मुंबई : कांग्रेस नेता और पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी के खिलाफ 'आपत्तिजनक टिप्पणी' के लिए मुंबई विश्वविद्यालय (MU) के एक सीनियर फैक्टली मैंबर के खिलाफ कार्रवाई ने राजनीतिक रोष फैला दिया है। मुंबई यूनिवर्सिटी के एकेडमी ऑफ थियेटर आर्ट्स के डायरेक्टर योगेश सोमण को सोमवार को विश्वविद्यालय द्वारा कांग्रेस युवा विंग नेशनल स्टूडेंट्स यूनियन ऑफ इंडिया (NSUI), ऑल इंडिया स्टूडेंट्स फेडरेशन (AISF) और छात्र भारती के सदस्यों के विरोध के बाद अनिवार्य छुट्टी पर भेजा गया।
सोमवार को थिएटर अकादमी के छात्रों ने एनएसयूआई, एआईएसएफ और छात्र भारती के समर्थन से कलिना परिसर में धरना दिया। चूंकि विरोध देर रात तक चला तब रजिस्ट्रार अजय देशमुख ने प्रदर्शनकारियों को आश्वासन दिया गया कि सोमण को अनिवार्य छुट्टी पर भेजा जा रहा है। देशमुख द्वारा छात्रों को दिए गए पत्र में यह भी कहा गया है कि सोमण के आचरण की जांच के लिए एक फैक्ट फाइंडिंग कमेटी का गठन किया जाएगा और चार सप्ताह के भीतर रिपोर्ट प्रस्तुत की जाएगी।
14 दिसंबर को सोमण ने फेसबुक और ट्विटर पर एक वीडियो पोस्ट किया था, जिसमें उन्होंने राहुल गांधी द्वारा बोले गए, 'मैं राहुल गांधी हूं, राहुल सावरकर नहीं' को लेकर निशाना साधा था। वीडियो में उन्होंने कहा कि आप वास्तव में सावरकर नहीं हैं। सच तो यह है, आप एक सच्चे गांधी भी नहीं हैं। आपके पास कोई वैल्यू नहीं है। उन्होंने कहा कि वह 'गांधी के पप्पूगिरी' के खिलाफ विरोध कर रहे हैं।
NSUI ने सबसे पहले 24 दिसंबर को इसका विरोध किया और कुलपति के कार्यालय का घेराव किया और एक ज्ञापन सौंपा। 28 दिसंबर को बीकेसी पुलिस स्टेशन में सोमण के खिलाफ शिकायत दर्ज की गई। इसके बाद 9 जनवरी को विरोध रैली निकाली गई, जिसमें सोमण का पुतला जलाया गया।
एनएसयूआई के राष्ट्रीय सचिव निखिल कांबले ने कहा, 'अनिवार्य छुट्टी पर सोमण को भेजना पर्याप्त नहीं है। उसे तुरंत निदेशक के पद से बर्खास्त कर दिया जाना चाहिए। योगेश सोमण को गैरकानूनी तरीके से नियुक्त किया गया है और वे कोई लैक्चर नहीं देते हैं। छात्रों का कहना है कि वह उन पर एक विशेष विचारधारा थोपने का प्रयास कर रहे हैं।'
भाजपा नेता आशीष शेलार ने कहा, 'यह पता चला है कि कांग्रेस और वामपंथी छात्रों ने योगेश सोमण को धमकी दी है। क्या यह असहिष्णुता का कार्य नहीं है? पिछले कुछ दिनों से सांस्कृतिक और शैक्षणिक संस्थानों के छात्रों में असंतोष पैदा हो रहा है, उन्हें शिक्षा से दूर किया जा रहा है। क्या यह असहिष्णुता नहीं है?'