- सरकारी एयरलाइन कंपनी एयर इंडिया (Air India) घाटे की मार से जूझ रही है
- एयर इंडिया का कहना है कि जब तक कि बकाया राशि को मंजूरी नहीं दी जाती है तबतक ऐसा रहेगा
- इन सरकारी एजेंसियों को केवल नकद भुगतान पर टिकट दिया जा रहा है
नई दिल्ली: सरकारी एयरलाइन कंपनी एयर इंडिया (Air India) घाटे की मार से बेहाल है, अब इसने पहली बार बोल्ड स्टेप लिया है और उन सरकारी एजेंसियों को टिकट देने से मना कर दिया है जिनका 10 लाख रुपये से अधिक का एयरलाइंस पर बकाया है, एयर इंडिया के ऊपर विभिन्न सरकार एजेंसियों के पास लगभग 268 करोड़ रुपये का बकाया है।
एयर इंडिया का कहना है कि जब तक कि बकाया राशि को मंजूरी नहीं दी जाती है तब तक एयर इंडिया किसी भी सरकारी एजेंसी को टिकट जारी नहीं करेगी। कंपनी ने पहली बार सरकारी डिफॉल्टर एजेंसियों की एक लिस्ट तैयार की है, इसमें यह भी बताया गया है कि किस सरकारी एजेंसी पर कितना रूपया बकाया है।
इसके आधार पर इन सरकारी एजेंसियों को केवल नकद भुगतान पर टिकट दिया जा रहा है। गौरतलब है कि सरकार और इसकी एजेंसियों के लिए आधिकारिक दौरे के लिए एयर इंडिया पहली प्राथमिकता होती है और प्राइवेट कंपनियों के टिकट तभी खरीदे जा सकते हैं, जब उस रुट के लिए एयर इंडिया की सेवा उपलब्ध नहीं है।मगर तस्वीर का दूसरा रुख ये है कि सरकारी एजेंसियां पेमेंट के मामले में उतने सक्रिय नहीं रहती हैं, जिसके चलते एयर इंडिया ने ये कदम उठाया है।
अभी कुछ दिनों पहले ही केंद्रीय मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने लोकसभा में चर्चा के दौरान बताया था कि एयर इंडिया पिछले कुछ समय से वित्तीय संकट से गुजर रही है। सरकार ने एयर इंडिया में अपनी 100 फीसदी हिस्सेदारी बेचने का ऐलान कर दिया है। लोकसभा में केंद्रीय मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने इस बात की जानकारी दी थी।
केंद्रीय मंत्री ने लोकसभा में बताया था कि सरकार ने प्रस्तावित विनिवेश प्रक्रिया के तहत एयर इंडिया में अपनी 100 फीसदी हिस्सेदारी बेचने का फैसला किया है।
एयर इंडिया पर 50 हजार करोड़ रुपये से ज्यादा की देनदारी है और लंबे समय से एयरलाइन घाटे में चल रही है। इसमें दोबारा जान फूंकने की कोशिश में सरकार ने विनिवेश का फैसला लिया है।
नई सरकार के गठन के बाद, एयर इंडिया स्पेसिफिक अल्टरनेटिव मैकेनिज्म (एआईएसएएम) का पुनर्गठन किया गया है और एयर इंडिया के रणनीतिक विनिवेश को फिर से शुरू किया गया है।