- चुनाव आयोग में तीसरे सदस्य के तौर पर अनूप चंद्र पांडेय की नियु्क्ति
- कांग्रेस का आरोप आयोग के तीनों चेहरों का यूपी से संबंध
- राज बब्बर बोले- क्या यह सिर्फ संयोग है
यूपी के पूर्व चीफ सेक्रेटरी अनूप चंद्र पांडेय को चुनाव आयोग का सदस्य बनाया तो सोशल मीडिया के साथ साथ राजनीतिक हल्के में चर्चा है। अब सवाल यह है कि आखिर ऐसा क्या हो गया कि राजनीतिक दल सरकार के फैसले पर सवाल खड़ा करने लगे। इसे समझने से पहले चुनाव आयोग के तीनों सदस्यों के बारे में जानने की जरूरत है। मुख्य चुनाव आयुक्त सुनील अरोड़ा के रिटायरमेंट के बाद एक पद खाली थी और उस पर अनूप चंद्र पांडेय की भर्ती हुई। इस पर राजबब्बर ने खास ट्वीट किया।
राज बब्बर बोले- ये भी कमाल का संयोग
उत्तर प्रदेश कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राज बब्बर ने ट्वीट में लिखा कि ये भी कमाल का संयोग है। फिलहाल चुनाव आयोग में तीनों चुनाव आयुक्त #यूपी वाले हैं !' राज बब्बर ने इस ट्वीट के साथ ही हैशटैग में यूपी इलेक्शन 2022 का जिक्र किया है।
सोशल मीडिया पर रिएक्शन
राज बब्बर के इस ट्वीट के बाद सोशल मीडिया पर प्रतिक्रियाएं भी आने लगी। एक यूजर ने कहा कि ये महज संयोग नहीं यूपी चुनाव के लिए सफल प्रयोग है लेकिन बड़का झूठा पार्टी को जनता हार का करेंट लगा कर ही दम लेगी। दूसरे ने लिखा कि संयोग नहीं प्रयोग है। तीसरी यूजर का कहना है कि यह तो यूपी चुनाव की तैयारी है। लेकिन इस बार जनता मौजूदा सरकार को उखाड़ फेंकेगी। अब ये तो सोशल मीडिया का रिएक्शन है। लेकिन इसके इतर राजनीतिक दलों से भी प्रतिक्रिया आई बीजेपी जानबूझकर यूपी विधानसभा चुनाव से पहले फील्डिंग कर रही है। जिस तरह से चुनाव आयोग जैसी संस्थाओं का दुरुपयोग किया जा रहा है उससे साफ है कि बीजेपी किसी तरह से सत्ता में बनी रहना चाहती है।
क्या कहते हैं जानकार
चुनाव आयोग में अनूप चंद्र पांडेय की नियुक्ति पर जानकार कहते हैं कि विपक्ष को विरोध करना है तो वो अपनी जगह सही हैं। लेकिन यूपी के चीफ सेक्रेटरी रहते हुए उन्होंने जिस तरह से काम किया था उसे लेकर किसी तरह के विवाद में नहीं रहे। उन्होंने नियमों के मुताबिक ही आगे बढ़ने के राह को चुना था। विपक्ष इस वजह से विरोध कर रहा है कि यूपी विधानसभा चुनाव अगले साल 2022 में होने हैं लिहाजा उन्हें लगता है कि आयोग उनका मददगार बनेगा। लेकिन निर्वाचन आयोग ने जिस परंपरा को सेट किया है उससे परे जाकर कोई भी अधिकारी नहीं जाना चाहेगा क्योंकि एक गलत काम ना सिर्फ आयोग की कार्यप्रणाली को कठघरे में खड़ा करेगा बल्कि उसके सम्मान और प्रतिष्ठा के लिए सही नहीं होगा।