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दांव पर जिंदगी! कोरोना महामारी की दूसरी लहर में 513 डॉक्टरों ने गंवाई जान, दिल्ली में अकेले 103 मौत

Updated May 26, 2021 | 09:48 IST

कोरोना महामारी के दौरान डॉक्टर, नर्स, चिकित्सा सफाई कर्मी, एंबुलेंस ड्राइवर, पैथलॉजिस्ट और पैरामेडिकल कर्मियों को इस महामारी की गिरफ्तर में आने का खतरे सबसे ज्यादा है क्योंकि ये फ्रंटलाइन कर्मी है।

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कोरोना महामारी की दूसरी लहर में 513 डॉक्टरों ने गंवाई जान।
मुख्य बातें
  • कोरोना महामारी की दूसरी लहर में देश भर में अब तक 513 डॉक्टरों की जान जा चुकी है
  • भारतीय चिकित्सा संघ (आईएमए) के ताजा आंकड़े के मुताबिक दिल्ली में 103 डॉक्टरों की मौत
  • राजधानी दिल्ली के बाद बिहार में 96 डॉक्टरों एवं उत्तर प्रदेश में 41 चिकित्सकों की मौत हुई है

नई दिल्ली : कोरोना महामारी की दूसरी लहर चिकित्सकों के लिए काफी घातक साबित हुई है। महामारी की दूसरी लहर में देश में कोरोना संक्रमण से अब तक 513 डॉक्टरों की जान जा चुकी है। भारतीय चिकत्सा संघ (IMA) के आंकड़ों के मुताबिक इनमें से 103 डॉक्टर दिल्ली के हैं। आईएमए ने राज्यों में महामारी से जान गंवाने वाले डॉक्टरों का ताजा आंकड़ा जारी किया है। मंगलवार को जारी इस आंकड़े में लाइन ऑफ ड्यूटी के दौरान अपना बलिदान देने वाले डॉक्टरों की सूची दी गई है। 

IMA के आंकड़े के मुताबिक दिल्ली में सर्वाधिक मौतें
आंकड़े के मुताबिक कोरोना महामारी से सबसे ज्यादा डॉक्टरों की मौतें दिल्ली में हुई हैं। इसके बाद बिहार में 96 डॉक्टरों एवं उत्तर प्रदेश में 41 डॉक्टरों की जान गई है। आईएमए के मुताबिक राजस्थान में 39 डॉक्टरों, आंध्र प्रदेश, झारखंड और तेलंगाना में 29-29 डॉक्टरों की मौत हुई है। आईएमए कोरोना संकट के दौरान चिकित्सकों की होने वाली मौतों का रिकॉर्ड रख रहा है।  

स्वास्थ्यकर्मियों पर महामारी का ज्यादा खतरा
कोरोना महामारी के दौरान डॉक्टर, नर्स, चिकित्सा सफाई कर्मी, एंबुलेंस ड्राइवर, पैथलॉजिस्ट और पैरामेडिकल कर्मियों को इस महामारी की गिरफ्तर में आने का खतरे सबसे ज्यादा है क्योंकि ये फ्रंटलाइन कर्मी है। ड्यूटी के दौरान कोरोना संक्रमितों से इनका संपर्क ज्यादा होता है। स्वास्थ्यकर्मियों के सामने बहुत बड़ी चुनौती है क्योंकि इन्हें खुद को सुरक्षित रखते हुए कोरोना मरीजों की देखभाल करनी है। 

देश भर में डॉक्टरों को बनाया गया निशाना
डॉक्टर कोरोना पीड़ित मरीजों को जिंदगियां बचाने में अपना जीवन दांव पर लगाने से नहीं हिचक रहे हैं लेकिन देश भर में कई जगहों पर उन्हें निशाना बनाया जाने की घटनाएं भी सामने आई हैं। लोग अपने परिजनों को खोने के गम में डॉक्टरों के साथ बदसलूकी और उनके साथ मारपीट भी करते आए हैं। पिछले साल कोरोना की पहली लहर के दौरान लोगों ने अपनी सोसायटी में कोरोना स्वास्थ्यकर्मियों को आने से मना कर दिया। हालांकि, सरकारों के दखल के बाद इस स्थिति में सुधार हुआ।     

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