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आखिर डोनाल्ड ट्रंप भारत से क्यों चाहते हैं हाइड्राक्सीक्लोरोक्वीन, बहुत ही साफ है जवाब

Updated Apr 07, 2020 | 15:38 IST

हाइड्राक्सीक्लोरोक्वीन पर हंगामा बरसा हुआ है। दरअसल डोनाल्ड ट्रंप इस बात पर बिफर पड़े कि आखिर अमेरिका को भारत यह दवा निर्यात क्यों नहीं कर रहा है।

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अमेरिकी राष्ट्रपति हैं डोनाल्ड ट्रंप
मुख्य बातें
  • क्लोरोक्वीन, मलेरिया की दवा है जबकि हाइड्राक्सीक्लोरोक्वीन का इस्तेमाल रियूमेटिड आर्थराइटिस में होता है।
  • हाइड्राक्सीक्लोरोक्वीन का इस्तेमाल एंटीवायरल दवा के तौर पर किया जा सकता है, आईसीएमआर ने भी दी है सलाह
  • कोरोना वायरस की वजह से दुनिया की 13 लाख से ज्यादा प्रभावित

नई दिल्ली।  हाइड्राक्सीक्लोरीक्वीन की मांग एकाएक बढ़ गई है। दरअसर अभी तक के शोध के बाद इस नतीजे पर पहुंचा गया है कि कोरोना संक्रमित लोगों के इलाज में इस दवा का इस्तेमाल हो सकता है। अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप ने इस दवा के निर्यात के लिए भारत से मांग की थी। लेकिन भारत सरकार की तरफ से अभी फैसला नहीं किया गया है, हालांकि सरकार ने स्पष्ट किया कि अपनी जरूरतों के पूरा होने के बाद मानवीय आधार पर निर्यात का फैसला किया जा सकता है। लेकिन अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत को एक तरह से धमकी दे दी। इस धमकी पर भारतीय विदेश मंत्रालय ने साफ किया है कि इस विषय पर बेवजह तूल देने की जरूरत नहीं है। 

यहां हम आपको बताएंगे कि आखिर इस दवा की मांग के पीछे की वजह क्या है, क्या प्रचूर मात्रा में यह दवा सिर्फ भारत के पास है। आईसीएमआर ने हाइड्राक्सीक्लोरोक्वीन के इस्तेमाल की इजाजत दो केस में दी है। पहले केस में ऐसे लोग जो कोरोना पॉजिटिव हैं और दूसरे केस में वो लोग जो कोरोना संक्रमित लोगों का इलाज कर रहे हैं। 

क्लोरोक्वीन और हाइड्राक्सीक्लोरीक्वीन में अंतर
ज्यादातर लोग हाइड्राक्सीक्लोरोक्वीन को मलेरिया की दवा बता रहे हैं।लेकिन सच यह है कि दोनों में अंतर है। मलेरिया का इलाज क्लोरोक्वीन के जरिए किया जाता है, जबकि रियूमेडिट आर्थराइटिस के इलाज में हाइड्राक्सीक्लोरोक्वीन का इस्तेमाल होता है। दरअसल यह दवा एकाएक चर्चा में इसलिए आ गई कि क्योंकि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने इसे एजिथ्रोमाइसिन के साथ इस्तेमाल करने को गेम चेंजर बताया था। 

इसलिए अमेरिका चाहता है हाइड्राक्सीनक्लोरोक्वीन ​
हाइड्राक्सीनक्लोरोक्वीन पर एक अध्ययन से पता चलता है कि अगर इसका इस्तेमाल अकेले या एजिथ्रोमाइसिन के साथ किया जाए तो अपर रेस्पिरेटरी ट्रैक्ट में सार्स कोविड-2 के वायरस से प्रभावी तौर पर लड़ा जा सकता है। अगर भारत की बात करें तो रियूमेटिड आर्थराइटिस के इलाज में हाइड्राक्सीक्लोरोक्वीन का इस्तेमाल होता रहा है। 

लैंसेट ने भी दी थी रिपोर्ट
लैंसेट ग्लोबल हेल्थ ने अपनी रिपोर्ट में इसके थिरेपैटिक औक प्रोफीलैक्टिक गुणों के बारे में जानकारी दी थी। रिपोर्ट में बताया गया किहाइड्राक्सीक्लोरोक्वीन में जो साल्ट हैं वो एंटीवायर एक्टिविटी जैसे कोरोनावायरस में इस्तेमाल किया जा सकता है। इन विट्रो ड्रग टेस्टिंग में यह पाया गया कि अगर प्रोफिलैक्सिस के साथ हाइड्राक्सीक्लोरीक्वीन का इस्तेमाल किया जा सकता है। दरअसल अमेरिका में इस दवा के जरिए उपचार के संबंध में टेस्टिंग की प्लानिंग की गई है।

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