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सैलरी में 66% इजाफे के बावजूद यहां के MLAs सबसे कम वेतन पाने वाले विधायकों में, जानें- क्या कहता है डेटा?

Updated Jul 05, 2022 | 17:47 IST

7th Pay Commission Latest News in Hindi: ‘पीआरएस लेजिस्लेटिव’ के अनुसार, दक्षिण भारत के एक सूबे के विधायकों का वेतन यहां के विधायकों से भी कम है।

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तस्वीर साभार:&nbspRepresentative Image
7th Pay Commission Latest News: तस्वीर का इस्तेमाल सिर्फ प्रस्तुतिकरण के लिए किया गया है। (फोटोः Unsplash)
मुख्य बातें
  • हर MLA को यहां वेतन-भत्तों में फिलहाल 54,000 रुपए प्रति माह मिलते
  • वेतन वृद्धि विधेयक को राष्ट्रपति की मंजूरी बाद बढ़कर होंगे 90,000 रुपए
  • यहां प्रत्येक MLA फिलहाल 12,000 रुपए प्रति माह वेतन पाता है

7th Pay Commission Latest News in Hindi: दिल्ली विधानसभा में विधायकों के वेतन और भत्तों में 66 प्रतिशत से अधिक की वृद्धि से जुड़े विधेयक के पारित होने के बावजूद राष्ट्रीय राजधानी के विधायकों को तेलंगाना और हिमाचल प्रदेश के विधायकों से कम वेतन मिलेगा। वे संभवत: देश में अब भी सबसे कम वेतन पाने वाले विधायकों में हैं। दरअसल, दिल्ली में हर विधायक को वेतन व भत्तों के रूप में फिलहाल 54,000 रुपए प्रति माह मिलते हैं, जो वेतन वृद्धि संबंधी विधेयक को राष्ट्रपति की मंजूरी मिलने के बाद बढ़कर हर महीने 90,000 रुपए हो जाएंगे।

दिल्ली विधानसभा में मंत्रियों, विधायकों, मुख्य सचेतक, विधानसभा अध्यक्ष, उपाध्यक्ष और नेता प्रतिपक्ष के वेतन-भत्तों में वृद्धि से संबंधित पांच अलग-अलग विधेयक सोमवार को पारित किए गए। इन्हें अब राष्ट्रपति की मंजूरी के लिए भेजा जाएगा। आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, दिल्ली के प्रत्येक विधायक को फिलहाल 12,000 रुपए प्रति माह वेतन मिलता है, जो राष्ट्रपति के विधेयक पर दस्तखत करने के बाद बढ़कर 30,000 रुपए हो जाएगा।

वहीं, निर्वाचन क्षेत्र भत्ता 18,000 रुपए से बढ़कर 25,000 रुपए, जबकि वाहन भत्ता 6,000 रुपए से बढ़कर 10,000 रुपए पर पहुंच जाएगा। इसी तरह, टेलीफोन भत्ता 8,000 रुपए की जगह 10,000 रुपए मिलने लगेगा, जबकि सचिवालय भत्ता 10000 रुपए से बढ़कर 15000 रुपए हो जाएगा। एक गैर-लाभकारी संगठन ‘पीआरएस लेजिस्लेटिव’ के आंकड़ों के मुताबिक, हिमाचल प्रदेश के विधायकों को प्रति माह 55,000 रुपए वेतन मिलता है, जबकि उनका निर्वाचन क्षेत्र भत्ता, दैनिक भत्ता, सचिव भत्ता, टेलीफोन भत्ता क्रमश: 90,000 रुपए, 1,800 रुपए, 30,000 रुपए और 15,000 रुपए है।

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‘पीआरएस लेजिस्लेटिव’ के अनुसार, केरल के विधायकों का वेतन दिल्ली के विधायकों से भी कम है। उन्हें प्रति माह सिर्फ 2,000 रुपए मिलते हैं। संगठन के मुताबिक, केरल के विधायकों को सचिव भत्ता भी नहीं दिया जाता और उनका निर्वाचन क्षेत्र भत्ता 25,000 रुपए है। वहीं, तेलंगाना के विधायकों का वेतन भी 20,000 रुपए प्रति माह है, लेकिन उन्हें निर्वाचन क्षेत्र भत्ते के रूप में 2.3 लाख रुपए मिलते हैं, जबकि सरकार द्वारा आवास मुहैया नहीं कराए जाने पर उसके बदले आवासीय भत्ता भी दिया जाता है।

आंकड़ों के अनुसार, आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु, उत्तराखंड, छत्तीसगढ़, मिजोरम और पश्चिम बंगाल में विधायकों का वेतन क्रमश: 12,000 रुपए, 30,000 रुपए, 20,000 रुपए, 25,000 रुपए, 80,000 रुपए और 10,000 रुपए है। आंध्र प्रदेश के विधायकों को निर्वाचन क्षेत्र भत्ते के रूप में 1.13 लाख रुपए मिलते हैं, जबकि तमिलनाडु, उत्तराखंड, छत्तीसगढ़, पंजाब, मिजोरम और पश्चिम बंगाल के विधायकों के मामले में यह धनराशि क्रमश: 25,000 रुपए, 1.5 लाख रुपए, 30,000 रुपए, 25,000 रुपए, 40,000 रुपए और 4,000 रुपए है। छत्तीसगढ़ के विधायकों को 15,000 रुपए अर्दली भत्ता और 10,000 रुपए चिकित्सा भत्ता जैसे भत्ते भी मिलते हैं।

इसी तरह, उत्तराखंड के विधायकों का कुल वेतन-भत्ता 1.82 लाख रुपए से अधिक है, जबकि आम आदमी पार्टी (आप) शासित पंजाब के विधायकों के मामले में यह धनराशि 95,000 रुपए के आसपास है। मिजोरम के विधायकों का वेतन-भत्ता भी करीब 1.50 लाख रुपए है। दिल्ली के विधेयक अतीत में कई बार वेतन वृद्धि का मुद्दा उठा चुके हैं। 2018 में विशेष रवि ने यहां तक कहा था कि कम वेतन के चलते अविवाहित विधायकों के लिए वधु खोजना मुश्किल हो जाता है। दिल्ली के विधायकों का वेतन-भत्ता आखिरी बार साल 2011 में बढ़ाया गया था।

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