- पराली जलाने को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने पंजाब सरकार को फटकार लगाई
- प्रदूषण पर SC ने कहा- यह करोड़ों लोगों की जिंदगी और मौत का सवाल है
- SC ने पूछा- क्या आप लोगों को प्रदूषण की वजह से मरने देंगे? क्या आप देश को 100 साल पीछे जाने देंगे?
नई दिल्ली: वायु प्रदूषण के मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट ने पंजाब सरकार को फटकार लगाई है। सुप्रीम कोर्ट ने पराली जलाने के मुद्दे पर सही से नहीं निपटने के लिए पंजाब सरकार की खिंचाई की है। कोर्ट ने पंजाब सरकार से कहा, 'आप अपनी ड्यूटी निभाने में बुरी तरह विफल रहे हैं।' जस्टिस अरुण मिश्रा ने कहा कि कृपया सुनिश्चित करें कि अब कोई स्टबल बर्निंग नहीं हो।
जस्टिस अरुण मिश्रा ने कहा कि नियमों और कानूनों का उल्लंघन करने पर किसी को भी नहीं बख्शा जाएगा। उन्होंने कहा कि सभी जानते हैं कि इस साल भी यह (पराली जलना) होगा। सरकार पहले से तैयार क्यों नहीं थी और मशीनें क्यों नहीं दी गईं? ऐसा लगता है कि पूरे साल कोई कदम नहीं उठाया गया। अगर आपके पास कोई प्लान नहीं है तो आपको कुर्सी पर रहने का अधिकार नहीं है। उन्होंने सचिव से कहा, 'आज आपको निलंबित कर दिया जाएगा।'
जस्टिस मिश्रा ने कहा, 'हम स्टबल बर्निंग से निपटने के लिए तत्काल कार्रवाई चाहते हैं। ऐसा लगता है कि इस स्थिति से निपटने के लिए अधिकारियों और राज्य सरकार के बीच कोई समन्वय नहीं है।' उन्होंने ने पंजाब के मुख्य सचिव से पूछा, 'क्या आपके पास फंड है? यदि आप नहीं करते हैं, तो कृपया हमें बताएं, हम आपको स्टबल बर्निंग के मुद्दे से निपटने के लिए फंड प्रदान करेंगे।' दरअसल मुख्य सचिव ने कहा कि मेरे राज्य में राजकोषीय तनाव बहुत ज्यादा है।
जस्टिस मिश्रा ने कहा, 'यह स्थिति अच्छी नहीं है, हम हरियाणा के मुख्य सचिव को बुला रहे हैं, यह देखने के बाद कि उनका राज्य इस मुद्दे से निपटने में बुरी तरह से विफल रहा है।' जस्टिस मिश्रा ने हरियाणा के मुख्य सचिव से पूछा कि आपने राज्य के चार जिलों में लोगों के खिलाफ क्या कार्रवाई की है।
सुप्रीम कोर्ट ने पराली जलाने की समस्या से निपटने के लिए पंजाब को 7 दिनों का समय दिया है। जस्टिस अरुण मिश्रा की अध्यक्षता वाली सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने वायु प्रदूषण मामले की सुनवाई की। इस दौरान दिल्ली, पंजाब, हरियाणा के मुख्य सचिव न्यायालय में उपस्थित रहे।
जस्टिस मिश्रा ने दिल्ली के मुख्य सचिव से पूछा, 'आप सड़क की धूल, निर्माण और डिमोलिशन या कचरा डंपिंग से नहीं निपट सकते। आप पद पर क्यों हैं? दिल्ली में अभी भी निर्माण गतिविधियां जारी हैं। प्रदूषण के स्तर को देखें। कृपया उल्लंघन करने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करें।'
जस्टिस मिश्रा ने कहा, 'बेहतर बुनियादी ढांचे और विकास के लिए विश्व बैंक से आने वाले फंड का क्या हो रहा है। इतना धन आ गया है, स्मार्ट सिटी की अवधारणा कहां है? सड़कों में सुधार क्यों नहीं हुआ?'
कोर्ट ने प्रदूषण को लेकर कहा, 'सरकारी तंत्र पराली जलने पर रोक क्यों नहीं लगा सकता? पराली जलाना समाधान नहीं है। सरकार किसानों से पराली एकत्र क्यों नहीं कर सकती या उसे खरीद क्यों नहीं सकती? हम देश की लोकतांत्रिक सरकार से पराली जलाने तथा प्रदूषण पर रोक लगाने के मुद्दे से निपटने में और कदमों की उम्मीद करते हैं।'
दिल्ली-एनसीआर में प्रदूषण के मामले पर उच्चतम न्यायालय ने कहा, 'यह करोड़ों लोगों की जिंदगी और मौत का सवाल है। हमें इसके लिए सरकार को जवाबदेह बनाना होगा। क्या आप लोगों को प्रदूषण की वजह से मरने देंगे? क्या आप देश को 100 साल पीछे जाने देंगे? हम सोच भी नहीं सकते कि प्रदूषण के कारण लोग किस तरह की बीमारियों से पीड़ित हैं।'
सरकारों पर सवाल उठाते हुए शीर्ष अदालत ने कहा कि आपको शर्म नहीं आती कि उड़ानों के मार्ग परिवर्तित किए जा रहे हैं और लोग अपने घरों में तक सुरक्षित नहीं हैं । अगर राज्य सरकारों को लोगों की चिंता नहीं है तो आपको सत्ता में रहने का कोई अधिकार नहीं है। आप केवल गद्दी पर बैठकर शासन करना चाहते हैं। आपको चिंता नहीं है लोगों को मरने के लिए छोड़ दिया गया है।