- किसानों के मुद्दों पर सामाजिक कार्यकर्ता अन्ना हजारे ने कृषि मंत्री को लिखा पत्र
- हजारे ने कहा है कि स्वामीनाथन आयोग की रिपोर्ट लागू न होने पर वह धऱने पर बैठेंगे
- तीन कृषि कानूनों के खिलाफ पिछले कई हफ्तों से दिल्ली सीमाओं पर प्रदर्शन कर रहे हैं किसान
नई दिल्ली : सामाजिक कार्यकर्ता अन्ना हजारे अब खुलकर किसानों के समर्थन में आ गए हैं। केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर को लिखे पत्र में हजारे ने कहा है कि सरकार ने न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर यदि स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशें लागू नहीं की तो वह भूख हड़ताल शुरू करेंगे। सामाजिक कार्यकर्ता ने पूर्व कृषि मंत्री राधा मोहन सिंह द्वारा उनसे किए हुए वादों की भी याद दिलाई है। पिछले सप्ताह अपने एक वीडियो संदेश में हजारे ने किसान नेताओं को आगाह करते हुए कहा कि वे सरकार के वादों पर विश्वास न करें क्योंकि पीएमओ, कृषि मंत्री और अन्य मंत्रियों ने उन्हें लिखित में आश्वासन दिया था लेकिन इन पर काम नहीं हुआ।
गत फरवरी में उपवास पर बैठे थे अन्ना
फरवरी 2019 में अहमदनगर स्थित अपने गांव रालेगण सिद्धी में हजारे उपवास पर बैठे थे। हालांकि उन्होंने अपना यह उपवास तत्काली कृषि मंत्री राधा मोहन सिंह के आश्वासन के बाद पांच फरवरी को खत्म कर दिया। अपने आश्वासन में केंद्रीय मंत्री ने कहा था कि कृषि से जुड़ी अन्य मांगों एवं स्वामीनाथ आयोग के सुझावों पर चर्चा के लिए सरकार एक उच्चाधिकार प्राप्त समिति बनाएगी। अन्ना हजारे ने तोमर को भेजे गए पत्र के साथ सिंह का पत्र भी संलग्न किया है।
कहा-सरकार के आश्वासनों पर कुछ नहीं हुआ
हजारे ने तोमर को लिखे पत्र में कहा, 'केन्द्र ने आश्वासन दिया था कि मांगों को लेकर समिति की रिपोर्ट के आधार पर उचित कदम उठाए जाएंगे। क्योंकि तय तिथि तक कुछ नहीं हुआ है, इसलिये मैं पांच फरवरी 2019 को खत्म किया गया अनशन फिर से शुरू करने पर विचार कर रहा हूं।' 80 वर्षीय हजारे ने कहा कि जल्द ही केन्द्र सरकार को अनशन की तिथि और स्थान के बारे में बता दिया जाएगा।
दिल्ली की सीमाओं पर डटे हैं किसान
सरकार द्वारा लाए गए तीन कृषि कानूनों का किसान विरोध कर रहे हैं। किसानों को आशंका है इन कानूनों से एमएसपी व्यवस्था धीरे-धीरे समाप्त हो जाएगी और छोटे किसान कॉरपोरेट के चंगुल में फंस जाएंगे। वहीं, सरकार का कहना है कि ये कानून किसानों के हित के लिए हैं। इन कानूनों के रद्द करने की मांग को लेकर विशेष रूप से पंजाब और हरियाणा के किसान बीते करीब तीन हफ्तों से दिल्ली के सिंघू, टीकरी और गाजीपुर बॉर्डर पर डटे हुए हैं। किसानों का कहना है कि कानूनों के रद्द होने तक वे अपना आंदोलन जारी रखेंगे।