- दोनों कृषि विधेयक किसान और कृषि जगत के लिए ऐतिहासिक हैं: राजनाथ सिंह
- राज्यसभा उपसभापति के साथ जो दुर्व्यवहार हुआ, सारे देश ने प्रत्यक्ष रूप से देखा: सिंह
- राज्यसभा में जो हुआ वो जहां दुखद था, वहीं दुर्भाग्यपूर्ण था: रक्षा मंत्री
नई दिल्ली: मोदी सरकार के 6 केंद्रीय मंत्रियों ने मीडिया को संबोधित किया। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह समेत प्रकाश जावड़ेकर, प्रहलाद जोशी, पीयूष गोयल, थावर चंद गहलोत और मुख्तार अब्बास नकवी प्रेस कॉन्फ्रेंस में आए। आज संसद से पास हुए कृषि बिलों पर राजनाथ सिंह ने अपनी बात रखी। वहीं राज्यसभा में विपक्ष द्वारा की गई नारेबाजी और विरोध-प्रदर्शन पर राजनाथ सिंह ने कहा कि आज राज्यसभा में जो हुआ वह दुखद, दुर्भाग्यपूर्ण और शर्मनाक था। सदन में चर्चा को सक्षम करने के लिए सत्ता पक्ष की जिम्मेदारी होती है, लेकिन विपक्ष का यह भी कर्तव्य है कि वह मर्यादा बनाए रखे। जहां तक मुझे पता है, लोकसभा या राज्यसभा के इतिहास में ऐसा कभी नहीं हुआ है। राज्यसभा में ऐसा होना और भी बड़ा मामला है। अफवाहों के आधार पर किसानों को गुमराह करने का प्रयास किया जा रहा है। जो हुआ वह सदन की मर्यादा के खिलाफ है।
उन्होंने कहा कि राज्यसभा उपसभापति के साथ जो दुर्व्यवहार हुआ, सारे देश ने प्रत्यक्ष रूप से देखा है। संसदीय परंपराओं में विश्वास रखने वाला कोई भी व्यक्ति इस प्रकार की घटना से आहत होगा। हर किसी ने आसन के साथ हुई बदसलूकी को देखा है, सदस्यों ने नियम पुस्तिका फाड़ डाली, आसन के पास चले गए। राज्यसभा के उपसभापति मूल्यों को लेकर प्रतिबद्ध हैं, स्वस्थ लोकतंत्र में इस तरह के आचरण की उम्मीद नहीं की जाती। अगर विपक्ष सहमत नहीं भी था तो क्या यह उन्हें हिंसक होने, आसन पर हमला करने की अनुमति देता है।
कृषि बिलों पर राजनाथ सिंह ने कहा कि ये दोनों विधेयक किसान और कृषि जगत के लिए ऐतिहासिक हैं। इससे किसानों की आय बढ़ेगी। परंतु किसानों के बीच गलतफहमी पैदा की जा रही है कि MSP खत्म कर दी जाएगी जबकि ऐसा नहीं है किसी भी सूरत में MSP समाप्त नहीं होगा। मैं भी एक किसान हूं और मैं देश के किसानों को आश्वस्त करना चाहता हूं कि MSP (न्यूनतम समर्थन मूल्य) और APMC (कृषि उपज बाजार समिति) प्रणाली समाप्त नहीं होने जा रही है।
विपक्ष द्वारा राज्यसभा के उप सभापति हरिवंश के खिलाफ लाए गए अविश्वास प्रस्ताव पर राजनाथ सिंह ने कहा कि चेयरमैन को नोटिस दिया गया है। उनके द्वारा निर्णय लिया जाएगा। मैं राजनीतिक रूप से कुछ नहीं कहना चाहता। यह सभापति का विशेषाधिकार है।
कृषि बिलों के विरोध में केंद्रीय मंत्रिमंडल से इस्तीफा देने वाली अकाली दल की हरसिमरत कौर बादल पर उन्होंने कहा कि ऐसे हर फैसले के पीछे कुछ राजनीतिक कारण होते हैं। मैं यह निर्णय नहीं लेना चाहता कि उन्होंने यह निर्णय क्यों लिया।