- गत 15 जून को गलवान घाटी में भारत और चीन के सैनिकों के बीच हुई खूनी झड़प
- इस हिंसा में भारत के 20 जवान शहीद हुए, चीन के तरफ भी सैनिक हताहत हुए
- सीमा पर तनाव कम एवं गतिरोध तोड़ने के लिए दोनों देशों के बीच बातचीत जारी
नई दिल्ली : कांग्रेस के वरिष्ठ नेता एवं देश के जाने-माने वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा है कि वह चीन के ऐप टिक टॉक का केस नहीं लड़ेंगे। पूर्व महान्यायवादी मुकुल रोहतगी के बाद सिंघवी दूसरे बड़े वकील हैं जिन्होंने टिक टॉक का केस लड़ने से मना किया है। बता दें कि भारत सरकार ने बीते दिनों चीन के 59 ऐप्स पर प्रतिबंध लगाया है। कांग्रेस नेता ने अपने इस फैसले के बारे में बुधवार को बताया, 'मैं कोर्ट में टिक टॉक का पक्ष नहीं रखूंगा। एक साल पहले मैंने इस कंपनी का केस लड़ा था और सुप्रीम कोर्ट में जीत हुई थी। लेकिन मौजूदा मामले में वह कंपनी के वकील के रूप में कोर्ट में पेश नहीं होंगे।'
सरकार ने चीन के 59 ऐप्स पर लगाया है बैन
चीनी ऐप्स पर बैन लगाए जाने के फैसले पर मुकुल रोहतगी ने बुधवार को कहा कि वह इस कंपनी अथवा किसी भी चीन ऐप पर भारत सरकार के फैसले के खिलाफ कोर्ट में पेश नहीं होंगे। इस बीच, वरिष्ठ वकील अमन सिंह ने ट्विटर पर कहा, 'एक जूनियर वकील ने मुझसे टिक टॉक का केस लड़ने की अपील की है जिसे मैंने पूरी तरह से खारिज कर दिया है।' सरकार के प्रतिबंध के फैसले पर प्रतिक्रिया देते हुए टिक टॉक ने मंगलवार को कहा कि वह भारतीय कानूनों के तहत निजता के सभी डाटा एवं सुरक्षा जरूरतों का पालन करती है और उसने चीन सहित किसी भी विदेशी सरकार के के साथ अपने उपभोक्ताओं के बारे में सूचनाओं को साझा नहीं किया है।
एलएसी की घटना के बाद से रिश्ते में तनाव
बता दें कि गत 15 जून की गलवान घाटी के घटना के बाद भारत और चीन के रिश्तों में काफी तनाव आ गया है। पूर्वी लद्दाख सहित वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) के पास तनाव काफी बढ़ गया है। भारत एवं चीन ने सीमा पर एक-दूसरे के खिलाफ अपने सैनिकों की तादाद बढ़ा दी है। हालांकि, इस तनाव को दूर करने के लिए दोनों देशों के बीच कूटनीतिक एवं सैन्य स्तर की बातचीत भी चल रही है। कमांडर स्तर की बातचीत में सफलता भी मिली है। दोनों पक्ष सीमा पर टकराव न बढ़ाने पर सहमत हुए हैं।
चीन को आर्थिक रूप से चोट पहुंचाने की कोशिश
गलवान घाटी में भारत के 20 जवानों के शहीद होने के बाद चीन के खिलाफ देश में काफी आक्रोश है। लोग चीन को सबक सिखाने और उसके सामानों के बहिष्कार की मांग कर रहे हैं। जनभावनाओं को देखते हुए सरकार भी इस दिशा में कदम उठाने लगी है। भारतीय अर्थव्यवस्था में चीन की भूमिका सीमित करने के लिए सरकार की तरफ से इस दिशा में कई कदम उठाए गए हैं। पिछले दिनों भारतीय रेल ने चीनी कंपनियों का 402 करोड़ रुपए का ठेका रद्द कर दिया। इसके अलावा महाराष्ट्र सरकार ने चीनी कंपनियों के करीब 5000 करोड़ रुपए के प्रस्ताव पर रोक लगा दी है। सरकार आने वाले दिनों में चीन को आर्थिक झटका देने के लिए अन्य उपायों के बारे में भी घोषणा कर सकती है।