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अरुणाचल के इस गांव में रहते हैं महज 50 लोग, 11 घंटे की पैदल यात्रा कर लोगों से मिलने पहुंचे सीएम खांडू

Updated Sep 12, 2020 | 06:44 IST

Arunachal Pradesh CM Pema Khandu: अरुणाचल प्रदेश के सीएम पेमा खांडू तवांग जिले में स्थित दूरदराज के एक गांव में पहुंचे, जहां 10 घरों में महज 50 लोगों की आबादी रहती है।

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तस्वीर साभार:&nbspTwitter
अरुणाचल के इस गांव में रहते हैं महज 50 लोग, 11 घंटे की पैदल यात्रा कर लोगों से मिलने पहुंचे सीएम खांडू
मुख्य बातें
  • अरुणाचल प्रदेश के सीएम पेमा खांडू 11 घंटे की पैदल यात्रा कर एक गांव पहुंचे
  • अरुणाचल के इस गांव में 10 घर हैं, जहां लगभग 50 लोगों की आबादी रहती है
  • यहां पहुंचने के लिए सड़क मार्ग नहीं है, बल्कि पहाड़ों, झीलों से होकर गुजरना होता है

इटानगर : अरुणाचल प्रदेश के मुख्‍यमंत्री पेमा खांडू तवांग जिले में अपने निर्वाचन क्षेत्र मुकुटो के दौरे पर थे, जब उन्‍होंने दूरदराज के एक गांव के लोगों से मिलने के लिए लगभग 24 किलोमीटर की यात्रा 11 घंटे में पैदल पूरी की। तवांग से करीब 97 किलोमीटर दूर इस लुगुथांग गांव तक पहुंचने के लिए सीएम पहाड़ी इलाकों और जंगलों से होकर गुजरे, क्‍योंकि यहां तक पहुंचने के लिए कोई सड़क नहीं है।

खंडू ने गुरुवार को तवांग लौटने के बाद ट्वीट किया, 'कारपु-ला (16,000 फीट) से लुगुथांग (14,500 फीट) तक की दुर्गम यात्रा।' दरअसल, तवांग जिले की थिंग्बु तहसील में स्थित यह गांव समुद्र तल से 14,500 फीट की ऊंचाई पर है, जहां 10 घरों में महज 50 लोगों की आबादी है। सीएम ने कहा कि उन्‍होंने लुगुथांगा के ग्रामीणों से मुलाकात कर यह सुनिश्चित किया कि सरकारी योजनाओं का लाभ दूरदराज के इलाकों में रह रहे आखिरी शख्‍स तक भी पहुंचे।

गांव में बिताए दो दिन

इस गांव तक पहुंचने के लिए सड़क मार्ग नहीं हैं और किसी को भी यहां पहुंचने के लिए करापू-ला पहाड़ के साथ-साथ कई प्राकृतिक झीलों को को भी पार करना होता है। तवांग के विधायक त्‍सेरिंग ताशी, ग्रामीणों और तवांग मठ के भिक्षुओं के साथ सीएम ने अगले दिन जांगछूप स्तूप के प्रतिष्‍ठान में हिस्‍सा लिया, जिसका निर्माण राज्‍य के पूर्व सीएम दोर्जी खांडू के नाम पर किया गया है। पेमा खांडू के पिता व अरुणाचल के पूर्व सीएम दोर्जी खांडू का 30 अप्रैल, 2011 को तवांग से इटानगर लौटते समय लुगुथांग गांव के पास एक हेलीकॉप्टर दुर्घटना में निधन हो गया था।

बताया जा रहा है कि ने लोटने से पहले यहां एक ग्रामीण के घर में दो रातें बिताईं और गांव में रह रहे लोगों से बातचीत की। यहां उल्‍लेखनीय है कि लुगुथांग में ज्यादातर घुमंतू याक चरवाहा जनजाति के लोग रहते हैं, जो गर्मियों के दिनों में हिमालय की ऊंचाई वाले इलाकों में रहने पहुंच जाते हैं, ताकि उनके याक के लिए चारा उपलब्‍ध हो सके, जबकि कड़ाके की सर्दियों के दिनों में वे निचले इलाके में लौट आते हैं। 

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