- एडीआर की रिपोर्ट के अनुसार विधान सभा चुनावों में औसतन 64.53 लाख वोट नोटा को मिला है।
- 2020 के विधानसभा चुनाव में बिहार में 7,49,360 वोट नोटा को मिले थे।
- 2019 के विधानसभा चुनावों में महाराष्ट्र में 7,42,134 वोट नोटा को मिले थे।
ADR Report NOTA:वोटिंग के दौरान अगर वोटर NOTA पर वोट करते हैं तो साफ है कि उन्हें चुनाव में उनके क्षेत्र से खड़ा कोई भी उम्मीदवार पसंद नही है। चाहे वह किसी भी दल का हो या फिर वह निर्दलीय के रूप में मैदान में हैं। और यह स्थिति लोकतंत्र राजनीतिक दलों के लिए भी एक सबक है। एसोसिएशन ऑफ डेमोक्रेटिक रिफॉर्म (ADR)की ताजा रिपोर्ट में एक अहम खुलासा हुआ है। पिछले 5 साल में हुए लोक सभा चुनाव और विधान सभा चुनावों को मिला लिया जाय तो कुल 1.29 करोड़ लोगों ने नोटा को वोट किया है। यह आंकडा 2018 से 2022 के दौरान हुए चुनावों के आधार पर लिया गया है।
किन जगहों पर सबसे ज्यादा NOTA
लोक सभा चुनाव की बात की जाय तो सबसे ज्यादा नोटा बिहार के गोपालगंज संसदीय क्षेत्र में इस्तेमाल किया गया है। गोपालगंज में 51,660 लोगों ने नोटा का इस्तेमाल किया। जबकि सबसे कम लक्षद्वीप में 100 वोट नोटा को मिले।
एडीआर की रिपोर्ट के अनुसार विधान सभा चुनावों में औसतन 64.53 लाख वोट नोटा को मिला है। साल 2020 के विधानसभा चुनाव में बिहार में 7,49,360 वोट नोटा को मिले थे। जबकि दिल्ली में केवल 43,108 वोट नोटा को डाले गए।
इसी तरह 2019 के विधानसभा चुनावों में महाराष्ट्र में 7,42,134 वोट नोटा को मिले थे। जबकि सबसे कम 2917 वोट मिजोरम चुनाव में डाले गए थे।
इसी तरह 2022 के विधान सभा चुनावों में उत्तर प्रदेश में 6,37,304 वोट, पंजाब में 1,10,308 वोट, गोवा में 10,629 वोट और मणिपुर में 10,349 वोट और उत्तराखंड में 46,840 वोट नोटा को मिले।
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ज्यादा अपराधी तो ज्यादा NOTA
रिपोर्ट में एक अहम बात जो सामने आई है कि अगर किसी क्षेत्र में तीन या उससे ज्यादा अपराधी रिकॉर्ड वाले उम्मीदवार मैदान में हैं तो वहां पर नोटा का बड़ी संख्या में इस्तेमाल हुआ है। साल 2018 के विधानसभा चुनाव में रेड अलर्ट क्षेत्रों 26,77,616 वोट नोटा को पड़े हैं। इसी साल छत्तीसगढ़ में सबसे ज्यादा 1.98 फीसदी वोट नोटा को डाले गए।