नई दिल्ली: ऐतिहासिक रामलीला मैदान में अरविंद केजरीवाल ने लगातार तीसरी बाद मुख्यमंत्री पद की शपथ ली। 8 फरवरी को हुए विधानसभा चुनाव में उनकी पार्टी को 70 में 62 सीट पर जीत दर्ज की थी। इसके साथ ही केजरीवाल का लगातार तीसरी बार दिल्ली का मुख्यमंत्री बनना तय हो गया था। अरविंद केजरीवाल के साथ रविवार को मनीष सिसोदिया, सतेंद्र जैन गोपाल राय, राजेन्द्र पाल गौतम, कैलाश गहलोत, इमरान हुसैन ने मंत्री पद की शपथ ली।
अगस्त 2011 में अन्ना हजारे के आंदोलन के बाद साल 2012 में राजनीति का प्रवेश द्वार बना। आम आदमी पार्टी के गठन के बाद दिल्ली में 2013 में चुनाव हुए और केजरीवाल कांग्रेस की मदद से दिल्ली के मुख्यमंत्री बने। उन्होंने 28 दिसंबर, 2013 को रामलीला मैदान में पहली बार शपथ ली थी। हालांकि, 49 दिनों के बाद केजरीवाल ने 14 फरवरी, 2014 को इस्तीफा दे दिया, 2015 में शहर में फिर से चुनाव हुए और उसी स्थान से एक साल बाद 14 फरवरी, 2015 को उन्होंने दिल्ली के मुख्यमंत्री के रूप में दूसरी बार शपथ ली।
अन्ना टोपी हुई गायब
कार्यकाल पूरा करने के बाद, केजरीवाल तीसरी बार दिल्ली के मुख्यमंत्री के रूप में फिर से चुने गए हैं और फिर उसी रामलीला मैदान में पद और गोपनीयता की शपथ ली। लेकिन इस बार पिछली बार की तरह इस बार एक बड़ा बदलाव नजर आया। इस बार अरविंद केजरीवाल और उनके मंत्रियों के सिर से आम आदमी पार्टी और अन्ना आंदोलन की पहचान रही टोपी नदारद रही। ऐसा लगता है कि राजनीति को बदलने का वादा करने वाले अरविंद केजरीवाल और उनका पार्टी अपनी जड़ों से दूर होती जा रही है।
गोपाल राय ने ली शहीदों के नाम पर शपथ
वहीं शपथ में भी बहुत से अंतर दिखाई दिए। जहां अरविंद केजरीवाल, मनीष सिसोदिया, सतेंद्र जैन और कैलाश गहलोत ने ईश्वर का साक्षी मानकर शपथ ली। वहीं इमरान हुसैन ने अल्लाह को हाजिर नाजिर माना। वहीं गोपाल राय ने आजादी के शहीदों के नाम शपथ ली वहीं राजेंद्र पाल गौतम ने भगवान बुद्ध के नाम से शपथ ली।