के लिए स्थगित करना पड़ा। इन सांसदों को सदन के पिछले सत्र में अनुशासनहीनता के आरोप में निलंबित किया गया है।

एलामाराम करीम- सीपीएम, फूलो देवी नेताम, छाया वर्मा, आर बोरा, राजमणि पटेल, सैयद नासिर हुसैन, अखिलेश प्रसाद सिंह- कांग्रेस, बिनॉय विश्वम- सीपीआई, डोला सेन और शांता छेत्री- टीएमसी, प्रियंका चतुर्वेदी और अनिल देसाई- शिवसेना वर्तमान सत्र के शेष भाग के लिए निलंबित रहेंगे। 

शिवसेना सांसद प्रियंका चतुर्वेदी ने कहा कि डिस्ट्रिक्ट कोर्ट से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक में आरोपी को सुना जाता है, उनके लिए वकील भी उपलब्ध कराए जाते हैं, कभी-कभी सरकारी अधिकारियों को उनका पक्ष लेने के लिए भेजा जाता है। यहां हमारा पक्ष सुना ही नहीं गया। सीसीटीवी फुटेज देखें तो यह रिकॉर्ड हो गया है कि कैसे पुरुष मार्शल महिला सांसदों को पीट रहे थे। एक तरफ ये सब और दूसरी तरफ आपका फैसला? यह कैसा असंसदीय व्यवहार है?

कांग्रेस की छाया वर्मा ने कहा कि यह निलंबन अनुचित और अन्यायपूर्ण है। अन्य दलों के अन्य सदस्य भी थे जिन्होंने हंगामा किया लेकिन अध्यक्ष ने मुझे निलंबित कर दिया। पीएम मोदी जैसा चाहते हैं वैसा ही कर रहे हैं क्योंकि उनके पास भारी बहुमत है।

कांग्रेस के रिपुन बोरा ने कहा कि यह पूरी तरह से अलोकतांत्रिक है; लोकतंत्र और संविधान की हत्या है। हमें सुनवाई का अवसर नहीं दिया गया। यह एकतरफा, पक्षपाती, प्रतिशोधी निर्णय है। विपक्षी दलों से परामर्श नहीं लिया गया। हां, हमने पिछले सत्र में विरोध किया था। हमने किसानों, गरीब लोगों के लिए विरोध किया था और सांसदों के रूप में यह हमारा कर्तव्य है कि हम उत्पीड़ित, वंचितों की आवाज उठाएं। हम संसद में आवाज नहीं उठाएंगे तो कहां करेंगे। 

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