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Agriculture Bill: विपक्ष के आरोपों पर केंद्र सरकार का जवाब और सुझाव, किसान खुद सही और गलत का करें फैसला

Updated Sep 18, 2020 | 19:54 IST

कृषि बिल पर विपक्ष के आरोपों पर अब केंद्र सरकार भी हमलावर मुद्रा में है। कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि अब किसान खुद फैसला करें कि सही और गलत क्या है।

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नरेंद्र सिंह तोमर, कृषि मंत्री
मुख्य बातें
  • लोकसभा से कृषि बिल पारित होने पर विपक्ष कर रहा है विरोध
  • कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि विपक्ष के बहकावे में न आएं किसान
  • कृषि बिल के बारे में किसान खुद सही और गलत का करें फैसला

नई दिल्ली। किसान बिल पर विपक्ष गरम है तो सरकार के तेवर से साफ है कि वो इस मुद्दे पर कदम पीछे नहीं हटाएगी। पीएम मोदी ने बिहार के लोगों को सौगात देने के बाद इस विषय को उठाया और इसे रक्षा कवच करार दिया। उन्होंने कहा कि किसानों के हितों के साथ अनदेखी नहीं की जाएगी। सरकार को किसानों की बुनियादी दिक्कतों के बारे में पता है और उसे क्रमबद्ध तरीके से दूर करने की कोशिश की जा रही है। मोदी सरकार ने किसान बिल को लोकसभा से तो पारित करा लिया। लेकिन उसका खामियाज अपने सहयोगी मंत्री हरसिमरत कौर बादल के तौर पर उठाना पड़ा। अब कृषि मंत्री ने कड़े शब्दों में कहा कि विपक्ष की साजिश कामयाब नहीं होगी। 

विपक्ष कर रहा है गुमराह
कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने ट्वीट के जरिए कहा कि कुछ राजनीतिक दल झूठ फैलाकर देश की जनता को गुमराह करने का असफल प्रयास कर रहे हैं।कृषि बिल 2020 पूरी तरह से किसान-हितैषी है और इनकी आय बढ़ाने का लक्ष्य है। झूठ को पहचानें और सच्चाई का समर्थन करें। उन्होंने कहा कि कांग्रेस जिस ऐक्ट को हटाने का विरोध कर रही है उसे अपने घोषणापत्र पर ध्यान देना चाहिए। वैसे सरकार या बीजेपी को इस बात से मतलब नहीं है कि कांग्रेस क्या सोचती है। बड़ी बात यह है कि हम किसानों की भलाई के लिए प्रतिबद्ध हैं। 

गुरुवार को तीन बिल किए गए थे पारित
गुरुवार को लोकसभा ने  कृषक उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सरलीकरण) विधेयक 2020 और 'कृषक (सशक्तिकरण और संरक्षण) कीमत आश्वासन और कृषि सेवा पर करार विधेयक 2020 पारित किया था।कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि  न्यूनतम समर्थन मूल्य  को बढ़ाया जा रहा है, और आने वाले समय में इसे हटाने का सवाल ही पैदा नहीं होता है। सच बात यह है कि एमएसपी कभी भी एक्ट का हिस्सा नहीं रहा है, यह एक प्रशासकीय निर्णय है और इसका इस बिल से लेना देना नहीं है। 

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