- अंबाला एयरबेस पहुंचे पांच राफेल लड़ाकू विमान, भारतीय वायुसेना की युद्धक क्षमता और मजबूत होगी
- राफेल विमानों का पहला स्क्वाड्रन हरियाणा के अंबाला एयरबेस पर रहेगा
- दूसरा स्क्वाड्रन पश्चिम बंगाल के हासीमारा एयरबेस पर रहेगा
नई दिल्ली: 27 जुलाई को फ्रांस से उड़े 5 राफेल लड़ाकू विमान भारत पहुंच गए हैं। अंबाला एयरबेस पर पांचों राफेल विमानों की लैंडिंग हो गई है। ये विमान लगभग 7000 किलोमीटर का सफर तय करके आज अंबाला वायुसेना अड्डे पर पहुंचे हैं। राफेल विमानों की लैंडिंग को लेकर अंबाला में खास इंतजाम किए गए। अंबाला एयर फोर्स स्टेशन के आसपास के इलाके में धारा 144 लगाई गई। साथ ही किसी भी तरह की फोटोग्राफी, वीडियोग्राफी पर प्रतिबंध लगाया गया। धारा 144 लगने से 4 से ज्यादा लोगों के इकट्ठा होने पर मनाही है।
अंबाला एयरबेस के 3 किलोमीटर के दायरे को बनाया गया नो ड्रोन जोन बनाया गया यानी कि एयरबेस के 3 किलोमीटर के दायरे में ड्रोन पर पूरी तरह पाबंदी है। राफेल के लिए अंबाला एयरबेस का चयन क्यों किया गया, इसका जरूरी महत्व है। अंबाला एयर स्टेशन ऐतिहासिक और रणनीतिक दोनों कारणों से महत्वपूर्ण है। अंबाला एयरबेस को देश में भारतीय वायुसेना का सामरिक रूप से सबसे महत्वपूर्ण बेस माना जाता है क्योंकि यहां से भारत-पाकिस्तान की सीमा करीब 220 किलोमीटर की दूरी पर है। वहीं चीन की दूरी 300 किलोमीटर है।
अंबाला एयरफोर्स स्टेशन आजादी के बाद भारत का पहला वायुसेना का बेस था। इस एयरबेस का विशेष महत्व इसलिए है, क्योंकि ये भारत के दो पड़ोसी देशों पाकिस्तान और चीन की सीमाओं के पास स्थित है। इन दोनों ही देशों के साथ भारत ने युद्ध लड़े हैं और वर्तमान में भी इन दोनों के साथ तनातनी जारी है। ऐसे में इन दोनों ही देशों के करीब राफेल की तैनाती बेहद महत्वपूर्ण है।
जगुआर, मिग-21 और मिराज-2000 भी यहीं हुए थे तैनान
1947 के बाद अंबाला बेस ने भारत के सैन्य इतिहास में कई शानदार अध्याय लिखे हैं- पाकिस्तान के साथ विभिन्न युद्ध हों, हाल ही में की गई बालाकोट एयर स्ट्राइक हो या कारगिल युद्ध। नंबर 18 स्क्वाड्रन भारत का सर्वोच्च वीरता पुरस्कार परमवीर चक्र प्राप्त करने वाला एकमात्र स्क्वाड्रन है। ये अंबाला एयर स्टेशन से था। अंबाला एयरबेस पर ही 1980 में जगुआर एयरक्राफ्ट की तैनाती की गई थी। बाद में यहां मिग-21 बाइसन और मिराज-2000 को भी तैनात किया गया।
राफेल 17वें स्क्वाड्रन में शामिल
इन 5 राफेल विमानों को अंबाला पहुंचने के बाद से ही 17वें स्क्वाड्रन में शामिल किया जा रहा है जो 'गोल्डन एरोज' के नाम से जाना जाता है। राफेल विमानों का पहला स्क्वाड्रन अंबाला एयरबेस पर रहेगा वहीं दूसरा स्क्वाड्रन पश्चिम बंगाल के हासीमारा एयरबेस पर रहेगा। वायुसेना ने अंबाला और हासीमारा एयरबेस पर शेल्टर, हैंगर और मरम्मत/देखभाल संबंधी अवसंरचना विकसित करने में करीब 400 करोड़ रुपए निवेश/खर्च किए हैं।