- भारत के रणनीतिक एवं सामरिक साझेदार हैं फ्रांस और जर्मनी
- इस महीने के अंत तक फ्रांस से आने हैं राफेल लड़ाकू विमान
- गलवान घाटी की घटना के बाद भारत और चीन के बीच जारी है तनाव
नई दिल्ली : वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर चीन के साथ बने तनाव और पूर्वी लद्दाख में बीजिंग के आक्रामक रवैया से दुनिया के देशों को अवगत कराने के लिए भारत ने अपनी कूटनीति तेज कर दी हैं। इसी क्रम में विदेश सचिव हर्षवर्धन श्रृंगला ने सोमवार को विश्व के दो ताकतवर एवं भारत के रणनीतिक साझेदार एवं सहयोगी देशों फ्रांस एवं जर्मनी के अपने समकक्षों के साथ वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए बातचीत की।
समाचार एजेंसी एएनआई के मुताबिक समझा जाता है कि इस बैठक में फ्रांस ने हिंद-प्रशांत क्षेत्र खासकर पश्चिमी हिंद महासागर में भारत के साथ काम करने की इच्छा जताई। भारतीय विदेश सचिव ने फ्रांस के विदेश मंत्रालय के महासचिव के साथ बातचीत की। सूत्रों का कहना है कि भारत ने पिछले सप्ताह अपने दूसरे बड़े सहयोगी देश जर्मनी के साथ भी वार्ता की।
जी-20 मसले पर भारत का सहयोग करेंगे फ्रांस-जर्मनी
रिपोर्ट में एक सूत्र के हवाले से कहा गया है, 'जी 20 मसले पर फ्रांस और जर्मनी दोनों ने भारत के साथ काम करने की इच्छा जताई है।' बता दें कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) के अस्थाई सदस्य के रूप में भारत का चयन हुआ है। ऐसे में परिषद में पूरी तरह से सक्रिय होने से पहले भारत की फ्रांस एवं जर्मनी के साथ बातचीत महत्वपूर्ण मानी जा रही है। ये दोनों देश यूएनएससी में भारत की स्थायी सदस्यता का समर्थन करते हैं।
फ्रांस से इस महीने आने वाले हैं राफेल
समझा जा रहा है कि फ्रांस इस महीने के अंत में अपने छह लड़ाकू विमान राफेल की आपूर्ति भारत को करेगा। यह लड़ाकू विमान पूरी तरह हथियारों से लोडेड और 'रेडी टू यूज' होंगे। भारत के इस बातचीत में फ्रांस और जर्मनी दोनों ने आपूर्ति चेन्स को मजबूत करने, सूचना प्रौद्योगिकी में सहयोग एवं निवेश बढ़ाने सहित आर्थिक सहयोग को नई ऊंचाई पर ले जाने की प्रतिबद्धता जताई है।
एलएसी पर जारी है तनाव
गलवान घाटी में गत 15 जून को भारत और चीन के सैनिकों के बीच खूनी संघर्ष हुआ। इस टकराव में भारत के करीब 20 जवान शहीद हो गए। इस घटना के बाद वास्तविक नियंत्रण रेखा पर युद्ध जैसा माहौल हो गया है। हालांकि, इस तनाव को दूर करने के लिए दोनों देशों के बीच कूटनीतिक एवं सैन्य स्तर पर बातचीत भी हो रही है लेकिन इस गतिरोध को दूर करने में अभी सफलता नहीं मिल पाई है। आज एक बार फिर दोनों देशों के सैन्य कमांडरों के बीच बैठक हो रही है।