कहते हैं कि गुनाहों का घड़ा एक ना एक दिन फूटता है। यह कहावत प्रतिबंधित संगठन जेकेएलफ के मुखिया यासीन मलिक पर सटीक बैठता है। दिल्ली में एनआईए कोर्ट ने उसके गले में फांसी का फंदा तो नहीं डाला। लेकिन दो मामलों में उम्रकैद के जरिए संदेश साफ दिया कि जिनके हाथ निर्दोषों के खून से सने होंगे उन्हें उनके किए की सजा जरूर मिलेगी। अदालत के फैसले के बाद यासीन मलिक को जेल ले जाया गया है। यासीन मलिक तो वैसे अपने आपको मुजाहिद्दीन कहता रहा है। लेकिन अब अदालत के फैसले से साफ है कि वो मानवता का दुश्मन था।
यासीन मलिक की सजा पर महबूबा मुफ्ती ने कहा कि फांसी या उम्रैकद घाटी की समस्या के समाधान नहीं हैं, हमें जमीनी सच्चाई को समझना होगा तो बीजेपी ने कहा कि अदालत के फैसले से ऐसे गुनहगार को सजा मिली है जो मानवता का दुश्मन था। अदालत का फैसला स्वागतयोग्य है लेकिन हम से फांसी की सजा तक ले जाने की कोशिश करेंगे। इन सबके बीच यहां पर हम उसके 33 साल के आतंकी सफर पर नजर डालेंगे किस तरह वो एजेंसियों के हत्थे चढ़ा और 33 साल बाद वो ताउम्र जेल में सजा काटेगा ।
आपराधिक सफरनामे पर नजर
1999
यासीन मलिक को भारतीय अधिकारियों ने पब्लिक सेफ्टी एक्ट (PSA) के तहत गिरफ्तार किया।
2002
यासीन मलिक को आतंकवाद निरोधक अधिनियम के तहत गिरफ्तार किया गया और लगभग एक साल तक हिरासत में रखा गया।
2007
यासीन मलिक और उनकी पार्टी जेकेएलएफ ने सफ़र-ए-आज़ादी (स्वतंत्रता की यात्रा) के नाम से एक अभियान शुरू किया। इस अभियान के तहत यासीन मलिक और उनके सहयोगियों ने भारत विरोधी रुख को बढ़ावा देते हुए कश्मीर के लगभग 3,500 कस्बों और गांवों का दौरा किया।
2013
यासीन मलिक ने इस्लामाबाद में एक विरोध स्थल पर प्रतिबंधित लश्कर-ए-तैयबा (एलईटी) के प्रमुख हाफिज मुहम्मद सईद के साथ मंच साझा किया।
2016
यासीन मलिक ने पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ को पत्र लिखकर गिलगित-बाल्टिस्तान के पाकिस्तान में विलय का विरोध किया।
2017
राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने विभिन्न अलगाववादी नेताओं के खिलाफ टेरर फंडिंग का मामला दर्ज किया और 2019 में दायर चार्जशीट में यासीन मलिक और चार अन्य को नामजद किया।
2019
यासीन मलिक के घर की तलाशी ली गई और दस्तावेजों और इलेक्ट्रॉनिक सामानों सहित आपत्तिजनक सामग्री जब्त की गई।
2019
एनआईए ने जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद और अलगाववादी समूहों को फंडिंग से जुड़े एक मामले में जेकेएलएफ प्रमुख यासीन मलिक को गिरफ्तार किया।
2020
यासीन मलिक और छह साथियों पर 25 जनवरी, 1990 को श्रीनगर के रावलपोरा में 40 भारतीय वायु सेना कर्मियों पर हमले के लिए आतंकवादी और विघटनकारी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम (टाडा), शस्त्र अधिनियम 1959 और रणबीर दंड संहिता के तहत आरोप लगाया गया था। .
2022
दिल्ली की एक अदालत ने सबूतों की समीक्षा की और यासीन मलिक और अन्य के खिलाफ कड़े यूएपीए और भारतीय दंड संहिता के तहत आरोप तय करने का आदेश दिया।
मई 2022
यासीन मलिक ने अपने ऊपर लगे आरोपों को स्वीकार किया। उसने अदालत को बताया कि वह धारा 16 (आतंकवादी अधिनियम), 17 (आतंकवादी अधिनियम के लिए धन जुटाने), 18 (आतंकवादी कृत्य करने की साजिश) और 20 (एक आतंकवादी गिरोह का सदस्य होने के नाते) सहित उसके खिलाफ लगाए गए आरोपों का मुकाबला नहीं कर रहा था। या संगठन) यूएपीए की धारा 120-बी (आपराधिक साजिश) और आईपीसी की धारा 124-ए (देशद्रोह)।
मई 2022
राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) की अदालत ने 2016-17 में कश्मीर घाटी में कथित आतंकवाद और अलगाववादी गतिविधियों से संबंधित एक मामले में कश्मीरी अलगाववादी नेता यासीन मलिक को दोषी ठहराया।
कश्मीरी पंडितों के पलायन के लिए मलिक जिम्मेदार
राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने बुधवार को कश्मीरी अलगाववादी नेता यासीन मलिक को टेरर फंडिंग मामले में सजा पर बहस के दौरान अदालत से कहा कि घाटी से कश्मीरी पंडितों के पलायन के लिए मलिक जिम्मेदार है।विशेष न्यायाधीश प्रवीण सिंह के समक्ष सुनवाई के दौरान केंद्रीय जांच एजेंसी ने मलिक को मौत की सजा की भी दलील दी।दूसरी ओर, न्याय मित्र ने मामले में न्यूनतम सजा के रूप में आजीवन कारावास की मांग की।मामले में अपराधों की सजा का इंतजार कर रहे मलिक को कड़ी सुरक्षा के बीच पटियाला हाउस कोर्ट के विशेष एनआईए न्यायाधीश के समक्ष पेश किया गया।अदालत ने बुधवार की सुनवाई से पहले एनआईए अधिकारियों को टेरर फंडिंग मामले में उसकी वित्तीय स्थिति का आकलन करने का भी निर्देश दिया था।मलिक को उन मामलों में अधिकतम सजा के तौर पर सजा-ए-मौत और न्यूनतम सजा के रूप में उम्रकैद हो सकती है, जिन मामलों में वह शामिल रहा है।उस पर आपराधिक साजिश रचने, देश के खिलाफ युद्ध छेड़ने, अन्य गैरकानूनी गतिविधियां चलाने और कश्मीर में शांति भंग करने का आरोप लगाया गया था।