Indian Air Force Day 2021 : आठ अक्टूबर 1932 को ब्रिटेन के रॉयल एयर फोर्स के एक सहयोगी बल के रूप अस्तित्व में आई भारतीय वायु सेना (IAF) आज दुनिया की चौथी सबसे बड़ी शक्तिशाली वायु सेना है। अपने नौ दशक के इस यात्रा में भारतीय वायु सेना कई बदलावों के दौर से गुजरी है। देश के लिए लड़ते हुए इसने अपनी वीरता, शौर्य एवं पराक्रम का अद्भुत मिसाल पेश किया है। भारतीय वायु सेना का मोटो 'नभम स्पर्शम दीपथम' है जिसका मतलब है 'गौरव के साथ आसमान को स्पर्श करो।' इसे भगवत गीता के 11वें अध्याय से लिया गया है। गीता के इस संदेश को आईएएफ चरितार्थ करती आई है।
IAF में 1,400 से ज्यादा एयरक्राफ्ट
भारतीय वायु सेना में इस समय 1,400 से ज्यादा एयरक्राफ्ट और 170,000 कर्मी हैं। दो मोर्चों पाकिस्तान और चीन से एक साथ लड़ने के लिए भारत को अभी जितने स्क्वॉड्रन की जरूरत है, उतने लड़ाकू विमान अभी आईएएफ के पास नहीं हैं। आईएएफ प्रमुख एयर चीफ मार्शल वीआर चौधरी ने कहा है कि 35 स्क्वॉड्रन की क्षमता हासिल करने में अभी एक दशक का समय लग जाएगा। आईएएफ के लिए स्वीकृत स्क्वॉड्रन की संख्या 42 है। अभी भारत के पास करीब 30 स्क्वॉड्रन हैं। वायु सेना की योजना अपने पुराने हो चुके मिग-21 और मिग-29 लड़ाकू विमानों को चरणबद्ध तरीके से सेवा से बाहर करने की है। इसकी भरपाई बहुत हद तक स्वदेश निर्मित तेजस से की जा रही है। वायु सेना सबसे पहले अपने बेडे़ में एलसीए तेजस मार्क-1 विमानों को शामिल करेगी।
114 बहु-उद्देश्यीय लड़ाकू विमान खरीदेगी वायु सेना
वायुसेना प्रमुख ने बताया कि आईएएफ 114 बहु-उद्देश्यीय लड़ाकू विमान (एमआरएफए) की प्रस्तावित खरीद को आगे बढ़ा रही है और यह खरीद 'मेक इन इंडिया' पहल के तहत की जाएगी। अप्रैल 2019 में वायुसेना ने लगभग 18 अरब डॉलर की लागत से 114 लड़ाकू विमान खरीद के लिए प्रारंभिक निविदा जारी की थी। इसे हाल के वर्षों में दुनिया के सबसे बड़े सैन्य खरीद सौदों में से एक माना गया है। इस खरीद पर उन्होंने कहा, 'यह परियोजना मेक इन इंडिया पहल के तहत होगी। हम इसे आगे बढ़ा रहे हैं।'
'मेक इन इंडिया' से हुआ ताकत में इजाफा
वायु सेना में लड़ाकू विमानों की कमी पूरी करने के लिए भारत अपने 'मेक इन इंडिया' कार्यक्रम के तहत हथियारों एवं रक्षा उपकरणों का तेजी से निर्माण कर रहा है। वायु सेना के लिए हिंदुस्तान एयरोनाटिक्स लिमिटेड (एचएएल) और रक्षा अनुसंधान विकास संगठन (डीआरडीओ) एवं निजी क्षेत्र संयुक्त रूप से रक्षा उत्पादन एवं निर्माण में जुटे हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी रक्षा उत्पादन एवं निर्माण में देश को आत्मनिर्भर बनाना चाहते हैं। 'मेक इन इंडिया' के तहत भारत अपना यह सपना साकार करने में जुटा है। भारत आज अपने लिए हथियारों का निर्माण करने के साथ-साथ दूसरे देशों को हेलिकॉप्टर एवं हथियारों का निर्यात भी कर रहा है। भारतीय वायु सेना के बारे में इन तथ्यों को भी जानना चाहिए-
- उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद स्थित हिंडन एयरपोर्ट एशिया का सबसे बड़ा एयरबेस है। यह विश्व का आठवां सबसे बड़ा एयरबेस भी है।
- आईएएफ अपने पराक्रम का प्रदर्शन केवल युद्धों में नहीं बल्कि सकंट की घड़ी, आपदाओं में भी राहत एवं बचाव कार्य करती आई है।
- साल 1998 के गुजरात चक्रवात, 2004 की सूनामी और उत्तर भारत की बाढ़ के समय इसने अपने अभियानों से लाखों जिंदगियों को बचाया।
- साल 2013 में उत्तराखंड बादल फटने से आई बाढ़ में फंसे हजारों की संख्या में नागरिकों को सुरक्षित निकालकर इसने रिकॉर्ड कायम किया।
- आईएएफ ऑपरेशन पूमालई, ऑपरेशन विजय, ऑपरेशन मेघदूत और इस तरह के अन्य संवेदनशील एवं सामरिक रूप से अहम मिशनों को सफलतापूर्वक अंजाम दिया है।
- आईएएफ संयुक्त राष्ट्र की शांति सेना के रूप में अलग-अलग देशों में अपनी सेवा देती आई है।
- आईएएफ ने बड़ी संख्या में अपने यहां महिला पायलटों को शामिल किया है। आईएएफ में महिला पायलट अब लड़ाकू विमानों को उड़ा रही हैं।
भविष्य के अचूक हथियार हैं रुद्रम-1, कैट्स वॉरियर
बेंगलुरु में एरो इंडिया शो 20121 में 'मेक इन इंडिया' की ताकत की एक झलक मिली। नेक्स्ट जेनरेशन एंटी रेडिएशन मिसाइल रुद्रम-1 का नजारा देखने को मिला। यह मिसाइल 200 किलोमीटर की दूरी से दुश्मन को ढेर कर सकती है। इसके अलावा कैट्स वॉरियर भविष्य में भारतीय वायु सेना की ताकत में बड़ा इजाफा करने जा रहा है। यह सेमी स्टील्थ ड्रोन है जिसे तेजस एवं अन्य लड़ाकू विमानों के साथ उड़ाया जा सकता है। इसका प्रोटोटाइप अगले तीन से पांच साल में बनकर तैयार हो जाएगा। 'मेक इन इंडिया' के तहत तैयार हो रहे फाइटर जेट तेजस मार्क 2 को वायु सेना में शामिल किया जाएगा। यह लड़ाकू विमान एडवांस एयरक्राफ्ट होगा जो मिग-29 और जगुआर लड़ाकू विमानों की जगह लेगा।