- मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के जिम्मेदार लोगों ने कहा कि हम इस फैसले से सहमत नहीं हैं- ओवैसी
- मेरे को बोल रहे हैं प्यारे तेरा घर कितना था 2.77 था ना? जा अब पांच एकड़ ले ले- ओवैसी
- ओवैसी ने कहा कि हमारी लड़ाई जमीन की नहीं थी, बल्कि जमीन देकर हमारी तौहीन की जा रही है
नई दिल्ली: अयोध्या मामले पर शनिवार को सुप्रीम कोर्ट के ऐतिहासिक फैसला दिया। रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने सर्वसम्मत फैसला दिया और कहा कि विवादित 2.77 एकड़ जमीन हिंदू पक्ष को दी जाए और पवित्र नगरी में मस्जिद के लिए पांच एकड़ वैकल्पिक जमीन दी जाए। एआईएमआईएम नेता असदुद्दीन ओवैसी ने इस फैसले को ‘तथ्यों पर विश्वास की जीत’ करार दिया और कहा कि वह इस फैसले से संतुष्ट नहीं हैं ।
इसके बाद शनिवार देर शाम हैदराबाद में एक जलसे को संबोधित करते हुए ओवैसी ने कहा, 'आज जो सुप्रीम कोर्ट का फैसला आया और फैसला आने के बाद मैंने ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड की प्रेस कॉन्फ्रेंस को सुना। जिसमें लॉ बोर्ड के जिम्मेदार लोगों ने कहा कि हम इस फैसले से सहमत नहीं हैं। मेरे बोलने के बाद पूरे टीवी चैनल को अब तक दुल्हा बनाकर पेश कर रहे हैं। मैंने वहीं बात कही कि हम फैसले से मुतमुईन नहीं, हमने कहा कि सुप्रीम कोर्ट सप्रीम है लेकिन गलती भी कर सकता है। मेरे से मीडिया वाले ये पूछते हैं कि दूसरे लोग मान लिए आप क्यों नहीं मानें? हम इसलिए नहीं मानते हैं क्योंकि हम अल्ला को मानते हैं। सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बारे में मैंने जो कहा वो दस्तूर के दायरे में कहा।'
घर तोड़ने वाले को दिया घर- ओवैसी
ओवैसी ने आगे कहा, 'आप बताइए कि ये आपका घर है और मैंने जाकर आपका घर तोड़ दिया और तोड़ने के बाद हम जाते हैं जज के पास। यह मैं समझाने के लिए बोल रहा हूं। मैं आपका घर तोड़ दिया और आपको बाहर निकाल दिया। अब एक आर्बिटेटर (मध्यस्थ) के पास गए। आर्बिटेटर भी मोटे ताजे थे, शायद कुर्ता पयजामा भी पहनने थे। मैं किसी पर टिप्पणी नहीं कर रहा हूं... मेरा घर तोड़ा और तोड़ने वाले को मेरा घर दे रहे हैं, वाह.. मेरा घर तोड़ा तो मेरे को मिलना या तोड़ने वाले को मिलना? अब मेरे को बोल रहे हैं प्यारे तेरा घर कितना था 2.77 था ना? जा अब पांच एकड़ ले ले।'
बाबरी अंसवैधानिक थी तो केस क्यों चला- ओवैसी
बीजेपी के मार्गदर्शक मंडल दल के सदस्य आडवाणी पर निशाना साधते हुए ओवैसी ने कहा, 'हम इसलिए फैसले से सहमत नहीं हैं अगर बाबरी मस्जिद गैरकानूनी थी तो वो फिर तोड़ने वालों को क्यों मिली? और अगर कानूनी थी तो फिर आडवाणी को क्यों दी वो जमीन? अगर गैर कानूनी थी तो आडवाणी जी पर केस निकाल दो और अगर लीगल थी तो मुझे दो। अगर बाबरी अंसवैधानिक थी तो केस क्यों चला।'
जमीन देकर की जा रही है तौहीन
सुप्रीम कोर्ट के फैसले को अपनी तौहीन बताते हुए ओवैसी बोले, 'मेरी कानूनी अधिकार है बाबरी मस्जिद। अगर मैं हिंदुस्तान के गरीब इलाके सीमांचल चले जाऊं और कहूं की मेरी पैसों की झोली भर दो क्योंकि मुझे उत्तर प्रदेश में पांच एकड़ जमीन खरीदकर उस पर मस्जिद बनानी है तो अल्लाह की कसम 48 घंटे में हमारी झोली भर जाएगी। हमारी लड़ाई जमीन की नहीं थी, बल्कि जमीन देकर हमारी तौहीन की जा रही है। हमारी लड़ाई मस्जिद की थी। हमें भीख में नहीं चाहिए कोई भी चीज। हक है तो दो, हमें भिखारी समझकर मत दो। हम भिखारी नहीं कि जो तुम्हारे फेंके हुए टुकड़ों पर जिंदा रहेंगे। लड़ाई लीगल राइट है। इसलिए हम फैसले से खुश नहीं है।'
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