- अमर जवान ज्योति , इंडिया गेट के नीचे साल 1972 में जलाई गई थी। जो भारत-पाक युद्ध के बाद शहीदों के याद में बनाई गई थी।
- साल 2019 में करीब 500 करोड़ रुपये की लागत से नेशनल वॉर मेमोरियल तैयार किया गया है।
- कई पूर्व सैनिकों ने सरकार के कदम का फैसले का समर्थन किया है। हालांकि सोशल मीडिया पर कुछ लोग दोनों ज्योति को जलते रहने का भी सुझाव दे रहे हैं।
नई दिल्ली: सरकार ने इंडिया गेट पर जल रही 'अमर जवान ज्योति' (Amar Jawan Jyoti) का राष्ट्रीय युद्ध स्मारक (National War Memorial) पर जल रही लौ में विलय का का फैसला किया है। आज दोपहर में अमर जवान ज्योति के एक हिस्से को लेकर नेशनल वॉर मेमोरियल की लौ में शामिल करने का कार्य किया जाएगा। नेशनल वॉर मेमोरियल का उद्घाटन फरवरी 2019 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किया था। जहां पर 25,942 सैनिकों के नाम स्वर्ण अक्षरों में लिखे हैं, जिन्होंने देश की सुरक्षा के लिए विभिन्न युद्धों में सर्वोच्च बलिदान दिया है।
फैसले के बाद विवाद शुरू
फैसले की घोषणा होने के बाद इस पर विवाद शुरू हो गया है। विपक्षी दलों ने सरकार के इस फैसलों को शहीदों की अनदेखी बताया है। कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने ट्वीट करते हुए कहा कि बहुत दुख की बात है कि हमारे वीर जवानों के लिए जो अमर ज्योति जलती थी, उसे आज बुझा दिया जाएगा।कुछ लोग देशप्रेम व बलिदान नहीं समझ सकते- कोई बात नहीं…हम अपने सैनिकों के लिए अमर जवान ज्योति एक बार फिर जलाएँगे!
वहीं आरजेडी सांसद मनोज झा ने कहा कि यह समझ में आता है कि वर्तमान शासन में 'अतीत की महिमा' के साथ लगाव की भावना नहीं हो सकती है, लेकिन जब आप ऐसी 'स्मृति मिटाने' की रणनीति का सहारा लेते हैं तो यह समझ से परे है। यह अच्छी राजनीति नहीं है।
वहीं कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी ने कहा है कि अमर जवान ज्योति को नमन करके हम बड़े हुए ये क्या करना चाहती है सरकार? ये राष्ट्रीय आपदा है।राष्ट्रपति को इसमे हस्तक्षेप करना चाहिए क्योंकि वो सभी सेना के प्रमुख हैं। दो लै नही हो सकते? भारत में कई जगह वॉर मेमोरियल है ये क्या लॉजिक है? 3490 शहीद को श्रद्धांजलि देती है ये अमर जवान ज्योति।
सरकार का क्या है कहना
न्यूज एजेंसी पीटीआई के अनुसार सरकार के सूत्रों का कहना है कि आज के समारोह को लेकर काफी गलतफहमियां हैं। अमर जवान ज्योति को बुझाया नहीं जा रहा है। इसका नेशनल वॉर मेमोरियल पर प्रज्जवलित ज्योति के साथ विलय किया जा रहा है। यह काफी अजीब बात है कि अमर जवान ज्योति पर जलने वाली ज्योति 1971 और अन्य युद्धों में शहीद होने वाले सैनिकों को श्रद्धांजलि देती थी, लेकिन उनमें से किसी का नाम यहां पर नहीं लिखा था।
इंडिया गेट पर जो नाम लिखे हैं वे उन सैनिकों के हैं जो प्रथम विश्व युद्ध और अंग्रेज-अफगान युद्ध में शहीद हुए। यह हमारे गुलामी वाले समय की याद दिलाते हैं। 1971 के युद्ध समेत बाकी सभी युद्धों में शहीद होने वाले सैनिकों के नाम नेशनल वॉर मेमोरियल पर दर्ज हैं। इसलिए वहां ज्योति जलाना उनके प्रति सच्ची श्रद्धांजलि होगी। यह विडंबना है कि जिन लोगों ने 70 साल में नेशनल वॉर मेमोरियल नहीं बनाया वे अब हमारे शहीद सैनिकों को सही श्रद्धांजलि मिलने पर विवाद खड़ा कर रहे हैं।
सैनिकों का क्या है रूख
विपक्षी दलों की प्रतिक्रिया के विपरीत पूर्व थल सेनाध्यक्ष वी.पी.मलिक, लेफ्टिनेंट जनरल सतीश दुआ ने इस कदम का समर्थन किया है। वहीं कुछ पूर्व सैनिकों ने भी इस कदम का समर्थन किया है। वहीं सोशल मीडिया पर कुछ लोगों का कहना है कि दोनों लौ जलते रहना चाहिए।
1972 में जलाई गई थी अमर जवान ज्योति
नई दिल्ली स्थित अमर जवान ज्योति , इंडिया गेट के नीचे साल 1972 में जलाई गई थी। इंडिया गेट को अंग्रेजों ने साल 1931 में 84 हजार सैनिकों की याद बनवाया था, जो पहले विश्व युद्ध और उसके बाद के युद्ध में शहीद हुए थे। 1971 में भारत और पाकिस्तान के बीच हुए युद्ध में निर्णायक जीत हासिल करने में बड़ी संख्या में भारतीय सैनिक शहीद हुए थे। उसके बाद 1972 में 3,843 शहीदों की याद में एक अमर ज्योति जलाने का फैसला हुआ। तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने 26 जनवरी 1972 को अमर जवान ज्योति का उद्घाटन किया था।
क्यों खास है अमर जवान ज्योति
निर्माण के बाद से हर साल गणतंत्र दिवस परेड से पहले राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, तीनों सेनाओं के प्रमुख और अन्य गणमान्य हस्तियां अमर जवान ज्योति पर उन गुमनाम शहीदों को श्रद्धांजलि दी जाती है जिन्होंने देश की रक्षा में अपनी जान न्यौछावर कर दिया। लेकिन फरवरी 2019 में नेशलन वॉर मेमोरियल के उद्घाटन के बाद से, यह परंपरा वहां शिफ्ट हो गई। नेशनल वॉर मेमोरियल के अमर चक्र में भी अमर जवान ज्योति है। इंडिया गेट पर जल रही लौ को इसी में विलय किया जा रहा है।
अमर जवान ज्योति एक काले संगमर के चबूतरे पर जलती रहती है। जिसके चारों तरफ स्वर्ण अक्षरों में 'अमर जवान' लिखा हुआ। इसके ऊपर एक राइफल रखी है और उसपर एक सैनिक का हेलमेट रखा गया है। अमर जवान ज्योति 1971 से लगातार जलती आ रही है। अमर जवान ज्योति पर सेना, वायुसेना और नौसेना के सैनिक तैनात रहते हैं।
क्यों बना नेशनल वॉर मेमोरियल
असल में 2019 के पहले तक भारतीय सेना का अपना कोई नेशनल वॉर मेमोरियल नहीं था। जबकि इसकी पहली बार सेना के तरफ से 1960 में मांग की गई थी। 2014 के लोकसभा चुनाव के दौरान भाजपा ने नेशनलव वॉर मेमोरियल बनाने का वादा किया था। इसी कड़ी में अक्टूबर 2015 में केंद्र सरकार ने नेशनल वॉर मेमोरियल की मंजूरी दी। जो 2019 में करीब 500 करोड़ रुपये की लागत से तैयार हुआ। नेशलन वॉर मेमोरियल करीब 40 एकड़ में फैला हुआ है यहां पर एक वॉर म्यूजियम भी है। वॉर मेमोरियल के इसके चारों ओर अमर, त्याग, रक्षा के और वीर के नाम से सर्किल बने हुए हैं। यहां पर परमवीर चक्र विजेताओं के बस्ट भी लगे हुए हैं।