केंद्र में मोदी सरकार को 8 साल पूरे हो गए हैं। जिस तरह की प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की कार्यशैली रही है, उससे उनके कामों की चर्चा हर समय होती रहती है। सरकार और उसके समर्थकों का दावा रहता है कि इन 8 सालों में हर क्षेत्र में देश ने प्रकृति की है। हालांकि विरोधी ऐसा नहीं मानते हैं। वो सरकार को कई मसलों पर घेरते हैं। यहां हम बात करेंगे कि आखिर इन 8 सालों में सरकार ने देश की सुरक्षा के मद्देनजर किस तरह कदम उठाए हैं।
मोदी सरकार ने देश के सुरक्षा को लेकर कई ऐसे कदम उठाए हैं, जिनसे देश की तरफ आंख उठाने वालों को कड़ा संदेश गया है। 2016 में उरी हमले के बाद पीओके में सर्जिकल स्ट्राइक और 2019 में पुलवामा आतंकी हमले के बाद पाकिस्तान के बालाकोट में एयर स्ट्राइक की। इससे एक स्पष्ट संदेश दिया कि भारत अब आतंकियों के खिलाफ किसी भी प्रकार की कार्रवाई में पीछे नहीं रहेगा।
जम्मू-कश्मीर में सेना को आतंकियों के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए पूरी तरह से छूट दी गई। अनुच्छेद 370 को हटाने का फैसला किया। कश्मीर घाटी में पथराव की घटनाओं पर पूरी तरह से रोक लगाई गई। सरकार आतंकी घटनाओं और उनकी सहायता प्रणाली के प्रति जीरो टॉलरेंस की नीति अपना रही है।
चीन को दिया जा रहा जवाब
पूर्वी लद्दाख में चीन के द्वारा की गई घुसपैठ को लेकर मोदी सरकार को बार-बार सवालों के घेरे में खड़ा किया जाता है, लेकिन भारतीय सेना द्वारा भी चीन को उसी की जुबान में जवाब दिया जा रहा है। भारत पूर्वी लद्दाख सेक्टर में वास्तविक नियंत्रण रेखा के साथ पैंगोंग झील और अन्य अग्रिम स्थानों के आसपास के क्षेत्रों में बुनियादी ढांचे के लिए बहुत प्रयास कर रहा है। भारतीय बख्तरबंद रेजिमेंट भी लद्दाख सेक्टर में बड़ी संख्या में मौजूद हैं। चीनी सेना द्वारा किसी भी दुस्साहस को रोकने के लिए लद्दाख सेक्टर में सैनिकों की संख्या भी काफी बढ़ा दी गई है।
ये कदम भी उठाए
पूर्वोत्तर शांति सुनिश्चित करने पर भी मोदी सरकार का फोकस रहा है। 2021 में केंद्र ने कार्बी संगठनों के प्रतिनिधियों के एक समूह के साथ त्रिपक्षीय 'कार्बी आंगलोंग समझौते' पर हस्ताक्षर किए। कार्बी असम का एक प्रमुख जातीय समुदाय है। 2015 में सरकार द्वारा नागा विद्रोही समूह नेशनलिस्ट सोशलिस्ट काउंसिल ऑफ नागालैंड (इसाक-मुइवा)-एनएससीएन (आईएम) के साथ शांति समझौते पर हस्ताक्षर करने के बाद पूर्वोत्तर में शांति सुनिश्चित करने में एक बड़ी सफलता हासिल हुई।
S-400 मिसाइल प्रणाली की तैनाती से मिलेगी और मजबूती
अमेरिकी रक्षा विभाग के मुख्यालय पेंटागन के एक शीर्ष खुफिया अधिकारी ने हाल ही में कहा कि पाकिस्तान और चीन के खतरे के मद्देनजर देश की रक्षा के लिए भारत की मंशा जून 2022 तक एस-400 मिसाइल प्रणाली की तैनाती करने की है। भारत व्यापक सैन्य आधुनिकीकरण में जुटा है जिसमें वायुसेना, थलसेना और नौसेना समेत रणनीतिक परमाणु बल शामिल हैं। भारत को पिछले वर्ष दिसंबर से रूस से एस-400 मिसाइल प्रणाली मिलने लगी है। भारत अपने हाइपरसोनिक, बैलेस्टिक, क्रूज प्रक्षेपास्त्रों का निर्माण कर रहा है और वह हवाई रक्षा मिसाइल क्षमताओं को विकसित कर रहा है, 2021 से लगातार अनेक परीक्षण कर रहा है। अंतरिक्ष में भारत के उपग्रहों की संख्या बढ़ रही है और वह अंतरिक्ष में अपना प्रभाव बढ़ा रहा है।
भारतीय सेना चीन से हर मुकाबले के लिए तैयार, LAC पर कर रही है कई अभ्यास
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वर्ष 2019 के बाद से भारत के घरेलू रक्षा उद्योग को विस्तार देकर और विदेशी कंपनियों से रक्षा खरीद कम करने की नीति अपना कर देश की अर्थव्यवस्था को मजबूत करने को प्राथमिकता दी है। अमेरिका की रक्षा खुफिया एजेंसी के निदेशक लेंफ्टिनेंट जनरल स्कॉट बेरियर ने कहा कि भारत और पाकिस्तान के सैनिकों के बीच कभी कभार छोटी- मोटी झड़पें होती रहेंगी, लेकिन पाकिस्तान के आतंकवादियों द्वारा भारत में किसी बड़े आतंकवादी घटना को अंजाम देने की सूरत में भारत बड़ी सैन्य कार्रवाई कर सकता है।
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