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1984 सिख विरोधी दंगा: फिर से हो रही है जांच, बच पाएंगे एमपी सीएम कमलनाथ?

Updated Sep 10, 2019 | 17:04 IST

केंद्रीय गृह मंत्रालय द्वारा गठित एसआईटी फिर से 1984 के सिख विरोधी दंगे की जांच कर रही है। अकाली दल के प्रवक्ता ने कहा कि इस बार मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ नहीं बच पाएंगे।

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तस्वीर साभार:&nbspANI
Madhya Pradesh CM Kamal Nath

नई दिल्ली: शिरोमणि अकाली दल (एसएडी) के राष्ट्रीय प्रवक्ता मनजिंदर सिंह सिरसा ने मंगलवार को कहा कि मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ 1984 के सिख दंगों में अब दाग-मुक्त नहीं हो पाएंगे। सिरसा ने कहा कि 1984 के सिख दंगों में जांच फिर से खोल दी गई है। हम मामले में महत्वपूर्ण गवाहों के संपर्क में हैं और उन्होंने जांच में साथ देने की इच्छा जताई है। कमलनाथ के पास अब न्याय से बचने का कोई रास्ता नहीं है।'

एसएडी नेता ने आरोप लगाया कि कमलनाथ 35 वर्षों से बच रहे हैं। सिरसा ने कहा कि मैं इस मामले में एक महत्वपूर्ण गवाह के संपर्क में हूं। उन्होंने मुझे जांच में सहयोग करने के लिए एक पत्र दिया है। मैं मामले की जांच कर रही विशेष जांच टीम (एसआईटी) को पत्र सौंपूंगा। उन्होंने कहा कि 1984 के दंगों के मामले में गिरफ्तार होने वाले कमलनाथ पहले मुख्यमंत्री होंगे। एसएडी के अध्यक्ष सुखबीर सिंह बादल ने सोमवार को कमलनाथ के खिलाफ मामले को फिर से खोलने का स्वागत किया और मांग की कि कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी अपनी पार्टी के दिग्गज नेता को बर्खास्त करें।

1984 के सिख विरोधी दंगों में मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ से कथित रूप से जुड़े एक मामले को फिर से खोलने के मद्देनजर, राज्य के एक भाजपा विधायक आरपी सिंह ने यह संकेत दिया कि नई एसआईटी इस मामले को गंभीरता से लेगी। उन्होंने कहा कि कमलनाथ पिछले कई वर्षों से इस मामले से बच रहे हैं। कमलनाथ और वसंत साठे ऐसे लोग थे जो रकाब गंज गुरुद्वारा के बाहर थे, जब भीड़ ने दो लोग मार दिये थे। उत्तेजित भीड़ का नेतृत्व उन दोनों ने किया था। जिन लोगों ने इसे देखा था, वे गवाह हैं।

अमित शाह की अध्यक्षता में केंद्रीय गृह मंत्रालय द्वारा गठित एक विशेष जांच दल (एसआईटी) ने सिख विरोधी दंगों के सात मामलों को फिर से खोलने का फैसला किया है, जहां अभियुक्तों को या तो बरी कर दिया गया या मुकदमे को बंद कर दिया गया। मामले में कमलनाथ का भी नाम है। एसआईटी कांग्रेस नेता के खिलाफ नए सबूतों पर विचार करने की संभावना है।

1984 के सिख विरोधी दंगे, सिख अंगरक्षकों द्वारा इंदिरा गांधी की हत्या के जवाब में भारत में सिखों के खिलाफ संगठित नरसंहार की एक सीरीज थी। सिखों की हत्याओं के दंगे तीन दिनों तक चले। उनके घरों और दुकानों में आग लगा दिए गए। खासकर के दिल्ली में।
 

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