- लद्दाख में चीन के खिलाफ साथ आएंगे सेना और वायु सेना
- एमएम नरवणे और आरकेएस भदौरिया ने चीन के खिलाफ लड़ाई में लिया बड़ा फैसला
- सेना प्रमुख नरवणे और वायु सेना प्रमुख भदौरिया एनडीए के दिनों से ही मित्र हैं
लद्दाख : भारत और चीनी के बीच करीब 6 महीने से जारी तनाव के बीच भारतीय सेना और भारतीय वायु सेना ने एक बड़ा फैसला किया है। भारतीय सेना प्रमुख एमएम नरवणे और वायु सेना प्रमुख आरकेएस भदौरिया ने मिलकर लद्दाख में चीनी सेना के खिलाफ युद्ध लड़ने का फैसला किया है। एक समय में नेशनल डिफेंस एकेडमी के कोर्स मेट्स रह चुके नरवणे और भदौरिया ने ईस्टर्न लद्दाख सेक्टर में चीनी सेना के खिलाफ थल सेना और वायु सेना को एक साथ मिलकर युद्ध करने की तैयारी कर रहे हैं।
जल्द ही लेह एयर फील्ड में भारतीय वायु सेना के IAF C-17s, ilyushin-76s और c-130J सुपर हरक्यूलस एयरक्राफ्ट जैसे लड़ाकू विमान वहां चीनियों के खिलाफ तैनात सेनाओं के लिए राशन और अन्य जरूरी सामग्रियां सप्लाई करते हुए नजर आएंगे।
एयर फोर्स मुख्यालय में शीर्ष स्तर से ये साफ निर्देश है कि युद्ध क्षेत्र में सेनाओं और अन्य सुरक्षा बलों की जो भी जरूरतें होंगी वे सभी पूरी की जाएंगी। लद्दाख में तैनात एयर फोर्स के एक सीनियर कमांडर ने कॉम्बैट सपोर्ट मिशन का जिक्र करते हुए इस बात की पुष्टि की और कहा कि जल्द ही इसका परिणाम सबको देखने को मिलेगा। उन्होंने की भी बात की।
सेना प्रमुख नरवणे और वायु सेना प्रमुख भदौरिया एनडीए के दिनों से ही मित्र हैं और आज भी उन दोनों की बॉन्डिंग काफी अच्छी है। लद्दाख में तैनात एक आर्मी ऑफिसर ने बताया कि सीडीएस जनरल बिपिन रावत और इन दोनों सेनाओं के प्रमुख अक्सर मुलाकात करते रहते हैं और ये चीनी सेना के खिलाफ किसी कड़ी कार्रवाई को लेकर योजना बना रहे हैं। इसी कड़ी में दोनों सेनाओं के संयुक्त रुप से युद्ध लड़ने की बात कही गई है।
उन्होंने ये भी कहा कि अगर एलएसी पर भी हालात खराब बनते हैं तो वहां पर भी सेना और वायु सेना संयुक्त रुप से चीन के खिलाफ युद्ध लड़ सकते हैं। इस दिशा में प्रयासों को लद्दाख सेक्टर में साफ तौर पर देखा जा सकता है कि किस तरह सेना चीन और पाकिस्तान दोनों से निपटने की अपनी तैयारी कर रही है।
ईस्टर्न लद्दाख में लेह से एलएसी की तरफ जाने वाली सड़क के पास सिंधु नदी के उपर उड़ते हुए चिनूक हेलीकॉप्टर को साफ तौर पर देखा जा सकता है। चिनूक के अलावा मिग-17 और अपाचे हेलीकॉप्टर भी युद्ध क्षेत्र में तैनात सेनाओं को काफी मदद कर रहे हैं। एक तरफ जहां चिनूक हेलीकॉप्टर सेना को मैटेरियल सप्लाई कर रहे हैं वहीं अपाचे हैलीकॉप्टर सेना को दुश्मन की गतिविधियों से रुबरु करवाने में अहम भूमिका निभा रहा है।