नई दिल्ली: ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (AIMPLB) ने सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की जिसमें उस जनहित याचिका का विरोध किया गया है जिसमें मुसलमानों के बीच निकाह हलाला और बहुविवाह की वैधता को चुनौती दी गई है। मुस्लिम बोर्ड ने अपनी दलील में कहा है कि बहुविवाह और अन्य प्रथाओं जैसे कानूनी मुद्दों को पहले के निर्णयों में पहले ही तय किया जा चुका है और धार्मिक प्रथाओं को चुनौती देने वाली ऐसी जनहित याचिका किसी ऐसे व्यक्ति द्वारा दायर नहीं की जा सकती जो उस धार्मिक संप्रदाय का हिस्सा नहीं है।
इसमें कहा गया है कि AIMPLB और अन्य संगठन मुस्लिम महिलाओं के अधिकारों की रक्षा के लिए पहले से मौजूद हैं। यह वकील और भाजपा नेता अश्विनी कुमार उपाध्याय द्वारा दायर याचिका के संदर्भ में है। याचिका में बहुविवाह और निकाह हलाला के इस्लामी प्रथा को चुनौती दी गई है।
बहुविवाह एक मुस्लिम व्यक्ति को एक से अधिक पत्नी रखने की अनुमति देता है, तो निकाह हलाला एक ऐसी प्रथा है जिसमें तलाकशुदा महिला अगर अपने पति से फिर से निकाह करना चाहती है तो उसे किसी दूसरे पुरुष से निकाह करना होगा और उसके साथ शारीरिक संबंध बनाने के बाद उसे तलाक देना होगा। इसके बाद वो अपने पहले पति से फिर से शादी कर सकती है।